
नई दिल्ली। भारत की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो पिछले एक हफ्ते से बड़े पैमाने पर फ्लाइट कैंसिलेशन, देरी, कंजेशन और ऑपरेशनल गड़बड़ी से जूझ रही है। हजारों पैसेंजर फंसे, बैगेज तक नहीं मिला और एयरपोर्ट्स पर अफरा-तफरी जैसी स्थिति बन गई। अब DGCA ने एयरलाइन को कारण बताओ नोटिस दिया, जिसका जवाब इंडिगो ने सोमवार को भेज दिया। इंडिगो ने साफ कहा कि स्थिति एक नहीं, कई वजहों से बिगड़ी। साथ ही एयरलाइन ने यात्रियों से माफी भी मांगी। आखिर इतनी बड़ी गड़बड़ी की जड़ में क्या है? क्या केवल नए FDTL नियम जिम्मेदार हैं, या फिर मामला इससे कहीं ज्यादा उलझा हुआ है?
इंडिगो ने DGCA को दिए जवाब में कहा कि पिछले हफ्ते जो फ्लाइट कैंसिलेशन और डिले का बड़ा संकट देखने को मिला, उसके पीछे कई कारण जुड़े थे। एयरलाइन का दावा है कि वह अभी भी सभी पहलुओं पर “सही और विस्तृत रूट कॉज़ एनालिसिस” कर नहीं पाई है, क्योंकि पूरा ऑपरेशन बहुत बड़ा और जटिल है। इंडिगो ने जिन 5 मुख्य कारणों को जिम्मेदार बताया, वो इस प्रकार हैं:
एयरलाइन ने कहा कि कई फ्लाइट्स में “माइनर टेक्निकल इश्यूज़” आए लेकिन क्या ये छोटी गड़बड़ियां सच में इतनी भारी पड़ सकती हैं? इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जब फ्लाइट शेड्यूल टाइट होता है, तो छोटी गलती भी पूरी चेन को बिगाड़ देती है।
इंडिगो का दावा है कि सर्दियों का नया शेड्यूल शुरू होते ही काफी एडजस्टमेंट करने पड़े। सर्दियों में दृश्यता कम होने की वजह से टैक्सी-टाइम, रनवे वेटिंग और ऑपरेशन पहले से ज्यादा स्लो हो जाते हैं। लेकिन यह भी सवाल है कि “क्या इंडिया की सबसे बड़ी एयरलाइन सर्दियों के शेड्यूल के लिए इतनी अनप्रिपेयर्ड हो सकती है?”
मौसम खराब था, कोहरा था, रनवे स्लो थे। इंडिगो का कहना है कि मौसम ने देरी और कैंसिलेशन को कई गुना बढ़ा दिया। लेकिन क्या सिर्फ मौसम की वजह से हजारों फ्लाइट्स रद्द हो सकती हैं?
एयरलाइन का कहना है कि एयरपोर्ट, रनवे, टैक्सीवे और ATC सब ज़्यादा दबाव में थे। पिछले कुछ महीनों में रिकॉर्ड ट्रैवल डिमांड देखी जा रही है। लेकिन इंडिगो की समस्या बाकी एयरलाइंस से कई गुना ज्यादा क्यों दिखी? क्या ऑपरेशनल प्लानिंग कमजोर पड़ी?
इंडिगो ने सबसे बड़ा कारण बताया कि नए FDTL Phase-II क्रू ड्यूटी नियम घातक साबित हुए। जिनके तहत पायलटों को ज्यादा आराम देना जरूरी है और उनकी ड्यूटी सीमित हो गई है। इंडिगो ने इससे एडजस्ट करने में देरी की और नतीजा रहा उड़ानों की भारी कमी। 5 दिसंबर को स्थिति इतनी बुरी थी कि 2,300 में से दो-तिहाई फ्लाइट्स कैंसिल करनी पड़ीं। यह भारत की एविएशन हिस्ट्री के सबसे बड़े ऑपरेशनल फेल्योर में से एक है।
सरकार ने साफ कह दिया है कि “सख्त कार्रवाई” होगी ताकि बाकी एयरलाइंस के लिए भी एक मिसाल बने। DGCA पहले ही चार-सदस्यीय जांच पैनल गठित कर चुका है।