सुप्रीम कोर्ट का दर्द-'हम देश की हेल्थ को लेकर फिक्रमंद हैं, लोगों को ऑक्सीजन के लिए रोते सुना है'

कोरोना संक्रमण काल में मेडिकल ऑक्सीजन और दवाओं की कमी के अलावा वैक्सीनेशन को लेकर आईं दिक्कतों पर शुक्रवार को सुप्रीमकोर्ट ने सुनवाई के दौरान खेद जताते हुए कहा कि वो देश के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन सप्लाई, रेमेडिसिविस की किल्लत और वैक्सीनेशन को आ रहीं दिक्कतों को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। हालांकि हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि वो राज्यों और केंद्र सरकार की आलोचना नहीं कर रही, लेकिन स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे जो विरासत में मिले हैं, उससे वो चिंतित है।

Asianet News Hindi | Published : Apr 30, 2021 8:42 AM IST / Updated: Apr 30 2021, 02:25 PM IST

नई दिल्ली. कोरोना के मौजूदा संकटकाल में मेडिकल ऑक्सीजन और दवाओं को लेकर आ रही दिक्कतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को फिर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा हैकि जरूरी दवाओं का प्रोडक्शन और वितरण आखिर सुनिश्चित क्यों नहीं हो पा रहा है? इस पर केंद्र ने हलफनामे में कहा कि हर महीने औसतन एक करोड़ 3 लाख रेमडेसिविर का प्रोडक्शन हो रहा है। हालांकि सरकार ने इसकी डिमांड और सप्लाई के बारे में नहीं बताया। सुप्रीमकोर्ट ने सुनवाई के दौरान खेद जताते हुए कहा कि वो देश के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है। सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन सप्लाई, रेमेडिसिविस की किल्लत और वैक्सीनेशन को आ रहीं दिक्कतों को लेकर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। हालांकि हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि वो राज्यों और केंद्र सरकार की आलोचना नहीं कर रही, लेकिन स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे जो विरासत में मिले हैं, उससे वो चिंतित है।

डॉक्टरों से कहे कि वे रेमडेसिविर का विकल्प देखें
सुप्री कोर्ट ने केंद्र को सलाह दी कि वो डॉक्टरों से कहे कि रेमडेसिविर या फेविफ्लू की बजाय कोई दूसरी उपयुक्त दवाओं के बारे में सोचें। मरीजों को दूसरी दवाएं बताएं। सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया रिपोर्ट का हवाला देकर कहा कि आरटीपीसीआर से कोविड के नए रूप की पड़ताल नहीं हो पा रही है, इसमें रिसर्च की जरूरत है।

वैक्सीनेशन पर पूछा सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि 18 से 45 साल की उम्र के लोगों के लिए वैक्सीनेशन की क्या प्लानिंग है। हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या केंद्र के पास कोई फंड है, जिससे वैक्सीन के रेट समान रखे जा सकें। साथ ही यह भी बताए कि भारत बायोटेक और सीरम इंस्टीट्यूट को कितना फंड दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने गाजियाबाद के गुरुद्वारे में चल रहे लंगर का जिक्र करते हुए कहा कि लोग चैरिटी कर रहे हैं, लेकिन सबको चैरिटी पर नहीं छोड़ सकते। अगर सरकार यह कहती है कि केंद्र को मिली 50 प्रतिशत वैक्सीन का उपयोग फ्रंटलाइन श्रमिकों और 45 साल से अधिक आयु के वैक्सीनेशन के लिए होगा और 50 प्रतिशत राज्यों के उपयोग में किया जाएगा, करीब 59.46 करोड़ भारतीय 45 साल से कम उम्र के हैं। इनमें से कई गरीब हैं, ये लोग वैक्सीन कैसे खरीद पाएंगे? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालांकि वो राज्य या केंद्र सरकार की आलोचना नहीं कर रही, लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि वैक्सीन का कितना उत्पादन हो रहा है, उसे बढ़ाने अतिरिक्त इकाइयों को जोड़ने जनहितकारी शक्ति का प्रयोग करने की जरूरत है। चूंकि स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे विरासत में मिले हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट देश के स्वास्थ्य को लेकर चिंतित है।

ऑक्सीजन पर जताई चिंता
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए लोगों को रोते सुना है। दिल्ली में वाकई में ऑक्सीजन उपलब्ध नहीं है। गुजरात और महाराष्ट्र का भी यही हाल है। इसलिए भविष्य में यह जरूर बताना होगा कि आज की सुनवाई और अगली सुनवाई के बीच में आप क्या बेहतर कर सके। सुप्रीम कोर्ट ने ऑक्सीजन, बेड और दवाओं को लेकर सोशल मीडिया पर लिखी जा रहीं पोस्टों पर अफवाह फैलाने के नाम पर कार्रवाई पर भी रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ऐसा हुआ, तो यह अवमानना होगी।


 

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