सार
इसरो चीफ एस सोमनाथ ने गगनयान मिशन से जुड़े एक महत्वूपर्ण टेस्ट के बारे में बताया, जो अगले महीने यानी अक्टूबर, 2023 में होना है। साथ ही उन्होंने कहा- हमारा टारगेट है कि अगले 1 साल के भीतर सभी तरह के टेस्ट पूरे कर लिए जाएं।
ISRO Chairman S Somnath Exclusive Interview: चंद्रयान-3 के साथ चांद पर भेजे गए लैंडर-रोवर फिलहाल स्लीपिंग मोड में हैं। 22 सितंबर को चंद्रमा के साउथ पोल पर एक बार फिर सूरज की रोशन पहुंचने के साथ ही ISRO इन्हें जगाने की कोशिश करेगा। चंद्रयान-3 और फ्यूचर मिशन को लेकर Asianet News Network के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन राजेश कालरा ने ISRO चेयरमैन एस सोमनाथ से इसरो सेंटर में विस्तार से बातचीत की। इस दौरान उन्होंने अगले महीने यानी अक्टूबर, 2023 में होने वाले एक बड़े टेस्ट के बारे में बताया। इसके अलावा 2025 में इसरो के सबसे बड़े मिशन पर भी बात की।
क्रू मेंबर्स की सेफ्टी गगनयान मिशन में सबसे बड़ा चैलेंज
इसरो चीफ एस सोमनाथ के मुताबिक, गगनयान एक तरह का कॉम्पलेक्स प्रोजेक्ट है। जब हम लांचिंग की बात करते हैं तो पहले यह श्योर करते हैं कि कुछ भी गलत न हो। यह रिस्की होता है। हम 4 साल से गगनयान की तैयारी कर रहे हैं और हर तरह के चैलेंजेस का सामना किया है। हमने कई बार रि-इंजीनियरिंग, रि-डिजाइनिंग की है, ताकि सबकुछ अच्छे से हो। लेकिन सबसे बड़ा चैलेंज था क्रू मेंबर्स की सेफ्टी का। जैसे पहले गगनयान मिशन में कई प्रॉब्लम आई। इसे करेक्ट करने में 5 साल या कभी 10 साल भी लगते हैं, क्योंकि इसमें ह्यूमन बीइंग का इंवाल्वमेंट है।
अगले महीने होने जा रहा क्रू अबार्ट टेस्ट
इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ ने बताया- गगनयान मिशन के लिए हमने अपनी टीम और सरकार से बात की है। इस मिशन को जल्दबाजी में पूरा करना काफी रिस्की हो सकता है। इसके लिए हमारे पास पूरा समय और फुल कॉन्फिडेंस होना चाहिए। हमने अभी तक 100 से ज्यादा टेस्ट किए हैं। हमारा टारगेट है कि अगले 1 साल के भीतर सभी तरह के टेस्ट पूरे कर लिए जाएं। फाइनल मैन मिशन 2025 से पहले पूरा नहीं हो सकता है। इस मिशन का सबसे बड़ा टेस्ट यानि क्रू अबार्ट टेस्ट अगले महीने होने जा रहा है।
चंद्रयान-3 मिशन : एक नजर
- 14 जुलाई 2023 को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 मिशन देश के सबसे भारी रॉकेट GSLV लॉन्च व्हीकल मार्क-3 (LVM-3) से लॉन्च किया गया।
- करीब 42 दिनों की यात्रा के बाद 23 अगस्त को विक्रम लैंडर ने चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग की। इस दौरान PM मोदी दक्षिण अफ्रीका के जोहान्सबर्ग से वचुर्अल माध्यम के जरिए ISRO से जुड़े और पूरी प्रॉसेस देखी।
- इसके बाद विक्रम लैंडर के साथ गए प्रज्ञान रोवर ने चांद की सतह पर घूमकर पेलोड्स के जरिए नई जगहों की जांच-पड़ताल की।
- चांद की तस्वीरें भेजने और जांच-पड़ताल के बाद इसरो ने 2 सितंबर को प्रज्ञान रोवर और 4 सितंबर को विक्रम लैंडर को स्लीप मोड में डाला।
- हालांकि, 22 सितंबर को चांद पर एक बार फिर सूर्य की रोशनी पड़ने के बाद लैंडर और रोवर के दोबारा एक्टिव होने का इंतजार है।
- बता दें कि भारत का चंद्रयान-3 मिशन दुनिया का सबसे सस्ता Moon मिशन है। इस पर सिर्फ 615 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं, जो कई बड़ी फिल्मों के बजट से भी कम है।
ये भी देखें :
Exclusive: क्या हैं ISRO के सबसे बड़े लक्ष्य, ये जानकर हर भारतीय का सीना हो जाएगा चौड़ा