Explainer: जानें कैसे रक्षा खर्च में चौथा सबसे बड़ा देश बना भारत, क्यों है यह जरूरी?

रक्षा पर खर्च के मामले में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है। अमेरिका पहले, चीन दूसरे और रूस तीसरे स्थान पर है।

नई दिल्ली। भारत रक्षा खर्च के मामले में दुनिया में चौथे स्थान पर है। रक्षा पर भारत से अधिक खर्च सिर्फ अमेरिका, चीन और रूस द्वारा किया जा रहा है। भारत का डिफेंस बजट हर साल बढ़ रहा है। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से मिल रही चुनौती को देखते हुए यह जरूरी है।

स्वीडिश थिंक टैंक स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) ने 2022 में अपने वार्षिक रिपोर्ट में बताया कि भारत रक्षा पर खर्च के मामले में चौथे स्थान पर है। पहले स्थान पर अमेरिका (877 बिलियन डॉलर खर्च), दूसरे स्थान पर चीन (292 बिलियन डॉलर खर्च) और तीसरे स्थान पर रूस (86.4बिलियन डॉलर खर्च) है। भारत का रक्षा खर्च 81.4 बिलियन डॉलर रहा। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि रक्षा पर भारत द्वारा किए गए कुल खर्च में से 23 फीसदी का इस्तेमाल हथियार खरीदने और इन्फ्रास्ट्रक्चर के विस्तार पर हुआ। डिफेंस बजट का अधिकतर हिस्सा वेतन और पेंशन में चला गया।

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पिछले कुछ वर्षों में भारत का रक्षा बजट लगातार बढ़ा है। वर्ष 2024 में पेश किए गए अंतरिम बजट में रक्षा बजट 6.2 लाख करोड़ रुपए रखा गया। इनमें से 1.72 लाख रुपए नए हथियार, विमान, युद्धपोत और अन्य मिलिटरी हार्डवेयर खरीदने के लिए रखा गया है। 2023 में सरकार ने रक्षा बजट 5.93 लाख करोड़ रुपए रखा था। यह केंद्र सरकार के कुल खर्च का करीब 13 फीसदी था। 2022 में रक्षा बजट 5.25 लाख करोड़ रुपए था। 2021 में यह 4.78 लाख करोड़ रुपए था।

कहां खर्च हो रहा भारत का रक्षा बज?

भारत के रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा वेतन और सैलरी में खर्च हो जाता है। 2024-2025 में इसके लिए 1.41 लाख करोड़ रुपए रखा गया थी। 2024-25 के लिए सेना के आधुनिकीकरण बजट में केवल 6.17 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी देखी गई। भारत को हथियार और उनके पूर्जे आयात करने पर भी रक्षा बजट का बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ता है। आंकड़ों के अनुसार भारत ने पिछले पांच वर्षों में विदेशों से 1.93 लाख करोड़ रुपए के सैन्य हार्डवेयर खरीदे। इनमें हेलीकॉप्टर, विमान रडार, रॉकेट, तोप, असॉल्ट राइफलें, मिसाइलें और गोला-बारूद शामिल थे।

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क्यों बढ़ रहा भारत का रक्षा खर्च?

भारत को चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों से मिल रही चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। चीन तेजी से अपनी सैन्य क्षमता बढ़ा है। इसके साथ ही वह पाकिस्तान को भी हथियार देकर मजबूत कर रहा है। इसे देखते हुए भारत को भी अपनी सैन्य क्षमता मजबूत करनी पड़ रही है। भारत को हर वक्त टू फ्रेंट वार के लिए तैनार रहना पड़ रहा है। 2020 में गलवान में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इसके बाद से दोनों देश अपनी सेना को सामने-सामने तैनात रखे हुए हैं। चीन तिब्बत में अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है।

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