हिन्द-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद 2021(INDO-PACIFIC REGIONAL DIALOGUE-IPRD) 27 से 29 अक्टूबर तक ऑनलाइन आयोजित किया जा रहा है। इसका मकसद समुद्र से जुड़ी दिक्कतों और आने वालीं चुनौतियों का मुकाबला करने इंडियन Navy को तैयार करना है।
नई दिल्ली. समुद्र से जुड़ी परेशानियों और भविष्य की चुनौतियों से निपटने की तैयारियों को लेकर इस बार हिन्द-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद 2021(INDO-PACIFIC REGIONAL DIALOGUE-IPRD) 27 से 29 अक्टूबर तक ऑनलाइन आयोजित किया जा रहा है। इस संवाद का उद्देश्य इंडियन नेवी को इस विषयों को लेकर तैयार करना है। इस संवाद के विभिन्न सत्रों के बाद रक्षामंत्री, विदेश मंत्री और पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री संबोधित करेंगे। इस वार्षिक संवाद के जरिये भारतीय नौसेना और नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन एक ऐसा मंच प्रदान करता आ रहा है, जहां हिन्द-प्रशांत के सामुद्रिक क्षेत्र को प्रभावित करने वाली भू-राजनीतिक गतिविधियों पर व्यापक चर्चा होती है।
इन 8 विषयों पर होगा फोकस
इस साल के IPRD का फोकस 8 विशेष उप-विषयों(sub-themes) पर है। इसका टाइटल है-“इवोल्यूशन इन मैरीटाइम स्ट्रेटजी ड्यूरिंग दी ट्वेंटी-फर्स्ट सेंचुरीः इम्परेटिव्स, चैलेंजेस एंड वे अहेड” (21वीं शताब्दी के दौरान सामुद्रिक रणनीति का क्रमिक विकासः अनिवार्यतायें, चुनौतियां और आगे की राह)। इन मुद्दों पर 8 सत्रों में पैनल चर्चा होगी, जो तीन दिन चलेगी। ये हैं वो विषय-
वर्ष, 2018 से होता आ रहा है यह संवाद
IPRD वर्ष 2018 में पहली बार हुआ था। यह भारतीय नौसेना का सबसे बड़ा अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन(international annual conference) और सामरिक स्तर पर नौसेना की सक्रियता दिखाने वाला प्रमुख माध्यम है। नेशनल मैरीटाइम फाउंडेशन, भारतीय नौसेना का ज्ञानाधारित साझेदार है और इस कार्यक्रम का वार्षिक रूप से आयोजन करने में मुख्य भूमिका निभाता है। IPRD के हर आयोजन का उद्देश्य हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में उभरने वाली चुनौतियों और अवसरों का जायजा लेना है।
IPRD 2018: तब चार उप-विषयों पर विशेष ध्यान दिया थाः समुद्री व्यापार, क्षेत्रीय संपर्कता, पूरे क्षेत्र की चुनौतियां, जिनमें लगातार समुद्री निगरानी, समुद्री गतिविधियों के डिजीटलीकरण को बढ़ाना, समुद्री क्षेत्र के भीतर साइबर खतरे और समुद्री सुरक्षा के आमूल विकास में उद्योगों की भूमिका शामिल थी।
IPRD 2019: इस दौरान पांच विषयवस्तुओं पर चर्चा की गई थीः समुद्री संपर्कता के जरिये क्षेत्र में आपसी जुड़ाव के लिए व्यावहारिक समाधान, हिन्द-प्रशांत को मुक्त रखने के उपाय, नील अर्थनीति (ब्लू इकोनॉमी) के मद्देनजर क्षेत्रीय संभावनाओं की पड़ताल, समुद्री-उद्योग 4.0 से उत्पन्न अवसर और सागर तथा सागरमाला से उत्पन्न क्षेत्रीय संभावनाएं।