1984 में हुए सिख दंगों में सैकड़ों सिखों की हत्याएं हो गई थी। हजारों परिवार बेघर हो गए थे। उनके घरों और व्यवसाय को नेस्तनाबूद कर दिया गया था। सिख विरोधी दंगे तब भड़क उठे जब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 31 अक्टूबर 1984 को उनके सिख अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी। तत्कालीन कांग्रेस सरकार और विशेष रूप से कांग्रेस पार्टी के नेताओं पर हिंसा भड़काने या इसे रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया गया।
12 अगस्त 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ.मनमोहन सिंह ने इन दंगों के लिए माफी मांगी थी। मनमोहन सिंह की माफी नानावटी आयोग की रिपोर्ट पेश करने के बाद आई जिसने दंगों की जांच की और कई कांग्रेस नेताओं के खिलाफ आगे की कार्रवाई की सिफारिश की थी। अपने भाषण में डॉ. सिंह ने कहा: मुझे सिख समुदाय को हुए कष्टों के लिए माफी मांगने में कोई हिचक नहीं है। मैं सिर झुका कर इस बात के लिए शर्मिंदा हूं कि ऐसा कुछ हुआ। उन्होंने राज्य की अपने नागरिकों की सुरक्षा करने में विफलता को स्वीकार किया और जान-माल की हानि पर गहरा खेद व्यक्त किया।