कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में अवैध सफारी और कंस्ट्रक्शन: SC की कमेटी ने पूर्व मिनिस्टर हरक सिंह रावत और DFO को ठहराया जिम्मेदार

Published : Jan 26, 2023, 06:48 AM ISTUpdated : Jan 26, 2023, 06:51 AM IST
Corbett Tiger Reserve

सार

सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति ने उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और तत्कालीन वन मंडल अधिकारी (DFO) किशन चंद को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में विभिन्न अवैध गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। 

ऋषिकेश (Rishikesh). उत्तराखंड में जोशीमठ में बेतहाशा अवैध कंस्ट्रक्शन के चलते पैदा हुए प्राकृतिक संकट से मकानों में दरारें पड़ने का मामला अभी ठंडा नहीं पड़ा था कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व को लेकर गहमागहमी शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट की केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति(Central Empowered Committee) ने उत्तराखंड के पूर्व वन मंत्री हरक सिंह रावत और तत्कालीन वन मंडल अधिकारी (DFO) किशन चंद को कॉर्बेट टाइगर रिजर्व(Corbett Tiger Reserve) में विभिन्न अवैध गतिविधियों के लिए जिम्मेदार ठहराया है। पढ़िए पूरी बात...

कमेटी ने कहा कि कॉर्बेट टाइगर रिजर्व के कालागढ़ वन प्रभाग के पखरो और मोरघट्टी वन क्षेत्रों में 2021 में टाइगर सफारी सहित कंस्ट्रक्शन के लिए ये लोग जिम्मेदार हैं।

एडवोकेट गौरव कुमार बंसल द्वारा दायर याचिका पर मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को सौंपी गई अपनी रिपोर्ट में समिति ने रावत और किशन चंद को पखरो और मोरघट्टी वन क्षेत्रों में टाइगर सफारी और अन्य अवैध परियोजनाओं के संबंध में निर्माण गतिविधियों के लिए दोषी ठहराया।

किशन चंद द्वारा की गई अनियमितताओं के लिए रावत को जिम्मेदार ठहराते हुए समिति ने सिफारिश की है कि सुप्रीम कोर्ट रावत को नोटिस जारी करे और उन्हें सुनवाई का अवसर दे। कोर्ट ने इन अनियमितताओं में शामिल वन अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही जारी रखने के लिए उत्तराखंड सतर्कता विभाग को भी हरी झंडी दे दी है।

रिपोर्ट के पेज 94 पर कमेटी ने कहा है कि जब मीडिया पखरो और मोरघट्टी में हर तरह की गड़बड़ी की खबर दे रहा था, तब भी तत्कालीन चीफ वाइल्डलाइफ वार्डन और राज्य सरकार ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।

कथित अनियमितताओं के आरोप में वन रेंजर बृज बिहारी शर्मा और चंद को जेल भेज दिया गया है, जबकि तत्कालीन मुख्य वन्य जीव वार्डन झाबर सिंह सुहाग रिटायर्ड हो चुके हैं। सुहाग रिटायरमेंट से पहले सस्पेंड भी हो गए थे।

उत्तराखंड के कद्दावर नेताओं में से एक रावत पिछली भाजपा सरकार में वन मंत्री थे। उन्हें 2022 के विधानसभा चुनावों से पहले पार्टी द्वारा निष्कासित कर दिया गया था, जिसके बाद वह कांग्रेस में शामिल हो गए।

कार्बेट के कालागढ़ डिवीजन में डीएफओ रहते हुए किशन चंद पर पाखरो रेंज में पेड़ों के अवैध कटान व निर्माण के गंभीर आरोप लगे थे। ये अवैध काम टाइगर सफारी के नाम पर कराए गए थे। हल्द्वानी सेक्टर की विजिलेंस में FIR दर्ज होने के बाद किशन पहले हाई कोर्ट में अपील कर बचता रहा था। आखिरकार बाद में उसे गिरफ्तार कर लिया गया।

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत के सबसे पुराने टाइगर रिजर्व में से एक है। इतना ही नहीं ये एशिया में बनने वाला पहला राष्ट्रीय उद्यान भी है। उत्तराखंड राज्य में स्थित यह पार्क 1318 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ ये टाइगर रिजर्व अपने बाघों, पक्षियों और अन्य वन्य जीवों की हजारों प्रजातियों का घर है।

कॉर्बेट पार्क भारत का पहला राष्ट्रीय पार्क है, जो वर्ष 1936 में स्थापित हुआ था। पहले इसका नाम हैली नेशनल पार्क था। 1957 में प्रकृतिवादी, प्रख्यात संरक्षणवादी स्वर्गीय जिम कॉर्बेट की याद में पार्क को कॉर्बेट नेशनल पार्क के रूप में परिवर्तित किया गया। इसकी दूरी नैनीताल से कालाढूंगी एवं रामनगर होते हुए 118 किलोमीटर है। पार्क का एक प्रमुख हिस्सा 312.86 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल पौड़ी गढ़वाल जिले में और शेष 208.14 वर्ग किलोमीटर नैनीताल जिले में आता है। प्रशासनिक दृष्टि से पार्क कालागढ़ और रामनगर वन प्रभागों के अंतर्गत आता है।

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