भारत ने चीन सीमा के पास बनाया 'फॉरेन ट्रेनिंग नोड', 9500 फीट की ऊंचाई पर इस देश की सेना संग होगा युद्धाभ्यास

भारत का पड़ोसी चीन अक्सर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास आक्रामक रुख दिखाता है। ऐसे में चीन को करारा जवाब देने के इरादे से अब भारतीय सेना ने उत्तराखंड के औली में ऊंचाई वाले क्षेत्र में फॉरेन ट्रेनिंग नोड बनाया है। भारत यहां अपने मित्र देशों के साथ मिलकर संयुक्त युद्धाभ्यास करेगा।

नई दिल्ली। भारत का पड़ोसी चीन अक्सर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास आक्रामक रुख दिखाता है। ऐसे में चीन को करारा जवाब देने के इरादे से अब भारतीय सेना ने उत्तराखंड के औली में ऊंचाई वाले क्षेत्र में फॉरेन ट्रेनिंग नोड बनाया है। भारत यहां मित्र देशों के साथ मिलकर युद्धाभ्यास करेगा। फिलहाल इस नोड पर भारतीय सेना अमेरिकी आर्मी के जवानों के साथ मिलकर 15 नवंबर से 2 दिसंबर तक सैन्य अभ्यास करने वाले हैं। 

9500 फीट की ऊंचाई पर बनाया फॉरेन ट्रेनिंग नोड : 
बता दें कि उत्तराखंड के औली में बना फॉरेन ट्रेनिंग नोड लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) से सिर्फ 100 किलोमीटर की दूरी पर है। इसे सभी सुविधाओं के साथ बनाया गया है, जहां हर वक्त 350 जवान रहेंगे। बता दें कि फॉरेन ट्रेनिंग नोड करीब 9500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, जहां भारतीय सेना और अमेरिकी आर्मी मिलकर युद्धाभ्यास करेंगी। 

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सबसे पहले इनके दिमाग में आया आइडिया : 
सेना के अधिकारियों के मुताबिक फॉरेन ट्रेनिंग नोड का आइडिया सबसे पहले सेंट्रल आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी के दिमाग में आया। यह एक तरह से ज्वॉइंट मिलिट्री एक्सरसाइज होगी, जहां भारतीय सेना ऊंचाई वाले इलाकों में वॉर स्ट्रैटेजी का प्रदर्शन करेगी, जिसे माउंटेन वॉरफेयर भी कहते हैं। वहीं, अमेरिकी सेना अपने तकनीकी कौशल का प्रदर्शन करेगी। इन तकनीकों का इस्तेमाल युद्धाभ्यास के दौरान पहाड़ों पर किया जाएगा। 

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आखिर बार यहां हुआ था संयुक्त युद्धाभ्यास : 
बता दें कि भारतीय सेना ने संयुक्त युद्धाभ्यास की शुरुआत 2004 में की थी। पिछली बार संयुक्त सैन्य अभ्यास राजस्थान के बीकानेर स्थित महाजन फील्ड रेंज में हुआ था। इसके अलावा इंडियन आर्मी और अमेरिकी सेना मिलकर एक और युद्धाभ्यास करती है, जिसे वज्र प्रहार के नाम से जाना जाता है। यह संयुक्त युद्धाभ्यास अगस्त, 2022 में हिमाचल प्रदेश के बकलोह में किया गया था। बता दें कि युद्ध के दौरान ऊंचाई वाले इलाकों में जो महारत इंडियन आर्मी के पास है, वो शायद ही किसी देश की सेना के पास हो। 

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