Exclusive: चांद से धरती तक 1 फोटो आने में कितना वक्त लगता है?, ISRO चैयरमैन से जानें पूरा प्रोसेस

चंद्रयान-3 और फ्यूचर मिशन को लेकर Asianet News Network के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन राजेश कालरा ने ISRO चेयरमैन एस सोमनाथ से इसरो सेंटर में विस्तार से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने बताया कि चांद से धरती तक 1 फोटो आने में आखिर कितना समय लगता है।

ISRO Chief S Somnath Exclusive Interview: चंद्रयान-3 मिशन कामयाब होने के बाद स्लीप मोड में गए प्रज्ञान रोवर और विक्रम लैंडर को जगाने की कोशिशें की जा रही हैं। 22 सितंबर को चंद्रमा पर सूर्योदय होने के बाद भारतीय वैज्ञानिक विक्रम-रोवर से से संपर्क स्थापित करने की कोशिशें कर रहे हैं। ISRO को उम्मीद है कि दोनों सूर्य की रोशनी से एक बार फिर एक्टिव होंगे। चंद्रयान-3 और फ्यूचर मिशन को लेकर Asianet News Network के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन राजेश कालरा ने ISRO चेयरमैन एस सोमनाथ से इसरो सेंटर में विस्तार से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने बताया कि चांद से धरती तक 1 फोटो आने में आखिर कितना समय लगता है।

इन 4 चीजों पर निर्भर करती है डेटा ट्रांसफर की स्पीड

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इसरो चीफ एस सोमनाथ के मुताबिक, स्पीड के बारे ठीक-ठीक कहना कठिन होगा, क्योंकि हमने इस बार एस बैंड का प्रयोग किया है। कई बार हम दूसरे बैंड का इस्तेमाल करते हैं। डेटा की स्पीड बैंड, सिग्नल, पॉवर और ग्राउंड एंटीना पर निर्भर करती है। यह सब मिलकर डेटा ट्रांसफर का रेट डिसाइड करते हैं। इनमें भी सबसे ज्यादा जरूरी पावर है।

प्रज्ञान पहले विक्रम को तस्वीर भेजता है, फिर हमें मिलती है

इसरो चेयरमैन ने बताया कि अगर प्रज्ञान रोवर कोई पिक्चर लेगा तो वह पहले लैंडर को भेजेगा। इसके बाद लैंडर हम तक पहुंचाएगा। इसमें पावर का बड़ा रोल है। 1 पिक्चर हम तक पहुंचने में कई बार घंटों लग जाते हैं। जैसे हमने इसमें जो बैटरी लगाई है वो कितने छोटे पैनल में लगी है और कितना पावर जनरेट करती है। इस पर भी डिपेंड करता है। आर्बिट का एंटीना बेहतर काम करे तो ये ये प्रॉसेस और जल्दी होगी और हम तक फोटो जल्दी पहुंचेगी।

चंद्रयान-3 मिशन : एक नजर

- 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 मिशन देश के सबसे भारी रॉकेट GSLV लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM-3) से लॉन्च किया गया।

- करीब 42 दिनों की यात्रा के बाद 23 अगस्त को विक्रम लैंडर ने चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग की। इस दौरान PM मोदी दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग से वचुर्अल माध्यम के जरिए ISRO से जुड़े और पूरी प्रॉसेस देखी।

- इसके बाद विक्रम लैंडर के साथ गए प्रज्ञान रोवर ने चांद की सतह पर घूमकर पेलोड्स के जरिए नई जगहों की जांच-पड़ताल की।

- चांद की तस्वीरें भेजने और जांच-पड़ताल के बाद इसरो ने 2 सितंबर को प्रज्ञान रोवर और 4 सितंबर को विक्रम लैंडर को स्लीप मोड में डाला।

- हालांकि, 22 सितंबर को चांद पर एक बार फिर सूर्य की रोशनी पड़ने के बाद लैंडर और रोवर के दोबारा एक्टिव होने का इंतजार है।

- बता दें कि भारत का चंद्रयान-3 मिशन दुनिया का सबसे सस्ता Moon मिशन है। इस पर सिर्फ 615 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, जो कई बड़ी फिल्मों के बजट से भी कम है।

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