अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कुछ लोगों के मन में भ्रांति है कि देश को 75 साल हो गए हैं जबकि हमारा देश तो चिरसनातन है और इसकी गणना कोई कर ही नहीं सकता।
देहरादून. केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने अपनी उत्तराखंड यात्रा के दौरान आज हरिद्वार में शांतिकुंज स्वर्ण जयंती वर्ष व्याख्यान माला में संबोधन दिया। इस अवसर पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) सहित कई बड़े नेता मौजूद थे। अमित शाह ने अपने संबोधन में कहा कि ये वर्ष गायत्री तीर्थ शांति कुंज का स्वर्ण जयंती वर्ष तो है ही, साथ ही में देश की आज़ादी के अमृत महोत्सव का वर्ष भी है। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों के मन में भ्रांति है कि देश को 75 साल हो गए हैं जबकि हमारा देश तो चिरसनातन है और इसकी गणना कोई कर ही नहीं सकता।
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शाह ने कहा कि 50 साल या 75 साल किसी व्यक्ति के जीवन में बहुत बड़ा कालखंड होता है, लेकिन किसी संस्था के लिए समाज में बदलाव लाने के लिए, देश में बदलाव लाने के लिए ये बहुत अल्प समय होता है। पंडित राम शर्मा ने इस संस्था के साथ जुड़े सभी लोगों के सामने लक्ष्य, समाज या देश में बदलाव लाने का नहीं बल्कि युग में बदलाव लाने का रखा था। बहुत सारे लोग जो अच्छे काम करते हैं, जिनसे देश में चेतना, देशभक्ति जागृत हो, देश की संस्कृति, हमारे सनातन धर्म को और ऊर्जा मिले, ऐसी गतिविधियां जहां जहां होती हैं, उन्हें बारीक़ी से देखते हैं और समर्थन करने का प्रयास करते हैं। इसी प्रकार गायत्रीतीर्थ शांति कुंज की गतिविधियों को भी देश में बहुत सारे लोग बारीक़ी से देखते हैं।
अमित शाह ने कहा कि जो हिम्मत करता है ईश्वर हमेशा उसकी मदद करता है और जब लक्ष्य हमारे लिए नहीं होता है तो असफलता की चिंता भी नहीं करनी चाहिए। जब ईश्वर के लिए लक्ष्य है तो हमें इसे पूरा करने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी जी प्रधानमंत्री बने, जब वे काशी गए और काशी विश्वनाथ का दर्शन कर उन्होने मां गंगा की आरती की तब इस देश में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परिवर्तन की एक नई शुरुआत हुई। शाह ने कहा कि जब भारत का प्रधानमंत्री पशुपतिनाथ के दर्शन के लिए जाता है और भारत के खजाने से रक्तचंदन पशुपतिनाथ के चरणों में समर्पित करता है तब पता चलता है कि देश की दिशा किस तरफ जा रही है। उनका कहना था कि इस परिवर्तन को तभी गति मिलती है जब देश का नागरिक देश के साथ जुड़ता है और हम सबका यह दायित्व है कि सालों के बाद हमें जिस परिवर्तन की अपेक्षा थी उसमें साथ दें।
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शाह ने कहा- हमारे सनातन धर्म को और ऊर्जा मिले ऐसी गतिविधियां जहां भी होती हैं उसको प्रोत्साहित करने का प्रयास करते हैं। इस अवसर पर अगर हम सुधरेंगे तो युग बदल जाएगा। मैं चार साल का था तभी मेरे दादाजी ने मुझे गायत्री मंत्र सिखाया था। गायत्री मंत्र का उच्चारण मैंने बचपन से ही शुरु किया। करुणा और अच्छा सोचना मानव जीवन की एक मूल भावना है। समझदारी, ईमानदारी, जिम्मेदारी और बहादुरी को जीवन का अभिन्न अंग मानना चाहिए।
संतों से भी की मुलाकात
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरिद्वार के शांतिकुंज आश्रम में गायत्री परिवार के प्रमुख प्रणव पंड्या से मुलाकात की। इसके साथ ही उन्होंने अपनी इस यात्रा में साधु-संतों से भी मुलाकात की।