बैडमिंटन चैंपियंस का एक्सक्लूसिव इंटरव्यूः चोट के बावजूद कैसे जीते प्रणय? पुलेला गोपीचंद ने कैसे बदला प्लेयर्स का गेम?

एशियानेट न्यूज नेटवर्क के एक्सक्लूलिव इंटरव्यू में इस बार हमारे साथ हैं बैडमिंटन चैंपियंस सात्विक साईंराज-चिराग शेट्टी, एचएस प्रणय और कोच पुलेला गोपीचंद। सात्विक-चिराग ने एशियन गेम्स में गोल्ड और प्रणय ने ब्रांज मेडल जीता हैै।

 

Exclusive Interview. एशियन गेम्स में भारतीय एथलीट्स ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 107 मेडल जीते हैं। इसमें 28 गोल्ड मेडल, 38 सिल्वर मेडल और 41 कांस्य पदक जीते हैं। एशियन गेम्स के बैडमिंटन इवेंट ने भारत ने पहली बार गोल्ड मेडल पर कब्जा किया है। वहीं एचएस प्रणव ने कांस्य पदक जीता है। इन सभी जीत के पीछे बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद का बड़ा योगदान है। Asianet News Network के Executive Chairman राजेश कालरा ने पदक विजेता सात्विक साईराज-चिराग और प्रणय से बातचीत की। उन्होंने बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद से भी बात की। इस दौरान खिलाड़ियों ने एशियन गेम्स में जीत के उन लम्हों के बारे बताया जिस पर पूरे देश को गर्व है।

दुनिया के किसी भी खिलाड़ी को हरा सकते हैं प्रणय

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भारत के लिए ब्रांज जीतने वाले प्रणय इस वक्त ऐसे फॉर्म में हैं, जिससे दुनिया के किसी भी खिलाड़ी को हरा सकते हैं। पिछले 1 साल से उनका करियर लाजवाब रहा है। प्रणय ने कहा-पिछले दो सालों में बहुत कुछ बदला है। पहली चीज यह है कि पब्लिक पहले से ज्यादा खुश है, इससे परफार्मेंस पर कम प्रेशर पड़ता है। ट्रेनिंग भी फन पार्ट हो गई है। मैं सुबह उठता हूं और ट्रेनिंग के लिए निकल जाता हूं। इसकी वजह से रिजल्ट अच्छा दिखाई दे रहा है।

क्या ट्रेनिंग के अलावा और भी कुछ बदला

जब से सर (पुलेला गोपीचद) के साथ जुड़ा हूं, कई बदलाव हुए, कई कमियां दूर हुईं। हम फिजकली फिट होने पर चर्चा करते हैं। कैसे गेम को इंप्रूव करना है, उस पर चर्चा करते हैं। अब समझता हूं कि कैसे मेरी बॉडी वर्क कर रही है। किस तरह की ट्रेनिंग होनी चाहिए। हम इस पर बात करते हैं और काम करते हैं।

एशियन गेम्स में चोट को कैसे मैनेज किया

एचएस प्रणय को एशियन गेम्स के दौरान बैक इंजरी हुई लेकिन उन्होंने गेम्स के दौरान शो नहीं होने दिया। इस पर प्रणय ने कहा कि बैडमिंटन प्लेयर के तौर पर चोट हमारे गेम का हिस्सा है। 22 से 27 साल की उम्र में बहुत चोटें लगीं और उससे अनुभव मिला कि यह हमारे गेम का पार्ट है। एशियन गेम्स में भी ऐसा हुआ लेकिन हमारे आसपास इतनी पॉजिटिव एनर्जी थी, इतना पॉजिटिव सोच था कि हम इससे आगे निकले और अच्छा परिणाम मिला। प्रणय की शादी को करीब 1.5 साल हुए हैं और शादी के बाद उनका परफार्मेंस बेहतर हो गया। इस सवाल के जवाब प्रणय ने मुस्कुराते हुए कहा कि हां यह सच है। मेरा परिवार भी वाइफ को क्रेडिट देता है।

सेमीफाइनल से पहले चिराग हुए बीमार

सेमीफाइनल मैच से पहले चिराग कुछ बीमार हो गए थे। इस पर चिराग ने कहा कि हां पहले गेम के बाद हमारे साथी रोहन कपूर को बुखार हुआ। मैंने उन्हें स्टेडियम में देखा तो मेरे भी सिर में दर्द महसूस हुआ और गले में खरास हुई। लेकिन उस मैच के बाद हमें 1 दिन का गैप मिला था तो मैंने पूरा दिन रेस्ट किया और ठीक होने के लिए सभी पॉसिबल चीजें कीं। इसके बाद जो हुआ उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। चिराग के पार्टनर सात्विक ने कहा कि उस वक्त हमें समझ नहीं आ रहा था। कई लोग बीमार हुए। मुझे अलग रूम में रखा गया ताकि ठीक रहूं और मैच खेल सकूं।

क्या है सात्विक-चिराग की जोड़ी का सीक्रेट

सात्विक-चिराग जब कोर्ट में होते हैं तो अक्सर मार-मार की आवाज आती है, कई बार कमेंटेटर भी नहीं समझ पाते लेकिन दोनों एक-दूसरे की लैंग्वेज समझते हैं। इस जोड़ी के सीक्रेट के बारे में चिराग ने कहा कि हम ऑफ कोर्ट भी बहुत अच्छे दोस्त हैं। कोर्ट में अच्छा करने के लिए ऑफ कोर्ट भी अच्छी बांडिंग होनी चाहिए, यह हम दोनों में है। चिराग ने कहा कि सेमीफाइनल में सात्विक ने अच्छी शुरूआत नहीं और फाइनल में मैं अच्छा शुरू नहीं कर पाया। तब सेमीफाइनल में मैंने सात्विक को बैक किया और फाइनल में सात्विक ने मुझे बैक किया। हम इसी तरह से एक-दूसरे को बैक करते हैं।

चैंपियंस ने कोच के बारे में क्या कहा

इस सवाल के जवाब में प्रणय ने कहा कि सबसे बड़ी चीज विश्वास है। कई बार ऐसा होता है कि हमें अपने आप पर ट्रस्ट नहीं होता, जब अच्छा नहीं कर पाते तो अक्सर ऐसा होता है। तब हम सोचते हैं कि जो कर रहे हैं वह सही नहीं है। इसी जगह पर कोच आते हैं और वे कहते हैं कि आप जो कर रहे हो, वह सही है। पिछले 15 साल के बैडमिंटन करियर में बहुत से अप-डाउन देखें हैं। कई बार हमें सफलता नहीं मिलती है। लेकिन हमें अगले गेम के लिए पूरी तैयारी के साथ जाना होता है। पिछले 15 साल के करियर में हमने यह सब देखा। होता क्या है कि हम खिलाड़ी के तौर एक ही चीज को देखते हैं, जबकि कोच उसे ज्यादा बड़े कैनवास पर देखते हैं और यही कांफिडेंस हमें देते हैं।

सात्विक-चिराग ने कोच के बारे में क्या कहा

इस सवाल के जवाब में सात्विक ने कहा कि जैसा प्रणय बता रहे थे कि विश्वास बड़ी चीज होती है। हम अपने कोच पर ट्रस्ट करते हैं। हमें पता है कि वे जो भी करेंगे वह हमारे गेम को बेहतर बनाने के लिए ही करेंगे। हम पिछले डेढ़ साल से साथ हैं। सच कहूं तो शुरू में मैं कंफर्टेबल फील नहीं करता था क्योंकि जब ये आए तो कई तरह के बदलाव किए। हम एशियन स्टाइल में खेलते थे लेकिन कोच ने मेरी पोजीशन चेंज और भी कई बदलाव किए तो मैं थोड़ा अनकंफर्टेबल महसूस करता था। बाद में मुझे यह लगा कि वे मेरा गेम बेहतर करना चाहते हैं, खराब नहीं। तब मैं विश्वास करने लगा और चीजें बदल गईं। गोपी सर बहुत यंग एज से हमारे साथ हैं और मैं उन्हें मैजिशियन कहता हूं। हमने साथ में कई टूर्नामेंट्स जीते और अब बहुत अच्छा महसूस होता है। चिराग ने भी ऐसी ही बात कही।

यहां देखें चैंपियंस का फुल इंटरव्यू

खिलाड़ियों के विश्वास पर क्या बोले पुलेला गोपीचंद

बैडमिंटन कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा कि मैं खिलाड़ियों के साथ, उनके गेम को समझकर उन्हें और बेहतर बनाने की कोशिश करता हूं। जब वे अच्छा करते हैं तो एक तरह से सूकून मिलता है। प्रणय, चिराग और सात्विक की सफलता में सिर्फ मेरा ही रोल नहीं है। पूरा कोचिंग स्टाफ होता है, कंडीशनिंग कोच होते हैं, सब लोगों के प्रयास से ही यह खिलाड़ी बेहतर कर पाते हैं। यह एक तरह से टीम वर्क, पॉजिटिविटी की ही देन है। कई बार हम बड़े मुकाबलों से पहले भगवान को याद करते हैं और सोचते हैं कि यह काम करेगा। मैं खुद को भाग्यशाली समझता हूं कि जब ऐसा बोलता हूं तो होता है। इंड ऑफ द डे सभी खिलाड़ी हमारे प्रति जिस तरह का प्यार, सम्मान और विश्वास जताते हैं, वही ऊर्जा का काम करता है। इससे विश्वास बनता है कि हम डिलीवर कर सकते हैं।

क्या किसी खिलाड़ी से कभी डर लगता है

चिराग और सात्विक की जोड़ी से दुनिया भर के खिलाड़ी डरते हैं तो क्या यह जोड़ी भी किसी से डर महसूस करती है। इस पर सात्विक ने कहा कि हम सिचुएशन के बारे में ज्यादा सोचते हैं, सामने वाले खिलाड़ी के बारे में नहीं। हमारी कोशिश होती है कि मुस्कुराते रहें, जोश में रहें और अपना 100 प्रतिशत खेल दिखाएं। भले ही रिजल्ट जो कुछ भी हम हमेशा पॉजिटिव रहकर अपनी एबिलिटी के बारे में फोकस करते हैं। यही हमारा गेम प्लान होता है। सब जानते हैं कि हम 90 प्रतिशत अटैक में विश्वास करते हैं। हम ऐसा ही करते जाते हैं और सामने वाले विपक्षी मजबूर होते हैं कि वे प्लान चेंज करें। 

किस स्पोर्ट्स पर्सन का सम्मान करते हैं ये चैंपियंस

इस सवाल के जवाब में चिराग ने कहा कि वे उसेन बोल्ट और राफेल नडाल का बहुत सम्मान करते हैं। वहीं सात्विक ने कहा कि मैं रोजर फेडरर को मानता हूं, वे बहुत कूल माइंड लगते हैं। इसके अलावा प्रणय अन्ना का बहुत सम्मान करता हूं। प्रणय फाइटर हैं और ये मेरी प्रेरणा भी हैं। प्रणय ने कहा कि सभी खिलाड़ी जो खेलते हैं, उनसे कुछ न कुछ सीखने को ही मिलता है। बैडमिंटन बहुत कंपीटेटिव है। हाल के दिनों में कई युवा उभरकर सामने आए, कई फ्रेश चेहरे हैं। 

आगे किस तरह की चुनौतियां हैं जिसे दूर किया जाना चाहिए

पुलेला गोपीचंद ओलंपिक टास्क फोर्स के मेंबर भी हैं, जब उनसे पूछा गया कि इस तरह के चैंपियन खिलाड़ियों को सामने लाने में अभी और क्या प्रयास किए जा सकते हैं। इस पर गोपीचंद ने कहा कि मैं यह नहीं कह सकता कि क्या किया जाना चाहिए या क्या निगेटिव है। लेकिन मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि देश के स्पोर्टिंग इको-सिस्टम में अभी बहुत कुछ बदलाव की जरूरत है। पिछले 10 वर्षों में प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत तौर स्पोर्ट्स को बढ़ावा दिया है। ओलंपिक टास्क फोर्स का गठन किया, इससे हम बेहतर कर पा रहे हैं। इसी का परिणाम है कि एशियन गेम्स में शानदार प्रदर्शन सामने आया है। 

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