राज्यमंत्री ने बताया कि डीआईआर-वी से देश में उद्योग से जुड़े लोगों के लिए तकनीकी अवसर पैदा होंगे और यह इंडिया टेकेड के लक्ष्यों को हासिल करने में अहम भूमिका निभाएगा।
Rajeev Chandrasekhar in IIT Madras seminar: केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने रविवार को कहा कि भारत सरकार डीआईआर-V को भारतीय आईएसए (इंस्ट्रक्शन सेट आर्किटेक्चर) बनाने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। डीआईआर-वी से देश में उद्योग से जुड़े लोगों के लिए तकनीकी अवसर पैदा होंगे और यह इंडिया टेकेड के लक्ष्यों को हासिल करने में अहम भूमिका निभाएगा।
आईटी राज्यमंत्री, आईआईटी मद्रास द्वारा आयोजित डिजिटल इंडिया RISC-V (डीआईआर-V) सेमीनार को वीडियो कान्फ्रेंसिंग से संबोधित कर रहे थे। कांफ्रेंस में राजीव चंद्रशेखर ने डीआईआर-V के लिए सरकार के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि सरकार का मकसद प्रभावी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप और आईआईटी मद्रास जैसे प्रमुख शैक्षणिक संस्थानों के साथ सहयोग के माध्यम से आरआईएससी-वी के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम बनाना है। पिछले साल लॉन्च किए गए डीआईआर-V कार्यक्रम का उद्देश्य उन्नत माइक्रोप्रोसेसर बनाकर भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को बढ़ावा देना है।
देश में तकनीकी अवसर पैदा होंगे
राज्यमंत्री ने बताया कि डीआईआर-वी से देश में उद्योग से जुड़े लोगों के लिए तकनीकी अवसर पैदा होंगे और यह इंडिया टेकेड के लक्ष्यों को हासिल करने में अहम भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि आज भारत का भविष्य उज्ज्वल है। डीआईआर-V में संभावनाएं हैं। हमारे प्रधान मंत्री पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि यह पहल इंडिया टेकेड को परिभाषित करेगी और इससे अनेक तकनीकी अवसर पैदा होंगे। यह भारत में हमारे इंजीनियरों और स्टार्टअप्स की क्रिएटिविटी और इनोवेशन से प्रेरित होगा। इनोवेशन, कार्यक्षमता और प्रदर्शन, ये डीआईआर-V कार्यक्रम के लिए आने वाले वर्षों के मंत्र हैं।
ऐसे स्वदेशी कार्यक्रमों के महत्व पर जोर देते राज्यमंत्री ने कहा कि लगातार बढ़ते डिजिटलीकरण और नए अनुप्रयोगों के लिए सिलिकॉन चिप्स की मांग बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि जब 5जी और 6जी के आगमन के साथ इंटरनेट अधिक जटिल होगा तब नए एप्लीकेशंस की खोज की जाएगी। सिलिकॉन चिप्स, सेमीकंडक्टर और अन्य सिस्टम के लिए अधिक अवसर होंगे। जब हम प्रदर्शन और अनुप्रयोगों के बारे में बात करते हैं तो मैं एक ऐसा भविष्य देखता हूं जहां कई डिजिटल प्रोडक्ट जिनका हम आज उपभोग करते हैं। चाहे वह क्लाउड, डेटा सेंटर, मोबाइल डिवाइस, टैबलेट, क्लाउड सेवाओं के लिए सर्वर, ऑटोमोटिव तकनीक, सेंसर, आईओटी, 5जी, या 6जी नेटवर्क हों, हम इन सभी में डीआईआर वी-आधारित चिप्स, डिवाइस और सिस्टम देखेंगे।
राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि भारत के उच्च-प्रदर्शन कंप्यूटिंग के सभी लक्ष्यों के केंद्र में डीआईआर-V को रखना जरूरी है। उन्होंने विशेष रूप से डीआईआर-V कार्यक्रम के संदर्भ में आईआईटी मद्रास और सी-डैक के बीच साझेदारी की सराहना की।
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