भारत ने बीते 10 सालों में मेट्रो की क्षेत्र में शानदार प्रगति की है। इसकी वजह से शहरी आवागमन में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिला है।
भारत में मेट्रो रेल। भारत में सबसे पहले मेट्रो की शुरुआत की शुरुआत साल 1984 में कोलकाता में हुई थी। हालांकि, ये आज के जमाने की तरह आधुनिक नहीं थी। लेकिन भारत ने बीते 10 सालों में मेट्रो की क्षेत्र में शानदार प्रगति की है। इसकी वजह से शहरी आवागमन में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन देखने को मिला है। इससे बड़े शहरों में रहने वाले लोगों को बहुत राहत पहुंचाई है। आज देश भर में करीब 1 करोड़ यात्री प्रतिदिन मेट्रो का इस्तेमाल करते हैं। मेट्रो रेल की शुरुआत से पहले शहरी निवासियों को लगातार यातायात की भीड़ और पर्यावरण प्रदूषण सहित आवागमन की महत्वपूर्ण चुनौतियों से जूझना पड़ता था। ये स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सबसे बड़ा कारण होते थे।
भारत में तेजी से बढ़ती शहरी आबादी ने आवागमन की चुनौतियों को बढ़ा दिया था। हालांकि, मेट्रो रेल सुविधा आ जाने से शहरी परिवहन में क्रांति ला दी है। ये शहर में अपनी कुशलता की मदद से पर्यावरणीय प्रभावों को कम करते हुए लोगों की जिंदगी में बहुत काम आ रही है। बता दें कि बीजेपी की मोदी सरकार में मेट्रो के क्षेत्र में काफी तरक्की की है। इसमें साल 2017 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने एक नई मेट्रो रेल नीति को मंजूरी दी थी, जिसका उद्देश्य कई शहरों की बढ़ती मेट्रो रेल आकांक्षाओं को जिम्मेदारी से पूरा करना था।
मेट्रो रेल सिस्टम को अपडेट करने के लिए काम
पिछले नौ वर्षों में मेट्रो रेल नेटवर्क में पर्याप्त वृद्धि देखी गई है. इस दौरान देश भर में 657 किलोमीटर मेट्रो रेलवे लाइन जोड़े गए हैं। वर्तमान में 20 शहरों में लगभग 905 किमी मेट्रो रेल लाइन चालू है, जबकि 27 विभिन्न शहरों में 959 किमी निर्माणाधीन है। ये शहरी परिवहन बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। मेट्रो रेल प्रणालियों की ताकत और सुरक्षा बढ़ाने के लिए पिछले दशक में कई तकनीकी प्रगतियां शुरू की गई हैं। इनमें नमो भारत ट्रेन, यूरोपीय ट्रेन नियंत्रण प्रणाली (ETCS), प्लेटफ़ॉर्म स्क्रीन डोर (PSD),नेशनल कॉमन मोबिलिटी कार्ड (NCMC), QR-आधारित टिकटिंग, मानव रहित ट्रेन संचालन (UTO), स्वदेशी स्वचालित ट्रेन पर्यवेक्षण प्रणाली (I-ATS) तकनीक शामिल है।
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