अंतरिक्ष में ISRO की एक और छलांग, एक साथ भेजे 36 विदेशी सैटेलाइट, ली 1000 करोड़ रुपए फीस

भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाते हुए 36 विदेशी सैटेलाइट को अंतरिक्ष में भेजा है। इसके लिए 1000 करोड़ रुपए की फीस ली गई। उपग्रहों का कुल वजन 5805 kg है।

Vivek Kumar | Published : Mar 26, 2023 3:40 AM IST / Updated: Mar 26 2023, 09:48 AM IST

नई दिल्ली। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने रविवार को अंतरिक्ष के क्षेत्र में एक और बड़ी छलांग लगाई है। इसरो के रॉकेट LVM-3 ने छठी बार उड़ान भरी। यह रॉकेट अपने साथ 36 विदेशी सैटेलाइट ले गया। इनका कुल वजन 5805 किलोग्राम है। इन उपग्रहों को लॉन्च करने के लिए इसरो ने एक हजार करोड़ रुपए की फीस ली है।

LVM-III ने श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। वनवेब यूके की संचार कंपनी है। इसमें यूके की सरकार और भारत, फ्रांस, जापान, अमेरिका व दक्षिण कोरिया की कंपनियों की हिस्सेदारी है। यह कंपनी सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवा देती है। वनवेब में भारत की कंपनी भारती एंटरप्राइजेज की भी हिस्सेदारी है।

वनवेब ने तैनात किए 648 उपग्रह
वनवेब द्वारा पृथ्वी के चारों ओर 648 उपग्रहों को तैनात किया गया है। इन्हें करीब 1200 किलोमीटर ऊंचाई की कक्षा में तैनात किया गया है। आज 36 उपग्रहों को कक्षा में तैनात किए जाने के बाद 648 उपग्रहों की तैनाती पूरी हो गई। हर उपग्रह का वजन 150 किलोग्राम है। इन्हें 12 विमानों में तैनात किया गया है। प्रत्येक विमान को एक-दूसरे से टकराने से बचाने के लिए चार किलोमीटर ऊंचाई की दूरी पर कक्षा में स्थापित किया गया।

पूरी दुनिया में मिलेगी ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी
वनवेब के सभी 648 उपग्रहों की तैनाती के बाद कंपनी द्वारा पूरी दुनिया में कहीं भी ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी दी जा सकेगी। उपग्रहों को लो अर्थ ऑर्बिट (पृथ्वी से करीब की कक्षा) में स्थापित किया गया है। उपग्रहों को स्थापित करने के लिए वनवेब और इसरो की कमर्शियल कंपनी NSIL (News Space India Limited) के बीच करार हुआ था। इसके तहत 72 उपग्रह लॉन्च किए जाने थे। इसरो ने पहले 36 सैटेलाइट लॉन्च किए थे। बाकी के 36 उपग्रहों को आज अंतरिक्ष में भेजा गया।

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इसरो का सबसे ताकतवर रॉकेट है LVM-III
इसरो ने 5805 किलोग्राम भारी 36 पेलोड अंतरिक्ष में पहुंचाने के लिए LVM-III (Launch Vehicle Mark-III) का इस्तेमाल किया। यह इसरो का सबसे ताकतवर रॉकेट है। इसकी लंबाई 43.5 मीटर है। यह मूल रूप से GSLV Mk- III (Geosynchronous Launch Vehicle Mark-III) है। इसरो ने इसका इस्तेमाल चंद्रयान मिशन में किया था। इस रॉकेट को जियोसिंक्रोनस ऑर्बिट में उपग्रहों को स्थापित करने के लिए तैयार किया गया है। लॉ अर्थ ऑर्बिट में उपग्रहों को भेजने के चलते इसका नाम LVM-III रखा गया।

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