भारतीय नौसेना में दूसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात शामिल हो गई है। यह पनडुब्बी K-15 मिसाइल से लैस है और दुश्मन पर परमाणु हमला करने की क्षमता रखती है। आईएनएस अरिघात डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों की तुलना में अधिक समय तक पानी के अंदर रह सकती है।
नई दिल्ली। भारतीय नौसेना (Indian Navy) के बेड़े में गुरुवार को दूसरी परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिघात (INS Arighat) शामिल हुई। नेवी के पास पहले से आईएनएस अरिहंत (INS Arihant) के रूप में एक परमाणु पनडुब्बी है। आईएनएस अरिघात को न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइल से लैस किया गया है। इससे भारत की परमाणु हमला करने की क्षमता बढ़ी है। दुश्मन को कंपा देने वाली इस पनडुब्बी के पास पल भर में तबाही लाने की ताकत है।
K-15 मिसाइल से लैस है आईएनएस अरिघात
आईएनएस अरिघात करीब 112 मीटर लंबी पनडुब्बी है। इसमें K-15 मिसाइल लगाए गए हैं। इसका रेंज 750 किलोमीटर है। विशाखापत्तनम के गुप्त जहाज निर्माण केंद्र में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और शीर्ष राष्ट्रीय सुरक्षा और सैन्य अधिकारियों की मौजूदगी में अरिघात को नौसेना में शामिल किया जाएगा। 6,000 टन की अरिघात के पास आईएनएस अरिहंत से अधिक संख्या में K-15 मिसाइल ले जाने की क्षमता है।
डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों से ज्यादा समय तक पानी के अंदर रहती है न्यूक्लियर सबमरीन
आईएनएस अरिहंत और आईएनएस अरिघात दोनों को 83 मेगावाट के न्यूक्लियर रिएक्टर से ऊर्जा मिलती है। पनडुब्बी का मुख्य काम पानी के अंदर छिपकर दुश्मन पर हमला करना या जासूसी करना है। पारंपरिक डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों के पानी के अंदर गोता लगाए रहने की क्षमता सीमित होती है। पनडुब्बी जब सतह के ऊपर या करीब होती है तो यह अपने डीजल इंजन का इस्तेमाल करती है। इससे सबमरीन की बैटरी चार्ज होती है। गोता लगाने के लिए डीजल इंजन को बंद करना होता है। इस दौरान सबमरीन पूरी तरह अपनी बैटरियों पर निर्भर होती है। बैटरी को फिर से चार्ज करने के लिए कुछ दिनों बाद उसे ऊपर आना पड़ता है। दुश्मन के इलाके में ऐसा करना घातक हो सकता है।
परमाणु पनडुब्बी के साथ ऐसी परेशानी नहीं होती। न्यूक्लियर रिएक्टर चलाने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत नहीं होती। इसके चलते ऐसी पनडुब्बी को जितने दिनों तक चाहें पानी के अंदर गोता लगाए रखा जा सकता है। इस तरह की पनडुब्बी आकार में बड़ी होती है। इसमें अधिक हथियार रखने की जगह होती है।
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