भारत ने अर्मेनिया भेजी आकाश एयर डिफेंस सिस्टम की पहली बैटरी, जानें इसकी ताकत

भारत ने आर्मेनिया को आकाश एयर डिफेंस सिस्टम की पहली खेप भेजी। स्वदेशी डीआरडीओ द्वारा विकसित यह मिसाइल सिस्टम दुश्मन के हवाई हमलों से बचाव में अहम भूमिका निभाएगा। आर्मेनिया आकाश मिसाइल खरीदने वाला पहला देश बन गया है।

नई दिल्ली। हथियारों के निर्यात के मामले में भारत ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। भारत ने आकाश एयर डिफेंस सिस्टम की पहली बैटरी अर्मेनिया भेजी है। यह भारत का दूसरा मिसाइल सिस्टम है जिसे निर्यात किया गया है।

आकाश सिस्टम को भारत सरकार की संस्था DRDO (Defence Research and Development Organization) ने विकसित किया है। यह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम है। इससे लड़ाकू विमान, मिसाइल, ड्रोन और दूसरे हवाई खतरों को नष्ट किया जाता है।

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आकाश एयर डिफेंस सिस्टम का निर्माण BEL (Bharat Electronics Limited) द्वारा किया जाता है। इसकी प्रत्येक बैटरी के साथ एक राजेंद्र 3डी पैसिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड ऐरे रडार और तीन मिसाइलों वाले चार लांचर लगे हैं। ये सभी आपस में जुड़े रहते हैं।

2020 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दी थी आकाश मिसाइल के निर्यात को मंजूरी

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिसंबर 2020 में आकाश मिसाइल प्रणाली के निर्यात को मंजूरी दी थी। इस मिसाइल को 2014 में भारतीय वायु सेना में और 2015 में भारतीय सेना में शामिल किया गया था। 2022 में आर्मेनिया ने भारत के साथ लगभग 6,000 करोड़ रुपए की लागत से 15 आकाश मिसाइल सिस्टम खरीदने का सौदा किया था। आर्मेनिया यह मिसाइल सिस्टम खरीदने वाला पहला देश है।

2022 में भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल की आपूर्ति के लिए फिलीपींस के साथ सौदा किया था। फिलीपींस को इस साल अप्रैल में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का पहला बैच मिला।

क्यों खास है आकाश मिसाइल सिस्टम

आकाश मिसाइल सिस्टम अत्यधिक गतिशील है। इसे ट्रक जैसे पहिए वाले वाहन या ट्रैक वाले वाहनों पर तैनात किया जा सकता है। यह 30-35km की सीमा में और 18,000 मीटर की ऊंचाई तक विमानों को नष्ट कर सकता है। यह 60 किलोग्राम तक विस्फोटक ले जाता है। इससे क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों को भी रोका जा सकता है।

वियतनाम, मिस्र और फिलीपींस जैसे देशों ने आकाश हथियार प्रणाली में रुचि दिखाई है। रूस पिछले एक दशक से आर्मेनिया को हथियारों और गोला-बारूद का प्रमुख आपूर्तिकर्ता रहा है। 2011 से 2020 तक इस देश के हथियारों के आयात का 94 प्रतिशत हिस्सा रूस का रहा है। आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच लड़ाई हुई है। अब ये दोनों देश शांति वार्ता कर रहे हैं। इस बीच दोनों विदेश से हथियार खरीद रहे हैं।

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