सिंधु जल संधि: भारत ने पाकिस्तान को भेजा नोटिस, कहा- मंजूर नहीं मनमानी, दिया 90 दिन का मौका

नदियों के पानी के बंटवारे के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि को लेकर भारत ने पाकिस्तान को नोटिस जारी किया है। नोटिस में कहा गया है कि भारत को पाकिस्तान की मनमानी मंजूर नहीं है। बातचीत के लिए 90 दिन का मौका दिया गया है।

Vivek Kumar | Published : Jan 27, 2023 12:07 PM IST / Updated: Jan 27 2023, 05:58 PM IST

नई दिल्ली। नदियों के पानी के बंटवारे के लिए सितंबर 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) में संशोधन के लिए भारत ने पाकिस्तान को नोटिस भेजा है। भारत ने कहा है कि अब और मनमानी मंजूर नहीं है। भारत की ओर से पाकिस्तान को बातचीत के लिए 90 दिन का मौका दिया गया है।

भारत ने सिंधु जल संधि के कार्यान्वयन पर पाकिस्तान पर "हठधर्मिता" का आरोप लगाया है। संधि में संशोधन का नोटिस 25 जनवरी को इस्लामाबाद भेजा गया था। भारत और पाकिस्तान ने 9 साल तक चली बातचीत के बाद सितंबर 1960 में सिंधु जल संधि पर साइन किया था। विश्व बैंक समझौते का हस्ताक्षरकर्ता था। इस संधि के तहत दोनों देश एक-दूसरे को कई नदियों के पानी के उपयोग के संबंध में जानकारी देते हैं।

पाकिस्तान की मनमानी से संधि के कार्यान्वयन पर पड़ा खराब असर
नोटिस में भारत की ओर से कहा गया है कि भारत हमेशा से सिंधु जल संधि का अक्षरश: पालन कर रहा है और इसे जिम्मेदार से लागू किया है। पाकिस्तान की मनमानी से संधि के प्रावधानों और उनके कार्यान्वयन पर खराब प्रभाव डाला है। इसके चलते भारत समझौते में संशोधन के लिए विवश हो गया है।

यह है मामला
दरअसल, पाकिस्तान ने 2015 में भारत में किशनगंगा और रातले जलविद्युत परियोजनाओं पर अपनी तकनीकी आपत्तियों के लिए एक तटस्थ विशेषज्ञ की नियुक्ति की मांग की थी। 2016 में पाकिस्तान ने अपना अनुरोध वापस लिया और अपनी आपत्तियों पर फैसला लेने के लिए मध्यस्थता अदालत की मांग की। सूत्रों के अनुसार पाकिस्तान की यह एकतरफा कार्रवाई संधि के अनुच्छेद IX द्वारा परिकल्पित विवाद समाधान के श्रेणीबद्ध तंत्र का उल्लंघन है। इसके अनुसार भारत ने मामले को एक तटस्थ विशेषज्ञ के पास भेजने के लिए अलग अनुरोध किया।

भारत के अनुरोध के बाद भी पाकिस्तान अपने स्टैंड से पीछे नहीं हटा। 2017 से 2022 तक स्थायी सिंधु आयोग की पांच बैठकों के दौरान पाकिस्तान ने इस मुद्दे पर चर्चा करने से इनकार कर दिया। सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के लगातार आग्रह पर विश्व बैंक ने हाल ही में तटस्थ विशेषज्ञ और मध्यस्थता अदालत दोनों प्रक्रियाओं पर कार्रवाई शुरू की थी। एक समान मुद्दों पर इस तरह के समानांतर प्रक्रिया चलाना संधि के किसी भी प्रावधान में नहीं है। इसके चलते भारत संशोधन का नोटिस जारी करने के लिए मजबूर हो गया है।

यह भी पढ़ें- BBC documentary पर अब दिल्ली विश्वविद्यालय में बवाल, नार्थ कैंपस में दर्जनों स्टूडेंट्स पुलिस हिरासत में, देखने पहुंचे थे

सिंधु जल समझौता क्या है?
19 सितंबर 1960 को भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता हुआ था। इसके तहत सतलज, व्यास और रावी नदी का पानी भारत के हिस्से में आता है। भारत अपनी जरूरत के अनुसार इन नदियों के पानी का इस्तेमाल कर सकता है। दूसरी ओर सिंधु, झेलम और चेनाब नदी का पानी पाकिस्तान के हिस्से में आता है। भारत इन नदियों के पानी का इस्तेमाल खेती और घरेलू काम के लिए कर सकता है। इसके साथ ही भारत निश्चित मापदंडों के भीतर हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट भी बना सकता है।

यह भी पढ़ें- Bharat Jodo Yatra: राहुल गांधी की यात्रा में सिक्योरिटी लैप्स पर कश्मीर के ADG का बड़ा बयान, कांग्रेस ने कर दी बड़ी गलती

Share this article
click me!