भारत खरीद सकता है रूस से सबसे शक्तिशाली फाइटर प्लेन मिग-29; मास्को में चल रहे एयर शो के दौरान मिला प्रस्ताव

भारत को अपने मित्र देश रूस से सबसे शक्तिशाली फाइटर प्लेन मिग-29 मिल सकते हैं। भारत 21 विमान खरीदने पर विचार कर सकता है। रूस की फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री टेक्निकल को ऑपरेशन के प्रवक्ता ने यह जानकारी दी।

Asianet News Hindi | Published : Jul 21, 2021 4:40 AM IST / Updated: Jul 21 2021, 10:12 AM IST

नई दिल्ली. भारत को रूस से आधुनिक और सबसे शक्तिशाली लड़ाकू विमान मिग -29 (MIG-29 Fighter Plane) खरीदने का प्रस्ताव मिला है। भारत ऐसे 21 विमान खरीद सकता है। रूस की फेडरल सर्विस फॉर मिलिट्री टेक्निकल को-ऑपरेशन के प्रवक्‍ता ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रूस ने 21 मिग-29 लड़ाकू विमान सप्‍लाई के संबंध में भारत को कमर्शियल प्रस्‍ताव सौंपा है। बता दें कि मास्को में 20 से 25 जुलाई तक अंतरराष्ट्रीय एयर शो चल रहा है। हालांकि प्रवक्ता ने यह बात शो से इतर कही है।

भारत ये विमान खरीदने को इच्छुक है
भारत को मिग-29 की खरीदी का टेंडर मिला है। यह टेंडर मास्को में चल रहे एयर शो के दौरान भारत को मिला है। माना जा रहा है कि भारत इन विमान को खरीदने के लिए इच्छुक है। बता दें कि पिछले साल इंडियन काउंसिल फॉर डिफेंस पर्चेज ने रूस से 21 मिग-29 लड़ाकू विमान खरीदने को लेकर प्रस्‍ताव को मंजूरी दी थी। भारत के पास अभी मिग-29 विमान की तीन स्‍क्‍वाड्रन हैं।

2026 में हो सकती है सप्लाई
यह लड़ाकू विमान आधुनिक तकनीकी और नई डिजाइन से तैयार किया जा रहा है। इसका निर्माण सुखोई कंपनी एलटीएस (हल्के रणनीतिक विमान के लिए रूसी संक्षिप्त नाम) कार्यक्रम के तहत कर रही है। यह 2023 तक तैयार हो जाएगा। लेकिन आपूर्ति 2026 में ही संभव है।

मेक इन इंडिया के तहत नौसेना बनाएगा पनडुब्बियां
'मेक इन इंडिया' की दिशा में एक प्रमुख पहल के रूप में रक्षा मंत्रालय (एमओडी) ने भारतीय नौसेना के लिए 20 जुलाई को प्रोजेक्ट 75 (इंडिया) P-75(I) नामक छह एआईपी फिटेड पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए रणनीतिक साझेदारी मॉडल के तहत पहले अधिग्रहण कार्यक्रम के लिए प्रस्ताव का अनुरोध (आरएफपी) जारी किया है। परियोजना के लिए चयनित रणनीतिक साझेदारों (एसपीएस) या भारतीय आवेदक कंपनियों जैसे मैसर्स मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) और मेसर्स लार्सन एंड टुब्रो (एल एंड टी) को आरएफपी जारी किया गया था। इस परियोजना की लागत 40,000 करोड़ रुपये से अधिक है।

प्रोजेक्ट-75(I) में फ्यूल-सेल आधारित एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन प्लांट, उन्नत टॉरपीडो, आधुनिक मिसाइल और अत्याधुनिक काउंटरमेजर सिस्टम सहित समकालीन उपकरण, हथियार और सेंसर के साथ छह आधुनिक पारंपरिक पनडुब्बियों (एसोसिएटेड शोर सपोर्ट, इंजीनियरिंग सपोर्ट पैकेज, प्रशिक्षण और पुर्जों सम्बंधी पैकेज समेत) के स्वदेशी निर्माण का लक्ष्य तय किया गया है। यह प्रोजेक्ट के अंतर्गत नवीनतम पनडुब्बी डिजाइन और प्रौद्योगिकियों को लाने के अलावा, भारत में पनडुब्बियों की स्वदेशी डिजाइन और निर्माण क्षमता को एक बड़ा बढ़ावा देगा।

यह परियोजना न केवल मुख्य पनडुब्बी/जहाज निर्माण उद्योग को बढ़ावा देने में मदद करेगी, बल्कि पनडुब्बियों से संबंधित पुर्जों/ सिस्टम/ उपकरणों के निर्माण के लिए एक औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के द्वारा विनिर्माण/ औद्योगिक क्षेत्र, विशेष रूप से एमएसएमई को भी बढ़ाएगी ।  इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए आरएफपी में प्रमुख विशेषताएं- जैसे प्लेटफार्मों के स्वदेशी निर्माण का अनिवार्यता, पनडुब्बियों और कुछ महत्वपूर्ण उपकरण और सिस्टम के डिजाइन/ निर्माण/ रखरखाव के लिए टीओटी, अन्य प्रमुख प्रौद्योगिकियों आदि के लिए इस तरह के स्वदेशीकरण हेतु भारत में एक इको-सिस्टम की स्थापना तथा प्रोत्साहन हैं ।
 

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