Chandrayaan-3: जानें चंद्रयान-3 के चांद पर पहुंचने से 140 करोड़ देशवासियों को क्या होगा फायदा

Chandrayaan-3: भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग कराकर इतिहास रच दिया है। भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। आखिर ये मून मिशन भारत के लिए क्यों इतना महत्वपूर्ण है और इससे देसवासियों को क्या हासिल होगा?

Ganesh Mishra | Published : Aug 23, 2023 1:47 PM IST / Updated: Aug 23 2023, 07:22 PM IST

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1. पूरी दुनिया मानेगी भारत का लोहा

ISRO के पूर्व वैज्ञानिक मनीष पुरोहित के मुताबिक, इस मिशन के जरिए भारत दुनिया को ये दिखाना चाहता है कि उसके पास चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को वहां चलाने का दमखम है। इससे भारत की स्पेस कैपेबिलिटी पर दुनिया का विश्वास और मजबूत होगा, जिससे कमर्शियल बिजनेस बढ़ाने में मदद मिलेगी।

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2- भारत में बढ़ेगी दुनियाभर के इन्वेस्टर्स की रुचि

भारत ने अपने हेवी लिफ्ट लॉन्च व्हीकल LVM3-M4 से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया है। इस व्हीकल क्षमता दुनिया पहले भी देख चुकी है। पिछले दिनों अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस की कंपनी 'ब्लू ओरिजिन' ने इसरो के LVM3 रॉकेट के इस्तेमाल में रुचि दिखाई थी। अमेजन की सबसिडरी कंपनी ब्लू ओरिजिन LVM3 का इस्तेमाल बिजनेस और टूरिज्म के लिए करना चाहती है। ऐसे में इस मिशन की कामयाबी से दुनियाभर के इन्वेस्टर्स की रुचि भारत में बढ़ेगी।

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3- देश की इकोनॉमी होगी मजबूत

भारत की स्पेस एजेंसी ISRO पूरी दुनिया में सबसे कम लागत में सैटेलाइट्स को अंतरिक्ष में भेजने के लिए जानी जाती है। चंद्रयान-3 की कामयाबी से दुनियाभर के इन्वेस्टर्स स्पेस प्रोजेक्ट्स के लिए भारत के साथ मिलकर काम करेंगे। इससे हमारे देश में रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। साथ ही दूसरी स्पेस एजेंसियां भी भारत से मदद मांगने के लिए आगे आएंगी।

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4- रोवर भेजेगा चांद से जुड़ी अहम जानकारियां

चंद्रयान-3 मिशन के साथ गए लैंडर और रोवर बड़े पैमाने पर रिसर्च करने के साथ ही चंद्रमा की सतह और पर्यावरण के बारे में महत्वपूर्ण डेटा इकट्ठा करने में मददगार साबित होंगे। चंद्रयान-3 के साथ गया रोवर चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद वैज्ञानिकों को चांद से जुड़ी जानकारियां भेजेगा। रोवर चंद्रमा की सरफेस से लेकर वहां के वातावरण और पानी की मौजूदगी के बारे में भी जानकारी देगा। इससे भारत को चंद्रमा से जुड़े कई रहस्यों को सुलझाने में मदद मिलेगी।

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5- चांद के दक्षिणी ध्रुव से जुड़ी कई चीजों से उठेगा पर्दा

चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम (Lander Vikram) के चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर प्रज्ञान (Pragyan rover) चांद की सतह पर उतरेगा और चंद्रमा से जुड़ी जानकारियां इकट्ठा करना शुरू कर देगा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अब तक चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव से जुड़ी बेहद कम जानकारी ही दुनिया के पास है। ऐसे में इस मिशन की कामयाबी से चांद के दक्षिणी ध्रुव की कई अहम जानकारी भारत को मिल सकती है।

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6- भविष्य में मून मिशन के लिए उपयोगी

माना जा रहा है कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर तापमान -100 डिग्री से भी कम होने की वजह से वहां पानी और खनिज मिल सकते हैं। कुछ वैज्ञानिकों ने यहां बर्फ की मौजूदगी की भी बात कही है। हर किसी की इच्छा है कि वो चांद पर कालोनियां बना सके। ऐसे में वहां के वातावरण से जुड़ी जानकारी मिलने पर ये काम आसान हो जाएगा। इसके अलावा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर मौजूद मिट्टी और चट्टानों का अध्ययन करने से वैज्ञानिकों को चंद्रमा के इतिहास और भू-विज्ञान की जानकारी मिल सकेगी। ये भविष्य में चंद्रमा पर भेजे जाने वाले मानव मिशनों के लिए उपयोगी साबित होगी।

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7- स्पेस रेस में अमेरिका, चीन और रूस को टक्कर देगा भारत

बता दें कि चंद्रयान-3 मिशन की बदौलत अगर भारत ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग करा दी तो ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा। अब तक कोई भी साउथ पोल पर लैंडिंग नहीं करा सका है। ऐसे में इस मिशन की सफलता से भारत स्पेस की दुनिया में अमेरिका, चीन और रूस से भी आगे निकल जाएगा।

ये भी देखें : 

Chandrayaan 3 Timeline: लॉन्चिंग से लैंडिंग तक, देखें भारत के मून मिशन चंद्रयान-3 का अब तक का सफर

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