हिंदू शरणार्थी का दर्द: कट्टरपंथी वसूलते हैं गुंडा टैक्स, लड़कियों का जबरन होता धर्म परिवर्तन

Published : Dec 18, 2019, 07:52 PM ISTUpdated : Dec 18, 2019, 09:06 PM IST
हिंदू शरणार्थी का दर्द: कट्टरपंथी वसूलते हैं गुंडा टैक्स, लड़कियों का जबरन होता धर्म परिवर्तन

सार

गंगाराम ने बताया, वहां महिलाओं की सुरक्षा नहीं कर पाते थे। हमारी बहू बेटियां आजादी से घूम नहीं सकती थीं। कट्टरपंथी हमारे घर के लड़के-लड़कियों को उठा ले जाते थे। लड़कों को पैसा लेकर वापस कर दिया जाता, मगर लड़कियां वापस नहीं करते थे। 

नई दिल्ली. पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों को कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लेकिन इसमें सबसे पीड़ादायक और अपमानजनक स्थिति महिलाओं पर होने वाली उत्पीड़न की घटनाएं हैं। दिल्ली के मजनू का टीला में हिंदू रिफ्यूजी कैंप में रह रहे गंगाराम ने Asianet News Hindi को बताया कि हिंदू परिवार के लड़के-लड़कियों को उठा लेना पाकिस्तान में आम घटना है। गंगाराम 2011 में धार्मिक वीजा लेकर किसी तरह अपने और 16 दूसरे परिवारों के साथ भारत आ गए थे।

उन्होंने बताया, "पाकिस्तान में हमारी परचून और कपड़े की दुकानें थीं। लेकिन कट्टरपंथी मुसलमानों की वजह से न तो हमें शांति से कारोबार करने दिया जाता था न हम ठीक से गुजर बसर कर पाते थे। आए दिन जबरन वसूली, लूटपाट की घटनाओं का सामना करना पड़ता था।"

लड़कियों को उठा ले जाते हैं कट्टरपंथी मुस्लिम

गंगाराम ने बताया, वहां हिंदू लोग महिलाओं की सुरक्षा नहीं कर पाते थे। हमारी बहू बेटियां आजादी से घूम नहीं सकती थीं। कट्टरपंथी हमारे घर के लड़के-लड़कियों को उठा ले जाते थे। लड़कों को पैसा लेकर वापस कर दिया जाता, मगर लड़कियां वापस नहीं करते थे। वहां जबरन धर्म परिवर्तन की घटनाएं आम थीं। गंगाराम के मुताबिक, इज्जत के नाम से जीना मुश्किल था। उत्पीड़न की शिकायत पर कहीं कोई सुनवाई नहीं थी। इज्जत के साथ जीना मुश्किल था। हमारे पास भागने के अलावा और कोई चारा नहीं था।

जिल्लत से आजादी मिलेगी

पाकिस्तान से भारत आने के बाद गंगाराम वहां फंसे दूसरे परिवारों को निकालने का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि विहिप और दूसरे संगठनों की मदद से उन्होंने अब तक करीब छह से सात हजार परिवारों को पाकिस्तान से निकाला है। ये परिवार देश के अलग-अलग हिस्सों में हैं। हिंदू शरणार्थी राजस्थान के कई इलाकों, हरिद्वार, फरीदाबाद, इंदौर जैसी जगहों पर हैं। नागरिकता कानून बनने के बाद गंगाराम को लगता है कि अब भारत में रह रहे हिंदू शरणार्थियों को सालों से मिल रही जिल्लत से आजादी मिलेगी।

क्या है संशोधित नागरिकता कानून?

संशोधित नागरिकता कानून (Citizenship Amendment Act 2019) के बाद पड़ोसी देशों से भागकर भारत आए धार्मिक अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाएगी। ये नागरिकता पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और फारसी धर्म के लोगों को दी जाएगी। नागरिकता उन्हें मिलेगी जो एक से छह साल तक भारत में रहे हों। 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए लोगों को नागरिकता दी जाएगी। अन्य धर्म के लोगों को नागरिकता के लिए भारत में 11 साल रहना जरूरी है। 

PREV

Recommended Stories

Sonia Gandhi's Birthday: PM मोदी ने सोनिया गांधी को दी जन्मदिन की बधाई
4 साल के बच्चे को नहलाने गई मां, बाथरूम में दोनों की मौत-जो हुआ वो हर किसी के लिए है सबक!