SC ने अर्नब गोस्वामी को दी जमानत, कहा– पुलिस तुरंत माने आदेश, सरकार किसी को निशाना नहीं बना सकती

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि किसी व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना न्याय के दमन समान है। इसके साथ ही अर्नब की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरिश साल्वे ने कोर्ट से इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की। हालांकि कोर्ट ने सिर्फ उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करने को कहा है।

Asianet News Hindi | Published : Nov 11, 2020 8:17 AM IST / Updated: Nov 11 2020, 04:44 PM IST

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क के एडिटर इन चीफ अर्नब गोस्वामी को जमानत दे दी है। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि किसी व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता पर अंकुश लगाना न्याय के दमन समान है। इसके साथ ही अर्नब की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरिश साल्वे ने कोर्ट से इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की। हालांकि कोर्ट ने सिर्फ उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करने को कहा है।

"क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाएगा?"
कोर्ट में अर्नब गोस्वामी के वकील हरीश साल्वे ने कहा, अगर कोई व्यक्ति महाराष्ट्र में आत्महत्या करता है और सरकार को दोषी ठहराता है तो क्या मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया जाएगा?

सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या टिप्पणी की?

1- सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, अगर हम व्यक्तिगत स्वतंत्रता की रक्षा नहीं करेंगे तो कौन करेगा?

2- अगर कोई राज्य किसी व्यक्ति को जानबूझकर टारगेट करता है, तो एक मजबूत संदेश देने की आवश्यकता है। हमारा लोकतंत्र असाधारण रूप से लचीला है।

3-  हम इस मामले में सुनवाई इसलिए कर रहे हैं कि क्योंकि हाईकोर्ट से न तो जमानत मिल पाई और न ही वह व्यक्तिगत आजादी की सुरक्षा कर पाया।

4- किसी की विचारधारा अलग हो सकती है। वो चैनल नहीं देखे, लेकिन संवैधानिक अदालतें अगर ऐसी आजादी की सुरक्षा नहीं करती हैं तो वो बर्बादी की राह पर बढ़ रही है।

दरअसल, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को अर्नब पर साल 2018 में एक इंटीरियर डिजाइनर को आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में अंतरिम जमानत देने से  इनकार कर दिया था। इसी को लेकर अर्नब ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था जिसे लेकर कोर्ट में सुनवाई जारी है।

 

गोस्वामी के लिए अपील करते हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा, इस मामले में फिर से जांच करने की शक्ति का गलत तरीके से उपयोग किया गया। इसलिए अर्नब इस मामले में निष्पक्ष जांच चाहते हैं जो सीबीआई कर सकती है। बता दें कि अर्नब को 4 नवंबर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। अर्नब गोस्वामी को रविवार को अलीबाग से तलोजा जेल में शिफ्ट किया गया था। पुलिस ने अर्नब पर आरोप भी लगाया था कि अलीबाग क्वारंटीन सेंटर में वे फोन से सोशल मीडिया पर एक्टिव थे।

कोर्ट ने कहा - हम सिर्फ एफआईआर को रद्द करने पर सुनवाई करेंगे

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, आज सुप्रीम कोर्ट में जैसे ही सुनवाई शुरू हुई, जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और इंदिरा बनर्जी की बैंच ने कहा कि वे केवल पत्रकार के खिलाफ एफआईआर को रद्द करने और उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई करेंगे। कोर्ट ने इसके पीछे कारण बताया कि पत्रकार अर्नब की ओर से कोर्ट में सिर्फ जमानत देने संबंधी याचिका दाखिल की गई थी।

महाराष्ट्र के राज्यपाल ने व्यक्त की चिंता

महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सोमवार को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की सुरक्षा और स्वास्थ्य के बारे में चिंता व्यक्त की। उन्होंने इस मामले में राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख से टेलीफोन पर बातचीत की। राज्यपाल के कार्यालय ने एक बयान में कहा, कोश्यारी ने राज्य के गृह मंत्री से भी कहा है कि वे गोस्वामी के परिवार को देखने और उनसे बात करने की अनुमति दें। बयान में कहा गया है कि राज्यपाल ने पहले भी चिंता जताई थी।

अर्नब ने बताया था, खुद की जान को खतरा

इससे पहले अर्नब ने भी मुंबई पुलिस पर आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि मुझे वकील से नहीं मिलने दिया गया, सुबह धक्का और मारपीट की। मुझसे कहा कि वकील से बात नहीं करने देंगे, देशवासियों को बता दो कि मेरी जान को खतरा है। इतना ही नहीं उन्होंने इस मामले में कोर्ट से भी मदद मांगी।

क्या है मामला?

दरअसल, अर्नब पर एक मां और बेटे को खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप लगा है। मामला 2018 का है। 53 साल के एक इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक और उसकी मां ने आत्महत्या कर ली थी। मामले की जांच सीआईडी की टीम कर रही है। कथित तौर पर अन्वय नाइक के लिखे सुसाइड नोट में कहा गया था कि आरोपियों (अर्नब और दो अन्य) ने उनके 5.40 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया था, इसलिए उन्हें आत्महत्या का कदम उठाना पड़ा।

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