
नई दिल्ली. भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला (Kalpana Chawla) ने आज के ही दिन अपने अंतिम अंतरिक्ष यात्रा (astronaut Kalpana Chawla) के लिए उड़ान भरी थी। कल्पना चावला 16 जनवरी 2003 को नासा के स्पेस यान कोलंबिया स्पेस शटल (Space Shuttle Columbia) से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थीं। कल्पना चावला ने एक बार कहा था कि आपके पास खोजने के लिए दूरदर्शिता हो, इसे पाने का साहस हो और इसका पालन करने की दृढ़ता हो तो सपनों से सफलता तक का रास्ता मौजूद है।
लड़कियों के लिए प्रेरणा देता है जीवन
चावला का वृत्तांत हमें एक ऐसी महिला के बारे में बताता है, जिसने अपने धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ लिंग भेद और सिर्फ पुरुषों के विशेषाधिकारों को तोड़ने का साहस किया। क्योंकि वह जो चाहती थी उसे हासिल कर सके। 16 जनवरी, 2003 को यही सपने लेकर कल्पना चावला ने उड़ान भरी थी। लेकिन वो फिर कभी लौट नहीं पाईं। धरती पर लौटते समय 1 फरवरी 2003 को कल्पना का स्पेस यान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस दुर्घटना से इस स्पेस शिप में सवार कल्पना चावला समेत सभी अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी। लेकिन कल्पना चाहला का जीवन लड़कियों के सपने के खिलाफ खड़ी सभी बाधाओं को तोड़ने के लिए प्रेरित करता है।
करनाल में हुआ था जन्म
1962 में करनाल में जन्मी, चावला ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की और बाद में संयुक्त राज्य अमेरिका चली गईं, जहां उन्होंने 1984 में टेक्सास विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में मास्टर डिग्री हासिल की। चावला ने कोलोराडो विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में दर्शन (पीएचडी) की उपाधि भी ली। इसके अलावा, उनके पास सिंगल और मल्टी इंजन वाले हवाई जहाज, ग्लाइडर और सीप्लेन के लिए कमर्शियल पायलट लाइसेंस भी था।
चावला ने वर्ष 1988 में कैलिफोर्निया में नासा एम्स रिसर्च सेंटर में एक पावर-लिफ्ट कम्प्यूटेशनल फ्लुइड डायनेमिक्स रिसर्चर के रूप में शुरुआत की। वह 1993 में ओवरसेट मेथड्स इंक में शामिल हुईं। कल्पना चावला को 1991 में अमेरिका की नागरिकता मिली और उसी साल वे नासा से जुड़ीं। 1997 में अंतरिक्ष में जाने के लिए नासा स्पेशल शटल प्रोग्राम में चुनी गईं। 19 नवंबर 1997 को कोलंबिया स्पेस शटल (STS-87) के जरिए कल्पना चावला का पहला अंतरिक्ष मिशन शुरू हुआ था। वह STS-87 को उड़ाने वाले छह सदस्यीय दल का हिस्सा थीं। इसके साथ ही वह अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की पहली महिला बन गईं। 2001 में, उन्हें STS-107 के चालक दल के हिस्से के रूप में अंतरिक्ष में अपने दूसरे मिशन के लिए चुना गया था। बार-बार देरी के बाद, मिशन को 16 जनवरी, 2003 को लॉन्च किया गया था।
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