इसरो प्रमुख सोमनाथ ने बताया क्यों गगनयान टेस्ट में आई परेशानी, कैसे किया ठीक, मिशन में आगे क्या होगा

इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने मिशन गगनयान के TV-D1 की लॉन्चिंग के दौरान आई परेशानी के बारे में बात की। उन्होंने कहा कि ग्राउंड कंप्यूटर ने तकनीकी खराबी का पता लगाया था। हमने इसे जल्द दूर कर लिया।

 

Vivek Kumar | Published : Oct 21, 2023 5:40 AM IST / Updated: Oct 21 2023, 11:43 AM IST

श्रीहरिकोटा। इसरो ने शनिवार सुबह 10 बजे मिशन गगनयान के लिए सफलतापूर्वक टेस्ट फ्लाइट किया। मिशन गगनयान के TV-D1 को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया। इस दौरान करीब 17 किलोमीटर की ऊंचाई पर गगनयान का क्रू मॉड्यूल रॉकेट से अलग हुआ और पैराशूट की मदद से समुद्र में उतरा।

इस दौरान थोड़ी परेशानी भी आई। TV-D1 पहले प्रयास में लॉन्च नहीं हो सका। सुबह 8:45 बजे इसे लॉन्च किया गया, लेकिन रॉकेट का इंजन स्टार्ट नहीं हुआ। इस तकनीकी खराबी को ठीक कर TV-D1 को सुबह 10 बजे सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया।

 

 

क्रू एस्केप सिस्टम का प्रदर्शन था टेस्ट मिशन का उद्देश्य

TV-D1 की लॉन्चिंग के बाद इसरो प्रमुख एस. सोमनाथ ने TV-D1 की लॉन्चिंग के दौरान आई परेशानी के बारे में बात की। उन्होंने कहा, "ग्राउंड कंप्यूटर ने गैर-अनुरूपता का पता लगाया था, जिससे शुरुआत में रॉकेट शुरू नहीं हो सका। हमने खराबी का पता लगाया और जल्द ही इसे ठीक कर लिया। मिशन का उद्देश्य क्रू एस्केप सिस्टम का प्रदर्शन करना था।"

सोमनाथ ने कहा, "लॉन्च किए जाने के बाद रॉकेट की रफ्तार हवा में ध्वनि की गति से थोड़ी अधिक हो गई थी। इसके बाद क्रू एस्केप सिस्टम ने काम शुरू किया और क्रू मॉड्यूल रॉकेट से अलग होकर नीचे आया। हम समुद्र से क्रू मॉड्यूल आने के बाद अधिक डेटा और विश्लेषण के साथ वापस आएंगे।"

गगनयान मिशन में आगे क्या होगा?

भारत 2025 तक गगनयान मिशन को अंतरिक्ष में भेजने वाला है। यह पहली बार होगा जब इसरो द्वारा इंसान को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। गगनयान तीन अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थित लो अर्थ ऑर्बिट तक जाएगा। अंतरिक्षयात्री तीन दिन स्पेस में रहेंगे फिर धरती पर लौट आएंगे।

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क्रू एस्केप सिस्टम की जांच के लिए शनिवार को किया गया टेस्ट लॉन्च मिशन गगनयान की सफलता की दिशा में अहम कदम है। टेस्ट के दौरान ऐसा क्रू मॉड्यूल भेजा गया जिसमें हवा का दबाव बनाने की व्यवस्था नहीं थी। इनसान को अंतरिक्ष में भेजने के लिए ऐसे क्रू मॉड्यूल की जरूरत होगी जिसमें हवा के दबाव को विमान की तरह बनाकर रखा जा सके। इंसान को अंतरिक्ष में भेजने से पहले इसरो द्वारा कई और टेस्ट फ्लाइट किए जाएंगे।

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