हिजाब विवाद (Hijab row) मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट मंगलवार को फैसला सुनाएगा। 25 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
बेंगलुरू। हिजाब विवाद (Hijab row) मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court) मंगलवार को फैसला सुनाएगा। 25 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय ने शिक्षण संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था। मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस दीक्षित और न्यायमूर्ति जेएम खाजी की तीन न्यायाधीशों की पीठ शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।
दरअसल, कर्नाटक में हिजाब का विरोध इस साल जनवरी में शुरू हुआ था। राज्य के उडुपी जिले के सरकारी गर्ल्स पीयू कॉलेज की कुछ छात्राओं ने आरोप लगाया था कि उन्हें कक्षाओं में जाने से रोक दिया गया है। विरोध के दौरान कुछ छात्राओं ने दावा किया कि उन्हें हिजाब पहनने के चलते कॉलेज में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था। इस घटना के बाद विजयपुरा स्थित शांतेश्वर एजुकेशन ट्रस्ट में विभिन्न कॉलेजों के छात्र भगवा स्टोल पहनकर पहुंचे थे। यही स्थिति उडुपी जिले के कई कॉलेजों में भी रही थी।
कई दिनों तक हुए थे विरोध प्रदर्शन
बता दें कि प्री-यूनिवर्सिटी शिक्षा बोर्ड ने एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि छात्र केवल स्कूल प्रशासन द्वारा अनुमोदित ड्रेस पहन सकते हैं और कॉलेजों में किसी भी अन्य धार्मिक अभ्यास की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस मामले को लेकर कर्नाटक में कई दिनों तक उग्र विरोध प्रदर्शन हुए थे। छात्राओं ने हिजाब पहनने पर रोक के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
हिजाब मामले तो तूल देने के पीछे कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) नामक संगठन का नाम सामने आया था। कोर्ट में सुनवाई के दौरान अधिवक्ता एसएस नागानंद ने कहा था कि 2004 से प्रदेश में यूनिफॉर्म लागू है, लेकिन 2021 से पहले किसी ने इस मामले में विरोध नहीं किया। 2021 के अंत में इस संगठन (CFI) ने छात्राओं और उनके अभिभावकों को हिजाब के लिए भड़काया। इसके बाद से आंदोलन शुरू हुआ।
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2009 में हुआ गठन, इस्लामिक कट्टरपंथ फैलाने के आरोप
सीएफआई (Campus front of India) सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) समर्थित एक संगठन है। इस संगठन पर अक्सर कट्टरपंथ फैलाने के आरोप लगते रहे हैं। सीएफआई 7 नवंबर 2009 को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( Popular Front of India ) के मार्गदर्शन में शुरू किया गया था। तमिलनाडु के मोहम्मद यूसुफ इसके पहले अध्यक्ष थे। दावा था कि यह संगठन साम्राज्यवाद और फासीवाद के खिलाफ संघर्ष करेगा, लेकिन इस पर धार्मिक कट्टरपंथ फैलाने के आरोप लगते रहे हैं। कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने एंटी सीएए जैसे प्रदर्शनों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था।
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