1971 का युद्ध भारत ने लोकतंत्र की गरिमा और मानवता की रक्षा के लिए लड़ा था: राजनाथ सिंह

बेंगलुरू में  शुक्रवार को 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के स्वर्णिम विजय वर्ष के अवसर पर इंडियन एयरफोर्स ने कॉन्क्लेव आयोजित किया था। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 22, 2021 2:23 PM IST / Updated: Oct 22 2021, 08:15 PM IST

नई दिल्ली। केंद्रीय रक्षा मंत्री (Union Defence Minister) राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने कहा कि 1971 का युद्ध लोकतंत्र की गरिमा और मानवता की रक्षा के लिए लड़ी गई थी। यह युद्ध इतिहास की उन चंद लड़ाइयों में से एक है जो किसी क्षेत्र पर कब्जा या ताकत के लिए नहीं लड़ा गया था। 
रक्षा मंत्री शुक्रवार को बेंगलुरू में स्वर्णिम विजय वर्ष के अवसर पर इंडियन एयरफोर्स (Indian Air Force) द्वारा आयोजित कॉन्क्लेव (conclave) को संबोधित कर रहे थे। श्री सिंह ने बेंगलुरू (Bengaluru) में कई कार्यक्रमों और मीटिंग में भाग लिया।

भारत ने कराया दुनिया का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण

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इंडियन एयरफोर्स के मुखिया एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी (V R Chaudhari) ने कहा कि 1971 के युद्ध में 93 हजार पाकिस्‍तानी सैनिकों ने आत्‍मसमर्पण किया था। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद किसी सेना द्वारा किया गया यह अब तक का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण है। उन्होंने कहा कि इतिहास में अब तक की सबसे छोटी सैन्‍य लड़ाई थी, जिसमें भारत ने सबसे तेजी से जीत दर्ज की थी। युद्ध के उस स्वर्णिम पलों और भारतीय सेना के पराक्रम को याद करते हुए वीआर चौधरी ने कहा कि भारतीय सेना ने पश्चिमी और पूर्वी मोर्चों पर बेहतरीन लड़ाई लड़ी थी। हवा, जमीन और समुद्र में शानदार कौशल दिखाते हुए हर मोर्चा पर पाकिस्तान सेना पर हावी रहीं।

 

दक्षिण एशिया का भूगोल बदल गया 

सीडीएस बिपिन रावत (CDS Bipin Rawat) ने 1971 के भारत-पाकिस्तान ऐतिहासिक युद्ध की चर्चा करते हुए कहा कि इस युद्ध ने दक्षिण एशियाई उपमहाद्वीप के भूगोल को बदल दिया था। मात्र 14 दिन के अंदर ही यह युद्ध सफलतापूर्वक खत्‍म हो गया और बांग्‍लादेश का उदय हुआ था।

हथियारों के एक्सपोर्ट के लिए डायरेक्शन जारी करेगी सरकार

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसदीय समिति की मीटिंग की है। उन्होंने कहा कि सरकार मित्र देशों को नवीनीकृत हथियारों और उपकरणों के एक्सपोर्ट के लिए दिशा-निर्देशों को अंतिम रूप दे रही है। मीटिंग में डिफेंस मिनिस्टर ने बताया कि भारतीय सशस्त्र बलों के पुराने हथियारों और उपकरणों को पहले रक्षा उद्योग द्वारा नवीनीकृत किया जाएगा और फिर उन्हें मित्र देशों को निर्यात किया जाएगा।
सरकार ने 2024-25 तक एयरोस्पेस और रक्षा वस्तुओं तथा सेवाओं में 35,000 करोड़ रुपये (5 बिलियन अमेरिकी डालर) के निर्यात का लक्ष्य रखा है।

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