अमेरिका-चीन फेल, भारत को मिली सफलता, बनाई स्वदेशी टेस्टिंग किट, 1 से होगा 100 मरीजों का टेस्ट

कोरोना के टेस्टिंग के लिए किट भारत में ईजाद हो गई है। जल्‍द ही देशभर की पैथ लैब में इस वायरस की टेस्टिंग हो सकेगी। ICMR ने पुणे की मायलैब (Mylab) डिस्कवरी सॉल्युशंस को अपनी कोविड-19 टेस्ट किट के लिए वाणिज्यिक उत्पादन की अनुमति दे दी है।

नई दिल्ली. कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच एक राहत भरी खबर सामने आई है। कोरोना के टेस्टिंग के लिए किट भारत में ईजाद हो गई है। जल्‍द ही देशभर की पैथ लैब में इस वायरस की टेस्टिंग हो सकेगी। ICMR ने बीमारियों की जांच के समाधान बनाने वाली पुणे की मायलैब (Mylab) डिस्कवरी सॉल्युशंस को अपनी कोविड-19 टेस्ट किट के लिए वाणिज्यिक उत्पादन की अनुमति दे दी है। कोविड-19 टेस्ट किट को तैयार करने वाली यह पहली कंपनी है।  साथ ही Altona Diagnostics को भी टेस्टिंग किट बनाने की मंजूरी मिली है। 

मायलैब ने 6 हफ्तों में स्वदेशी किट विकसित की है। इस लैब के जरिये हर हफ्ते 1 लाख किट का निर्माण किया जा सकता है। मायलैब जो किट तैयार करेगी उसकी लागत विदेश से आने वाली किट से एक चौथाई होगी। 

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अब तक जर्मनी से मंगाया जाता था किट 

फिलहाल, प्रति मिलियन आबादी पर होने वाले टेस्ट के लिहाज से भारत सबसे निचले पायदान पर है। इस लिहाज से देखा जाए तो दक्षिण कोरिया और सिंगापुर जैसे देश भारत से आगे हैं जिन्होंने कोरोना वायरस के मामलों को टेस्ट किट की मदद से पहचान करने और रोकने में सफलता हासिल की है। अब तक भारत सरकार जर्मनी से लाखों टेस्टिंग किट मंगाती रही है ताकि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों का मेडिकल टेस्ट किया जा सके। 

‘मायलैब पैथोडिटेक्ट कोविड-19 क्वालिटेटिव पीसीआर किट’

Mylab के मुताबिक कोरोना वायरस की जांच करने वाली उसकी ‘मायलैब पैथोडिटेक्ट कोविड-19 क्वालिटेटिव पीसीआर किट’को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) से वाणिज्यिक उत्पादन की अनुमति मिल गयी है। कंपनी के प्रबंध निदेशक हसमुख रावल ने कहा, ‘स्थानीय और केंद्र सरकार से मिले सहयोग और ‘मेक इन इंडिया’ पर जोर देते हुए उसने कोविड-19 (Covid 19) की जांच के लिए एक किट तैयार की है। 

इसे WHO और अमेरिका के सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल (CDC) के दिशानिर्देशों के अनुरूप विकसित किया गया है। इसे रिकॉर्ड समय में विकसित किया गया है। कंपनी ने कहा कि कोरोना वायरस की जांच किट को स्थानीय स्तर पर बनाने से इसकी मौजूदा लागत घटकर एक चौथाई रह जाएगी।
 

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