देश के वे 5 प्रधानमंत्री जिन्होंने सार्वजनिक माफी मांगी या खेद जताया था...

छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति अनावरण के कुछ महीनों बाद ही टूटकर जमीन पर गिरने के बाद मचे बवाल के बीच पीएम नरेंद्र मोदी ने माफी मांग ली है। यह पहला मौका नहीं जब किसी पीएम ने माफी मांगी या खेद जताई हो। 

 

 

 

Dheerendra Gopal | Published : Aug 30, 2024 3:30 PM IST / Updated: Aug 30 2024, 09:06 PM IST
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पीएम मोदी ने छत्रपति शिवाजी की मूर्ति गिरने पर मांगी माफी

पीएम मोदी ने 30 अगस्त 2024 को महाराष्ट्र के पालघर में मराठा लोगों से छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने के लिए माफी मांगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि छत्रपति शिवाजी की मूर्ति गिरने से काफी लोग आहत हुए हैं। जब मैं यहां पहुंचा तो मैंने सबसे पहले शिवाजी से मूर्ति गिरने पर माफ़ी मांगी। मैं उन लोगों से भी माफ़ी मांगता हूं जो इस घटना से आहत हुए हैं। जो लोग छत्रपति शिवाजी महाराज को अपना देवता मानते हैं और उन्हें बहुत दुख पहुंचा है, मैं उनसे सिर झुकाकर माफ़ी मांगता हूं। हमारे मूल्य अलग हैं। हमारे लिए हमारे देवता से बड़ा कुछ नहीं है। हमारे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज सिर्फ एक महाराजा नहीं हैं। हमारे लिए वे पूजनीय हैं। आज मैं छत्रपति शिवाजी महाराज के सामने नतमस्तक हूं और उनसे क्षमा मांगता हूं।

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मनमोहन सिंह (2004-2014): 1984 के सिख विरोधी दंगों के लिए माफी

1984 में हुए सिख दंगों में सैकड़ों सिखों की हत्याएं हो गई थी। हजारों परिवार बेघर हो गए थे। उनके घरों और व्यवसाय को नेस्तनाबूद कर दिया गया था। सिख विरोधी दंगे तब भड़क उठे जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को उनके सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। तत्कालीन कांग्रेस सरकार और विशेष रूप से कांग्रेस पार्टी के नेताओं पर हिंसा भड़काने या इसे रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया गया।

12 अगस्त 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने इन दंगों के लिए माफी मांगी थी। मनमोहन सिंह की माफी नानावटी आयोग की रिपोर्ट पेश करने के बाद आई जिसने दंगों की जांच की और कई कांग्रेस नेताओं के खिलाफ आगे की कार्रवाई की सिफारिश की थी। अपने भाषण में डॉ. सिंह ने कहा: मुझे सिख समुदाय को हुए कष्टों के लिए माफी मांगने में कोई हिचक नहीं है। मैं सिर झुका कर इस बात के लिए शर्मिंदा हूं कि ऐसा कुछ हुआ। उन्होंने राज्य की अपने नागरिकों की सुरक्षा करने में विफलता को स्वीकार किया और जान-माल की हानि पर गहरा खेद व्यक्त किया।

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अटल बिहारी वाजपेयी (1998-2004): गुजरात दंगों के लिए खेद

2002 के गुजरात दंगे हुए थे। इन संप्रदायिक दंगों में 1,000 से अधिक लोग मारे गए। दंगे गोधरा ट्रेन जलाने की घटना के बाद भड़के थे जिसमें 59 हिंदू तीर्थयात्री मारे गए थे। इन दंगों के बाद राज्य के हालात का जायजा लेने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी गुजरात दौरे पर 4 अप्रैल 2002 को पहुंचे थे। तत्कालीन प्रधानमंत्री वाजपेयी ने दंगा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया और हिंसा पर गहरा खेद व्यक्त किया। एक सार्वजनिक बयान में उन्होंने कहा: गुजरात में जो कुछ हुआ, वह देश के लिए शर्म की बात है। उन्होंने धर्मनिरपेक्षता और न्याय के सिद्धांतों का पालन करने के लिए सरकार सहित सभी को आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

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पी.वी. नरसिम्हा राव (1991-1996): माफी और खेद व्यक्त करना

पी.वी. नरसिम्हा राव ने 1991 से 1996 तक प्रधानमंत्री रहे। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद को भीड़ ने ध्वस्त कर दिया जिसके कारण पूरे भारत में व्यापक सांप्रदायिक दंगे हुए। कार्रवाई नहीं रोक पाने को लेकर उनकी काफी आलोचना हुई थी। इस घटना पर नरसिम्हा राव ने मस्जिद की सुरक्षा करने में सरकार की विफलता और जानमाल की सुरक्षा नहीं होने की बात स्वीकार की थी।

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जवाहरलाल नेहरू (1947-1964): माफी और खेद व्यक्त करना

देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने आजाद भारत में कश्मीर संघर्ष या स्वतंत्रता प्राप्ति के दौरान विभाजन दंगे, भाषाई आधारित दंगे पर खेद जताया था। दरअसल, 1947-48 में कश्मीर संघर्ष के दौरान हिंसा में जानमाल का काफी नुकसान हुआ था। उन्होंने उस हिंसा पर खेद जताया था। इसके पहले 1947 में भारत और पाकिस्तान के विभाजन के बाद बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई, जिसके कारण काफी लोगों की मौत और विस्थापन हुआ। नेहरू ने विभाजन दंगों पर गहरा दुख और खेद व्यक्त किया। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि इससे लाखों भारतीयों को दर्द और पीड़ा हुई।

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