गेम चेंजर साबित हो सकती है 86 साल पुरानी दवा, 70% तो भारत बनाता है, 30 दिन में 20 करोड़ टैबलेट्स की क्षमता

कोरोना वायरस से निपटने के लिए अभी तक कोई दवा नहीं बनी है, लेकिन दुनिया में मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का बोलबाला है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प भी दवा को पाने के लिए परेशान हैं। भारत को धमकी भी दे रहे हैं।

नई दिल्ली. कोरोना वायरस से निपटने के लिए अभी तक कोई दवा नहीं बनी है, लेकिन दुनिया में मलेरिया की दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन का बोलबाला है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प भी दवा को पाने के लिए परेशान हैं। भारत को धमकी भी दे रहे हैं। हालांकि भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है कि जरूरत के हिसाब से वह दूसरे देशों को दवाओं का निर्यात करेगा। सरकार के मुताबिक, भारत के पास पर्याप्त मात्रा में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा है। इसलिए कम से कम भारत के लोगों को इस दवा की कमी को लेकर सोचने या परेशान होने की जरूरत नहीं है।

- कोरोना महामारी में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा को गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है। इस दवा को लेकर भारत से दूसरे देशों की उम्मीद ज्यादा है। इसकी वजह है कि इस दवा की पूरी सप्लाई का 70% हिस्सा भारत में ही बनता है। दावा किया जा रहा है कि भारत ने अप्रैल-जनवरी 2019-2020 के दौरान 1.22 बिलियन अमेरिकी डॉलर कीमत की हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन ओपीआई एक्सपोर्ट किया था।

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- मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक, भारत 30 दिन में 40 टन हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन दवा बनाने की क्षमता रखता है। यानी 20 मिलीग्राम की 20 करोड़ टैबलेट्स बनाया जा सकता है।


86 साल पुरानी हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा का उपयोग?
1934 में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा बनी। इसका उपयोग दशकों से दुनिया भर में मलेरिया के इलाज के लिए किया जाता है। 1955 में संयुक्त राज्य अमेरिका में चिकित्सीय उपयोग के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को मंजूरी दी गई थी। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवाओं की सूची में है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल मलेरिया के इलाज में किया जाता है। इस दवा की खोज सेकंड वर्ल्ड वॉर के वक्त की गई थी। उस वक्त सैनिकों के सामने मलेरिया एक बड़ी समस्या थी। 

- जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ल्यूपस सेंटर के अनुसार, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द, त्वचा पर चकत्ते, दिल की सूजन और फेफड़ों की लाइनिंग, थकान और बुखार जैसे लक्षणों को ठीक करने में किया जाता है। 

भारत में यह दवा सिर्फ हेल्थ वर्कर्स को ही दी जा रही है 
हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन नाम की यह दवा प्लाक्वेनिल ब्रांड के तहत बेची जाती है और यह जेनेरिक के रूप में उपलब्ध है। हेल्थ मिनस्टरी में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा पर कहा, इस दवा के कोरोना पर असर को लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं है। जो हेल्थ वर्कर कोविड-19 मरीजों के बीच काम कर रहे हैं उन्हें ही यह दवा दी जा रही है।

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