Hijab Row : हाईकोर्ट में बलि के बकरे से लेकर मंगलसूत्र तक का जिक्र, नहीं हो सका फैसला, कल फिर सुनवाई

Published : Feb 22, 2022, 06:26 PM IST
Hijab Row : हाईकोर्ट में बलि के बकरे से लेकर मंगलसूत्र तक का जिक्र, नहीं हो सका फैसला, कल फिर सुनवाई

सार

Karnataka Hijab row : जस्टिस दीक्षित ने पूछा कि हिंदू विवाह में हम मानते हैं कि मंगलसूत्र बांधना आवश्यक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि देश में सभी हिंदुओं को अनिवार्य रूप से मंगलसूत्र पहनना चाहिए। हम कानूनी स्थिति के आधार पर इसे छोड़ देते हैं। महाधिवक्ता नवदगी ने कहा कि इस मामले में (Hijab row) में कठिनाई यही है कि जैसे ही यह एक धार्मिक स्वीकृति बन जाती है।

बेंगलुरू।  हिजाब मामले (Hijab Row) को लेकर कर्नाटक हाईकोर्ट में आज दोपहर 2:30 बजे से फिर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी, जस्टिस कृष्ण अवस्थी और जस्टिस एम खाजी की तीन सदस्यीय बेंच में महाधिवक्ता (AG) प्रभुलिंग नवदगी ने अपनी दलीलें रखीं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि सरकार ने शिक्षण संस्थानों में  अनुशासन और एकरूपता लाने के लिए यूनिफॉर्म से संबंधित आदेश लागू किया है, लेकिन यह निजी और अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थानों में लागू नहीं होगा। सरकार ने यह भी बताया कि स्कूलों के कैंपस नहीं, बल्कि कक्षाओं में हिजाब पर रोक है। यह सभी धर्मों पर लागू होगी।

ऐसे तो जो हिजाब नहीं पहनना चाहतीं, उनके अधिकारों का हनन होगा
नवदगी ने दोहराया कि हिजाब पर किसी भी तरह का प्रतिबंध नहीं लगाया गया है। उन्होंने कहा कि हिजाब पहनने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत नहीं आता है। नवदगी ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार (अनुच्छेद 19 (1)) का इस्तेमाल करते हुए छात्राओं को हिजाब पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए। इस पर नवदगी ने तर्क दिया कि ऐसे तो जो छात्राएं हिजाब नहीं पहनना चाहतीं, उन्हें इसे न पहनने का मौलिक अधिकार होगा। 

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बलि के बकरे का जिक्र
सुनवाई शुरू होते ही नवदगी ने इस्लाम की बलि प्रथा का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मुस्लिमों में एक व्यक्ति की जगह बकरे की बलि दी जा सकती है, सात व्यक्तियों की जगह ऊंट या गाय की बलि दी जा सकती है। जब धर्म में बलि देना वैकल्पिक है, अनिवार्य नहीं है, तो हिजाब की अनिवार्यता क्यों। 

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आंतरिक अनुशासन की बात 
चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी ने पूछा कि आप उनके (छात्राओं) के मौलिक अधिकार को सीमित कर रहे हैं। इस पर एजी ने कहा कि देश में हिजाब पर कोई रोक नहीं है। हमने अनुच्छेद 19 (2) के नियम 11 के तहत लगाई है। यह संस्थागत अनुशासन के मामले के तहत प्रतिबंध लगाता है। यह किसी संस्थान के आंतरिक अनुशासन का मामला है। महाधिवक्ता ने बताया कि हर संस्थान में संस्थागत अनुशासन होता है। यह अस्पताल, स्कूल, सैन्य प्रतिष्ठान हो सकते हैं। कर्नाटक शिक्षा अधिनियम के तहत कैंपस में हिजाब पहनने पर पाबंदी नहीं है, यह केवल कक्षाओं में लागू है और सभी धर्मों के लिए है। 

सुप्रीम कोर्ट के हवाले से बताया, मस्जिद भी इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं
नवदगी ने सुप्रीम कोर्ट के इस्माइल फारूकी फैसले के हवाले से बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में माना है कि मस्जिद इस्लाम की प्रथा के लिए आवश्यक नहीं है और इसे सरकार अधिग्रहित कर सकती है। उन्होंने कुरान के कुछ ‘सूरा’ (सूरा 2 - पद 144, पद 145, पद 187  सूरा 17 - पद 2 और पद 7) का जिक्र करते हुए बताया कि इसमें मस्जिद को नमाज अदा करने की जगह बताया गया है। शीर्ष अदालत ने माना है कि इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। 

हिंदू महिलाओं के मंगलसूत्र का जिक्र 
जस्टिस दीक्षित ने पूछा कि हिंदू विवाह में हम मानते हैं कि मंगलसूत्र बांधना आवश्यक है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि देश में सभी हिंदुओं को अनिवार्य रूप से मंगलसूत्र पहनना चाहिए। हम कानूनी स्थिति के आधार पर इसे छोड़ देते हैं। महाधिवक्ता नवदगी ने कहा कि इस मामले में (Hijab row) में कठिनाई यही है कि जैसे ही यह एक धार्मिक स्वीकृति बन जाती है, संबंधित महिला उस विशेष पोशाक को पहनने के लिए बाध्य हो जाती है। उसकी पसंद मायने नहीं रखती।  

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