भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर विवाद चरम पर है। लद्दाख में चीनी सैनिकों की हरकत के बाद से देश में चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मांग उठ रही है। ऐसे में हमें यह जानना काफी जरूरी है कि क्या चीन के उत्पादों या कच्चे माल के बिना भारत का बाजार संभव है।
नई दिल्ली. भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर विवाद चरम पर है। लद्दाख में चीनी सैनिकों की हरकत के बाद से देश में चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मांग उठ रही है। ऐसे में हमें यह जानना काफी जरूरी है कि क्या चीन के उत्पादों या कच्चे माल के बिना भारत का बाजार संभव है। आईए जानते हैं कि भारत में चीन का कितना पैसा लगा है और किस सेक्टर में कितना इंवेस्ट किया गया है।
2008 में जबसे दुनिया की अर्थव्यवस्था कमजोर हुई, तबसे चीन की इकोनॉमी में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। चीन ने अमेरिका की अर्थव्यवस्था से उलट मिडिल ईस्ट और अफगानिस्तान-पाकिस्तान में आतंकवादियों की मदद कर पैसे कमाए। हाल के सालों में दुनिया के लगभग हर देश ने चीन के साथ अपने रिश्ते मजबूत किए। चूंकि, भारत भी उभरते ग्लोबल पावर में अहम स्थान रखता है, इसलिए उसने भी चीन ने अपने रिश्ते मजबूत किए।
भारत में चीन का कितना पैसा लगा?
दूसरे देशों की अर्थव्यवस्था में चीन कई तरीकों से दखल देता है। चाहे वो सीधे तौर पर हो या दसरे देश की तकनीक और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के जरिए। आधिकारिक तौर पर चीन ने भारत में 2.34 अरब डॉलर रुपए का इन्वेस्टमेंट किया है। लेकिन कुछ ओब्जर्वर्स और एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन ने इससे भी ज्यादा पैसे भारत में इन्वेस्ट किए हैं। उनके मुताबिक, ये अमाउंट 6 बिलियन डॉलर से ज्यादा है। जबकि कुछ इसे 8 बिलियन डॉलर बता रहे हैं।
गूगल सर्च चाइनीज इन्वेस्टमेंट को लेकर ये साफ बताता है कि चीन ने भारत के स्टार्ट आप में काफी पैसा लगाया है। न्यूज रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत के बाजार में चीन की कई कंपनियां जैसे अलीबाबा, Xiaomi, Tencent, चीन-यूरेशिया आर्थिक सहयोग कोष, Chuxing, Shunwei और Fosun कैपिटल ने कई स्टार्टअप्स में इन्वेस्ट किया है।
भारत-चीन व्यापार
चीन के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ कस्टम्स के मुताबिक, 2019 के 11 महीनों में, यानी जनवरी से नवंबर तक चीन से भारत में हुए एक्सपोर्ट की कुल राशि 68 बिलियन डॉलर थी जबकि इम्पोर्ट की राशि 16.32 बिलियन डॉलर थी। यानी कि चीन और भारत के बीच इस व्यापार में 51.62 बिलियन डॉलर चीन के फेवर में इन्वेस्ट की गई।
बात अगर CARE रेटिंग्स की करें तो चीन से भारत में हुआ इम्पोर्ट 2016 से 2019 के बीच 4.48% की दर से बढ़ा; जबकि चीन में 23% की ग्रोथ देखी गई।
मोबाइल मार्केट
चीन की कई कंपनियां भारत के स्मार्टफोन मार्केट पर राज करती हैं। IDC के मुताबिक, 2020 के पहले छमाही में Xiaomi ने मार्केट में 31.2 प्रतिशत का शेयर पाया। दरअसल, भारत की टॉप 5 स्मार्टफोन कंपनियों में 4 चीन की ही हैं। इनमें वीवो 21%, रियलमी 13.1% और ओप्पो का शेयर 10.6 प्रतिशत है। इन कंपनियों ने भारत के बाजार में काफी पैसा लगाया है। या तो उन्होंने सीधे तौर पर फैक्ट्रीज सेट अप की है या किसी दूसरे कम्पनी के जरिए इन्वेस्टमेंट किया है। जैसे कि ताइवान की Foxconn।
स्टार्टअप्स में इन्वेस्टमेंट
चीन ही वो देश है, जो भारत के कई स्टार्टअप्स में पैसे लगाता है। भारत में इन्वेस्ट करने वाली मुख्य कंपनियां Tencent, Shunwei Capital, Alibaba, Xiaomi and Fosun Capital ही है। भारतीय कंपनियों में भी चीन ही इन्वेस्ट करती है। जैसे कि पेटीम भारत का स्टार्टअप है लेकिन उसमें इन्वेस्ट करने वाले Alibaba और Ant Financial है। इसी तरह ओला में China-Eurasia Economic Cooperation Fund, Didi Chuxing, Tencent और Sailing Capital ने पैसा लगाया है। जबकि ओयो में Didi, Huazhuhui तो स्नेपडील में Alibaba और Tybourne Capital, स्विग्गी में Hillhouse Capital, Meituan, Tencent ने इन्वेस्ट किया है। वेंचर इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2015 से 2019 तक चीन ने भारत के स्टार्टअप्स में 5.5 बिलियन डॉलर इन्वेस्ट किया है।
सप्लाई चेन
चीन और भारत के इंडस्ट्रियल रिलेशन काफी गहरे हैं। डन और ब्रैडशीट के मुताबिक़, चीन ने भारत में थोक दवाओं के व्यापर में 68% मदद की है। जबकि इलेक्ट्रॉनिक्स में ये हिस्सा 43.2% है। कपड़ों के बाजार में 27% और ऑटो सहायक के बाजार में चीन ने भारत को 8.6% की मदद दी है। इन दिनों दुनिया में इलेक्ट्रिक गाड़ियों की मांग बढ़ गई है। चीन ने इसमें भी पूरी दुनिया के 70 प्रतिशत हिस्सेदारी पर हक बनाया है।
अन्य निवेश
इन सबके अलावा आधिकारिक डेटा के मुताबिक, चीन ने भारत में 2.34 बिलियन डॉलर निवेश में बढ़त की है। लेकिन कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि असल में चीन ने भारत में 6.2 बिलियन का निवेश किया है, जिसमें वो इन्वेस्टमेंट भी शामिल हैं जो इनडायरेक्ट वे में किये जाते हैं। इसके अलावा चीन के कई पर्यटक भारत में हर साल 550 मिलियन डॉलर खर्च करते हैं। भारत चीन के साथ एक्सपोर्ट रेट में लगातार बढ़त बनाने की कोशिश में जुटा है। और रिपोर्ट्स के मुताबिक़, 2016-17 के दौरान इसमें 23 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। जबकि इम्पोर्ट का रेट अभी 4.5 प्रतिशत है।
5 जी को बना सकता है हथियार
लेकिन आने वाले समय में 5g के जरिए चीन भारत की अर्थव्यवस्था में और भी ज्यादा हिस्सेदारी बना सकता है। जहां अमेरिका में डोनल्स ट्रम्प और दूसरे यूरोपियन कंपनियों ने चीन पर मार्केट पर राज करने पर रोक लगाई हुई है, वहीं भारत ने चीन के Huawei कंपनी को 5G ट्रायल के लिए साइन किया है। 5G तकनीक को भविष्य में सरकार और बिजनेस का आधार कहा जा रहा है। अब चीन बॉर्डर पर जो भी टेंशन क्रिएट कर रही है, इसके बाद शायद सरकार चीन को 5G के फील्ड में एंट्री देने से पहले 100 बार सोचेगी।