Operation Encounter : इस नेटवर्क की बदौलत सेना और सुरक्षाबलों ने घाटी में निर्दोषों के हत्यारों का किया सफाया

कश्मीर (Kashmir) के स्थानीय लोग हिंसा (Violence) पसंद नहीं करते हैं। वे निर्दोषों की हत्या का भी समर्थन नहीं करते। उन्होंने आतंकियों (Terrorists) के एनकाउंटर (Encounter) ऑपरेशन में पर्दे के पीछे से सेना की मदद की। 

श्रीनगर। कश्मीर (Kashmir) में पिछले महीने निहत्थे और निर्दोष लोगों को निशाना बनाने वाले आतंकियों (Terrorist) का सुरक्षाबलों (Security Forces)ने सफाया कर दिया है। इस सफलता के पीछे मजबूत खुफियातंत्र, सुरक्षा बलों का केंद्रित दृष्टिकोण, जम्मू और कश्मीर पुलिस के बीच बेहतर सामंजस्य और स्थानीय लोगों के सहयोग का बड़ा योगदान है। सेना (Indian Army) और सुरक्षाबलों (Security Forces) के सूत्रों ने एशियानेट न्यूज से कहा कि कश्मीर के स्थानीय लोग हिंसा पसंद नहीं करते हैं। वे निर्दोषों की हत्या का भी समर्थन नहीं करते। उन्होंने आतंकियों के एनकाउंटर ऑपरेशन में शांति के साथ हमारा सहयोग किया। एक अधिकारी बताते हैं कि कश्मीरियों का इतिहास सभ्यता से भरा रहा है। वे निर्दोषों के हत्यारों को कभी नहीं भूलते। 2019 में जब से मोदी सरकार ने घाटी में अनुच्छेद 370ए और धारा 35ए हटाई, तबसे भारतीय सेना (Indian Army), सीआरपीएफ (CRPF) और जम्मू-कश्मीर पुलिस (J&K Police) सहित सुरक्षा बलों के बीच विशेष खुफिया नेटवर्क ने घाटी में नुकसान कम करने में मदद की है। इस खुफिया नेटवर्क में स्थानीय लोगों का बड़ा हाथ है।

दो साल में कम हुआ नुकसान 
एक अधिकारी बताते हैं कि विदेशों में बसे कुछ कुश्मीरी मूल के भारत विरोधी लोग समय-समय पर घाटी के स्थानीय लोगों को भड़काकर हिंसा की कोशिश करते हैं। लेकिन, इन्हें अब तक कोई सफलता नहीं मिली है। कश्मीरी उनका मकसद समझते हैं कि ये विदेशी आखिर उनका सपोर्ट क्यों कर रहे हैं। पिछले दो साल में सुरक्षाबलों ने यहां नुकसान कम किया है। हालांकि, इस साल 2 सिविलियंस की जान गई। 2018 में एंटी टेरर ऑपरेशंस में तकरीबन 24 सिविलिन मारे गए थे, जबकि 49 गंभीर रूप से घायल हुए थे। रिपोर्ट्स के अनुसार, घाटी के बच्चे नहीं चाहते हैं कि उनके पिता आतंकी बनें या आतंकियों से सहानुभूति रखें। माता-पिता भी नहीं चाहते कि उनके बच्चे आतंकी संगठन से जुड़ें और एक भी ऐसी गतिविधि से जुड़ें, जो भारत और कश्मीर विरोधी हो।  

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शासन पर कश्मीरियों को भरोसा 
कश्मीरियों को शासन और प्रशासन में भरोसा है। ताजा आंकड़ों को देखें तो कश्मीर में 2018 में 40 शांतपूर्ण प्रदर्शन हुए, जिनकी संख्या 2021 में बढ़कर 86 हो गई है। इनमें से ज्यादातर प्रदर्शन पानी की सप्लाई, सड़क बनाने, पीडब्ल्यू से जुड़े मामले थे। अनुच्छेद 370 हटाने से पहले 2018 में घाटी में 318 आतंकी गतिविधियां हुईं, जो 2021 में घटकर 121 रह गई हैं।  2019 में पत्थरबाजी की 202 घटनाएं हुई थीं, जो 2021 में महज 39 ही रहीं।  

एक एंटी टेरर ऑपरेशन पर 10 हत्याओं का टारगेट, इसलिए इंटेलिजेंस बेस्ड ऑपरेशन :
निर्दोषों के जीवन का नुकसान नहीं (Zero Loss of Innocent Lives) हो, इसके लिए सुरक्षाबल यहां विशेष नीति पर काम कर रहे हैं। खुफिया इनपुट के मुताबिक पाकिस्तान से ऑपरेट होने वाले आतंकियों को यहां कम से कम 10 सिविलियंस की हत्या करने का टारगेट दिया गया है। उन्हें कहा गया है कि सुरक्षाबल जब भी एंटी टेरर ऑपरेशन चलाएं, तभी ऐसी वारदातों को अंजाम देना है। ऐसे में सुरक्षाबलों ने इंटेलिजेंस बेस्ड ऑपरेशन शुरू किए हैं। ये ऑपरेशन छोटी टीम के साथ किए जा सके हैं। स्थानीय लोग इसलिए सुरक्षाबलों की मदद कर रहे हैं, क्योंकि उन्हें इनपुट भी वही स्थानीय लोग दे रहे हैं, जिन्होंने पाकिस्तान (Pakistan) के झूठे प्रचार को खारिज कर दिया है।

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