भारत की विदेश नीति और कूटनीति से जुड़ी दो महत्वपूर्ण खबरें मीडिया की सुर्खियों में हैं। पहली, भारत ने शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के लिए पाकिस्तान के पीएम को न्यौता भेजा है। दूसरा, ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तान की बढ़ती गतिविधियों पर नाराजगी जताई है।
नई दिल्ली. भारत की विदेश नीति और कूटनीति से जुड़ी दो महत्वपूर्ण खबरें मीडिया की सुर्खियों में हैं। पहली, भारत ने गोवा में मई, 2023 में होने जा रहे शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के लिए पाकिस्तान के पीएम को भी न्यौता भेजने की बात कही है। दूसरा, ऑस्ट्रेलिया में खालिस्तानी अलगाववादियों की बढ़ती गतिविधियों पर भारत ने नाराजगी जताई है। पढ़िए दोनों खबरें...
शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ को भी निमंत्रण भेजा जाएगा। इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर पाकिस्तान के विदेश मंत्री और चीफ जस्टिस आफ पाकिस्तान को आमंत्रित कर चुके हैं। भारत इस साल सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहा है। हालांकि अध्यक्ष का निमंत्रण एक रूटीन प्रक्रिया है। लेकिन पाकिस्तान इसमें शामिल होगा या नहीं, फिलहाल तय नहीं है। पिछले दिनों पाकिस्तान के पीएम ने मोदी से बातचीत की पहल की थी।
मेलबर्न(Melbourne). भारत ने हाल में यहां तीन हिंदू मंदिरों में की गई तोड़फोड़ और दीवारों पर नफरतभरे नारे लिखने की कड़ी निंदा की है। इसमें ऑस्ट्रेलिया में भारत विरोधी आतंकवादियों का महिमामंडन भी शामिल है। इस महीने की शुरुआत में मेलबर्न में स्वामीनारायण मंदिर, कैरम डाउन्स विक्टोरिया में ऐतिहासिक श्री शिव विष्णु मंदिर और मेलबर्न में इस्कॉन मंदिर पर 'असामाजिक तत्वों' ने भारत विरोधी नारे लिखे थे।
कैनबरा में भारत के हाई कमिशन ने कड़े शब्दों में बयान में कहा, "जिस फ्रीक्वेंसी और निडरता के साथ उपद्रवी काम कर रहे हैं, वो खतरनाक हैं। जैसा कि दीवारों पर लिखा गया है, भारत विरोधी आतंकवादियों का महिमामंडन शामिल है।"
आयोग ने यह भी नोट किया कि ये घटनाएं शांतिपूर्ण बहु-विश्वास और बहु-सांस्कृतिक भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई समुदाय के बीच घृणा और विभाजन बोने का स्पष्ट प्रयास थीं। उच्चायोग ने इस बात पर प्रकाश डाला कि "खालिस्तान समर्थक तत्व ऑस्ट्रेलिया में अपनी गतिविधियों को आगे बढ़ा रहे हैं, जो सिख फॉर जस्टिस (SFJ) और ऑस्ट्रेलिया के बाहर की अन्य विरोधी एजेंसियों जैसे प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों के सदस्यों द्वारा सक्रिय रूप से सहायता और बढ़ावा दे रहे हैं।"
बयान में कहा गया है, "उम्मीद है कि न केवल अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा, बल्कि आगे की कोशिशों को रोकने के लिए उपयुक्त कार्रवाई भी की जाएगी।"
इसके अलावा आयोग ने मेलबोर्न और सिडनी में तथाकथित जनमत संग्रह के बारे में चिंता व्यक्त की है, जिसकी घोषणा प्रतिबंधित संगठन, सिख फॉर जस्टिस ने अगले सप्ताह की है।
उच्चायोग ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार से ऑस्ट्रेलिया में भारतीय समुदाय के सदस्यों और उनकी संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और क्षेत्रीय अखंडता, सुरक्षा और भारत के राष्ट्रीय हित के लिए हानिकारक गतिविधियों के लिए ऑस्ट्रेलियाई क्षेत्र के उपयोग की अनुमति नहीं देने का आग्रह किया।
नई दिल्ली में ऑस्ट्रेलियाई उच्चायोग ने भी घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि मामले की जांच की जा रही है।
ऑस्ट्रेलियाई हाई कमिशन कर चुका है निंदा: ऑस्ट्रेलिया के हाई भारत में आयुक्त बैरी ओ'फारेल ने हाल ही में ट्वीट किया। इसमें लिखा-"भारत की तरह, ऑस्ट्रेलिया एक गर्वित, बहुसांस्कृतिक देश है। हम मेलबर्न में दो हिंदू मंदिरों की बर्बरता से स्तब्ध हैं और ऑस्ट्रेलियाई अधिकारी जांच कर रहे हैं। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए हमारे मजबूत समर्थन में अभद्र भाषा या हिंसा शामिल नहीं है।"
ऑस्ट्रेलिया में भारतीय: 2011 की जनगणना के अनुसार, ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले 2,95,362 लोग भारत में जन्मे। जबकि 3,90,894 लोग भारतीय मूल के हैं। 2011-12 में भारतीय ऑस्ट्रेलिया में स्थायी प्रवास का सबसे बड़ा स्रोत थे। कैनबरा वेबसाइट में भारतीय उच्चायोग की जानकारी के अनुसार, 2011-12 में कुल प्रवासन कार्यक्रम में भारतीयों की संख्या 15.7 प्रतिशत थी।
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