नई दिल्ली। भारतीय नौसेना 9 दिसंबर को अत्याधुनिक मल्टी-रोल स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट आईएनएस तुशिल (INS Tushil) अपने बेड़े में शामिल करेगी। यह फ्रिगेट रूस ने तैयार किया है। रूस के कैलिनिनग्राद में आयोजित एक समारोह के दौरान इसे इंडियन नेवी का हिस्सा बनाया जाएगा। इस कार्यक्रम में भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद रहेंगे।
आईएनएस तुशिल प्रोजेक्ट 1135.6 के एडवांस क्रिवाक III क्लास के फ्रिगेट का हिस्सा है। यह इस सीरीज का सातवां जहाज है। भारत और रूस के बीच 2016 के समझौते के तहत बनाए जा रहे दो एक्स्ट्रा फ्रिगेट्स में से पहला है।
इस युद्धपोत का निर्माण रूस के कलिनिनग्राद के यंतर शिपयार्ड में किया गया है। इसे फैक्ट्री सी ट्रायल, स्टेट कमेटी ट्रायल और डिलीवरी एक्सेप्टेंस ट्रायल सहित कई टेस्ट से गुजरना पड़ा है। इन टेस्ट के दौरान जहाज 30 नॉट (55.56 किलोमीटर प्रति घंटा) से अधिक की रफ्तार तक पहुंच गया था।
125 मीटर लंबे इस युद्धपोत का डिस्प्लेसमेंट 3900 टन है। इसे भारतीय और रूसी दोनों टेक्नोलॉजी से लैस किया गया है। इसके निर्माण में करीब 26 फीसदी भारतीय पुर्जे लगे हैं। जहाज तैयार करने में ब्रह्मोस एयरोस्पेस, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और नोवा इंटीग्रेटेड सिस्टम्स जैसी भारतीय कंपनियों ने योगदान दिया है। युद्धपोत का नाम तुशिल है। इसका मतलब "रक्षा करने वाला ढाल" है। भारतीय नौसेना में शामिल होने के बाद आईएनएस तुशिल पश्चिमी नौसेना कमांड के तहत पश्चिमी बेड़ा का हिस्सा होगा। इससे नौसेना की ताकत बढ़ेगी। स्टील्थ फीचर से लैस होने के चलते दुश्मन के लिए इसे देख पाना मुश्किल होगा। इससे भारत और रूस के बीच रणनीतिक साझेदारी को बढ़ावा मिलेगा।
आईएनएस तुशिल बेहद ताकतवर युद्धपोत है। दुश्मन के हवाई हमले से बचने के लिए इसके 24 सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल हर वक्त लॉन्च के लिए तैयार रहते हैं। जमीन पर स्थित दुश्मन के ठिकाने या समुद्र में मौजूद जहाज को खत्म करना हो तो इसके पास ब्रह्मोस मिसाइल है। इसमें 4-4 के सेट वाले दो वर्टिकल लॉन्च सिस्टम हैं। इनसे बेहद कम समय में 8 ब्रह्मोस मिसाइल फायर हो सकते हैं। दुश्मन के युद्धपोत या पनडुब्बी को खत्म करना हो तो इसके पास टॉरपीडो और एंटी सबमरीन रॉकेट हैं। इस जहाज से एक हेलीकॉप्टर ऑपरेट किया जा सकता है।
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