अंतरराष्ट्रीय योग दिवसः भारत के वह योग गुरु जिन्होनें देश-विदेश में इसे बनाया लोकप्रिय

योगेश्वर कृष्ण के योग का ज्ञान जीवन के हर क्रिया में है। इसका कुछ अंश हमारे गुरुओं ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमतक पहुंचाई। माना जाता है कि योग के बिखरे ज्ञान, विधियों, उपाय, साधना को सैकड़ों साल पहले लिपिबद्ध किया था। आज भी योग की परंपरा को तमाम साधक संजोकर देश-विदेश को योग से निरोग करने में लगे हैं। भारत में योग साधकों की एक लंबी फेहरिश्त है...कुछ नामवर हैं तो कुछ अनजान। 

Asianet News Hindi | / Updated: Jun 21 2021, 07:15 AM IST

नई दिल्ली। योग की उत्पत्ति युगों-युगों पहले की मानी जाती है। भगवत गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि अविनाशी योग का ज्ञाना मैंने सृष्टि के प्रारंभ में सूर्य को दिया, सूर्य ने मनु को और मनु ने इक्ष्वाकु को दिया। योगेश्वर कृष्ण के योग का ज्ञान जीवन के हर क्रिया में है। इसका कुछ अंश हमारे गुरुओं ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी हमतक पहुंचाई। माना जाता है कि योग के बिखरे ज्ञान, विधियों, उपाय, साधना को सैकड़ों साल पहले लिपिबद्ध किया था। आज भी योग की परंपरा को तमाम साधक संजोकर देश-विदेश को योग से निरोग करने में लगे हैं। भारत में योग साधकों की एक लंबी फेहरिश्त है...कुछ नामवर हैं तो कुछ अनजान। हालांकि, भारत से बाहर योग के प्रसार में कुछ योग गुरुओं का योगदान रहा है। आईए जानते हैं कुछ ऐसे ही योग गुरुओं के बारे में...

महर्षि पतंजलि

महर्षि पतंजलि ने योग के बिखरे ज्ञान को लिपिबद्ध किया था। सैकड़ों साल पहले उन्होंने ‘योगसूत्र’ ग्रंथ लिखा था। योगसूत्र में योग के हर पहलू का ज्ञान योगसूत्रों में दिया गया है। ग्रंथ में योग के 195 सूत्र हैं और चार अध्याय है। यह चार अध्याय समाधिपाद, साधनपाद, विभूतिपाद और कैव्ल्यपाद है। इन सूत्रों के पाठन को भाष्य कहा जाता है। महर्षि पतंजलि ने अष्टांग योग की महिमा को बताया, जो स्वस्थ जीवन के लिए महत्वपूर्ण माना गया है।

तिरुमलई कृष्णामाचार्य

तिरुमलई कृष्णामाचार्य को आधुनिक योग का पिता कहा जाता है। कृष्णामाचार्य को आधुनिक योग विज्ञान में प्रचलित योग आसानों का रचयिता माना जाता है। मैसूर के महाराजा के राज में उन्होंने योग को बढ़ावा देने के लिए पूरे देश में भ्रमण किया। हठ योग को पुनः चलन में लाने का श्रेय कृष्णामाचार्य को जाता है। कहा जाता है कि वह अपनी धड़कनों को काबू करने की क्षमता रखते थे। 

बीकेएस अयंगर

बीकेएस अयंगर ने योग को विदेशों में फैलाया। इनको पतंजलि के योग और आयंगर योग के लिए भी जाना जाता है। वह दुनिया के सबसे मशहूरयोग शिक्षकों में से एक थे। उन्होंने पतंजलि के योग सूत्र का अध्ययन किया और अपने अध्ययन के आधार पर उन्होंने पूरी दुनिया को आयंगर योग का ज्ञान दिया। दुनिया के कई देशों में उनके अनगिनत अनुयायी हैं। सन 1966 में आचार्य आयंगर ने एक पुस्तक लाइट ऑन योग भी लिखी थी।

के. पट्टभि जॉयस

के. पट्टाभी जोईस अपने आष्टांग योग के लिए प्रसिद्ध हैं। यह योग कोरूंता नाम के प्राचीन योग पर आधारित है। अष्टांग योग 5000 साल पहले संस्कृत में किसी अज्ञात योगी के द्वारा योग पर लिखे गए सूत्र हैं। इन सूत्रों को योग कारुंथ के नाम से जाना जाता है। कई हॉलीवुड के कलाकार भी जोइस के आष्टांग योग के फैन हैं। इनमें हॉलीवुड सिंगर और एक्ट्रेस मडोना स्टिंग और ग्वैनथ प्वैलेट्रो  शामिल हैं।

स्वामी शिवानंद

स्वामी शिवानंद आध्यात्म गुरू के साथ-साध योग और वेदांत के समर्थक भी थे। उन्होंने योग और वेदांत पर लगभग 200 पुस्तकें लिखी थी। उन्होंने दुनिया को त्रिमूर्ति योग से परिचित कराया जिसमें हठ योग, कर्म योग और मास्टर योग का मिश्रण है। उन्होंने एक गाना भी बनाया था जिसमें 18 गुणों की चर्चा की गई थी।

महर्षि महेश योगी

महर्षि महेश योगी ट्रांसिडेंटल मेडिटेशन के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने ट्रांसिडेंटल ध्यान योग में विशेषज्ञता प्राप्त की थी। इसमें आंख बंद कर के मंत्र पढ़ते हुए ध्यान किया जाता है। उनके ज्ञान से प्रभावित होकर मशहूर म्यूजिक बैंड बीटल्स इंडिया आए थे। महर्षि महेश योगी का यह योग विदेशों में काफी प्रसिद्ध हुआ।

जग्गी वासुदेव

जग्गी वासुदेव को सद्गुरु के नाम से भी जाना जाता है। वासुदेव कर्नाटक के रहने वाले है वे इशा फांउंडेशन के संस्थापक है जिसके माध्यम से वह पूरी दुनिया को योग सिखाते हैं। साल 1996 में उन्होंने इंडियन हॉकी टीम के साथ भी योग का सेशन किया था। वह उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों को भी कार्यक्रम आयोजित कर योग सिखाते हैं।

श्री श्री रविशंकर

आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक गुरु श्री श्री रवि शंकर भी देश-दुनिया के जाने पहचाने योग गुरु हैं। पूरी दुनिया में एक लय में सांस लेने की क्रिया को पहचान दिलाई है। इस क्रिया को ‘सुदर्शन क्रिया’ के नाम से जाना जाता है। इस के अंतर्गत सांस को कैसे और किस प्रक्रिया में शरीर के भीतर लें और उसे बाहर छोड़े। उनका कहना है कि सुदर्शन क्रिया का ख्याल उन्हे वर्ष 1982 के दौराना आया था और इसे उन्होंने कर्नाटक में भद्र नदी के किनारे 10 दिनों के मौन के बाद उन्होने इसे सीखा और बाद में लोगों को सिखाना शुरू किया।

बाबा रामदेव

बाबा रामदेव ने पूरी दुनिया में कपाल भाति और अनुलोम-विलोम का काफी प्रचार किया है। बाबा रामदेव ने घर-घर योग पहुंचाने में योगदान दिया। 
 

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