700 करोड़ रुपये की ठगी के शिकार हुए 15000 लोग: चीन में बैठे आका के इशारे पर होती रही ठगी, दुबई के जरिए ट्रांसफर हुए फंड

हैदराबाद पुलिस ने इस गिरोह का भंड़ाफोड़ किया है। गिरफ्तार नौ लोग अलग-अलग शहरों के रहने वाले हैं।

Dheerendra Gopal | Published : Jul 24, 2023 10:40 AM IST / Updated: Jul 24 2023, 05:58 PM IST

हैदराबाद: ठगों के एक बड़े गिरोह का भंड़ाफोड़ हुआ है। चीनी हैंडलर्स से जुड़ा यह गिरोह देश के करीब 15000 लोगों से 700 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की है। यह सारा पैसा दुबई के रास्ते चीन भेजा गया है। काफी सारा धन लेबनान के आतंकी ग्रुप हिजबुल्लाह द्वारा संचालन किए जा रहे एक अकाउंट में भी फंड ट्रांसफर किए गए हैं। हैदराबाद पुलिस ने इस गिरोह का भंड़ाफोड़ किया है। गिरफ्तार नौ लोग अलग-अलग शहरों के रहने वाले हैं।

हैदराबाद पुलिस कमिश्नर सीवी आनंद ने बताया कि इस गिरोह के बारे में केंद्रीय एजेंसियों को अलर्ट कर दिया गया है। गृह मंत्रालय की साइबर क्राइम यूनिट को डिटेल दे दिया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस को संदेह है कि पैसे का एक हिस्सा क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया गया और हिजबुल्लाह द्वारा संचालित वॉलेट में जमा कर दिया गया। नौ लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इनमें से चार हैदराबाद से, तीन मुंबई से और दो अहमदाबाद से हैं। गिरोह के आधा दर्जन और लोगों की तलाश पुलिस कर रही है।

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इस तरह करते थे फर्जीवाड़ा

हैदराबाद पुलिस की साइबर अपराध शाखा ने अप्रैल में एक व्यक्ति द्वारा संपर्क किए जाने के बाद मामले की जांच शुरू की। पीड़ित ने बताया कि उसके साथ 28 लाख रुपये की धोखाधड़ी की गई है। पीड़ित को फ्रॉड करने वालों ने पहले यूट्यूब वीडियो आदि पर लाइक करने और उसके एवज में पैसे बनाने का लालच दिया। लाइक करने पर रकम भी खाते में ट्रांसफर किए गए। इसके बाद छोटे-छोटे टॉस्क को पूरा करने और छोटी-छोटी अमाउंट को इन्वेस्ट कराकर बेहतर रिटर्न देने लगे। बेहतर रिटर्न देने के बाद कई टॉस्क देते हुए इन्वेस्टमेंट कराने लगे और बड़ी रकम लगवाने के बाद, उससे बेहतर रिटर्न के लिए और अधिक अमाउंट डालने को कहते। फिर जब इन्वेस्ट करने वाला फेल हो जाता तो उसकी सारी रकम जब्त कर लेते। पुलिस ने बताया कि जिन पीड़ितों को औसतन 5-6 लाख रुपये का नुकसान हुआ है, उनसे टेलीग्राम और व्हाट्सएप पर संपर्क किया गया। उन्होंने ₹5,000 तक की छोटी राशि का निवेश किया और उन्हें पहला कार्य पूरा करने के बाद उच्च रिटर्न दिया गया, जिसमें कुछ मामलों में पैसा दोगुना भी शामिल था। फिर निवेशकों को 7-8 लेनदेन की श्रृंखला में अधिक रकम लगाने के लिए कहा गया। एक फर्जी विंडो में कथित तौर पर निवेशकों द्वारा कमाया गया पैसा दिखाया गया था लेकिन जब तक उन्होंने सभी कार्य पूरे नहीं कर लिए तब तक उन्हें पैसे निकालने की अनुमति नहीं थी। कई लाख लगाने के बाद उनको ठगी का अहसास होता।

हैदराबाद पुलिस ने केवल एक शिकायकर्ता की जांच से बड़ा खुलासा किया

अप्रैल में शिवा ने हैदराबाद साइबर अपराध शाखा से संपर्क किया। उसे साइबर जालसाजों द्वारा 28 लाख रुपये का चूना लगाया गया है। जांचकर्ताओं को 48 बैंक खाते मिले जो शेल कंपनियों के नाम पर स्थापित किए गए थे। उस वक्त एजेंसी का मानना था कि यह धोखाधड़ी 584 करोड़ रुपये की थी। कुछ और आगे जांच बढ़ी तो 128 करोड़ रुपये की और ठगी का खुलासा हुआ। घोटाले में कुल 113 भारतीय बैंक खातों का इस्तेमाल किया गया था।

चीन का हो सकता है मास्टरमाइंड

पैसा कई खातों के माध्यम से स्थानांतरित किया गया और क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया गया। इसके बाद इसे दुबई के रास्ते चीन भेजा गया। एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि जो खाते भारत में भारतीय सिम कार्ड का उपयोग करके खोले गए थे उन्हें बाद में दुबई में रिमोट से संचालित किया गया। जालसाज चीनी ऑपरेटरों के संपर्क में थे जो घोटाले के मास्टरमाइंड हैं। ऐसा ही एक खाता हैदराबाद स्थित राधिका मार्केटिंग कंपनी के नाम पर था और मुनव्वर नाम के एक व्यक्ति के नाम पर पंजीकृत फोन नंबर से जुड़ा था जो शहर का ही रहने वाला है। मुनव्वर तीन सहयोगियों - अरुल दास, शाह सुमैर और समीर खान के साथ लखनऊ गए थे और उन्होंने 33 शेल कंपनियों के 65 खाते खोले। उन्हें प्रत्येक खाते के लिए ₹ 2 लाख का भुगतान किया गया और पुलिस द्वारा मुनव्वर का पता लगाने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। मुनव्वर ने पुलिस को बताया कि खाते घोटाले में शामिल तीन अन्य लोगों के निर्देश पर खोले गए थे। इनकी पहचान उन्होंने केवल मनीष, विकास और राजेश के रूप में की गई है। पुलिस इन तीनों लोगों की तलाश कर रही है।

65 अकाउंट्स से 128 करोड़ रुपये की लेनदेन

65 अकाउंट्स का उपयोग चीनी मास्टरमाइंडों ने किया है। पुलिस के अनुसार इन खातों को चीनी नागरिक केविन जून, ली लू लैंगझोउ और शाशा द्वारा ऑपरेट कर 128 करोड़ रुपये से अधिक रकम ट्रांसफर किया गया है। कई खाते दुबई से ऑपरेट किए गए हैं। इस्तेमाल किए गए कई वॉलेट अहमदाबाद स्थित प्रकाश मूलचंदभाई प्रजापति और कुमार प्रजापति के थे। दोनों गिरफ्तार हैं। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि प्रकाश चीनी हैंडलर्स से बात करता था और उनके साथ बैंक खाते का विवरण और अन्य जानकारी साझा करता था। अधिकारी ने कहा कि मुंबई से भी तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उनके पास दुबई स्थित कम से कम छह लोगों के बारे में जानकारी है जो घोटाले में शामिल थे।

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