ISRO के चेयरमैन बोले- अगले साल जून में लॉन्च होगा चंद्रयान-3, पहले से मजबूत है इसका रोवर

इसरो के चेयरमैन डॉ एस सोमनाथ ने कहा है कि चंद्रयान -3 मिशन अगले साल जून में लॉन्च होगा। इस बार पहले की तुलना में अधिक मजबूत रोवर भेजा जाएगा। इसकी इंजीनियरिंग काफी अलग है। 

श्रीहरिकोटा। इसरो (Indian Space Research Organisation) के चेयरमैन डॉ एस सोमनाथ ने रविवार को कहा कि अगले साल जून में चंद्रयान -3 मिशन लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान -3 लगभग तैयार है। इसके कुछ टेस्ट बाकी हैं। चंद्रयान -3 मिशन लॉन्च करने के लिए दो स्लॉट (एक फरवरी और दूसरा जून में) उपलब्ध थे। हमने जून (2023) स्लॉट चुना है।

आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो के सबसे भारी रॉकेट LVM3-M2/OneWeb India-1 द्वारा 36 संचार उपग्रह) लॉन्च किए गए। इसके बाद डॉ. एस सोमनाथ ने मीडिया को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक सफलता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थन के चलते यह संभव हुआ है। वह चाहते थे कि LVM3 कमर्शियल मार्केट में आए। 

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अधिक मजबूत है चंद्रयान-3 का रोवर
एस सोमनाथ ने कहा कि चंद्रयान -3 मिशन चंद्रयान -2 ऑर्बिटर पर निर्भर करेगा। यह पहले से ही चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा कर रहा है। चंद्रयान -3 रोवर मिशन चंद्रयान-2 के वक्त भेजे गए रोवर जैसा नहीं है। इसकी इंजीनियरिंग काफी अलग है। हमने इसे और अधिक मजबूत बनाया है ताकि पिछली बार की तरह समस्या नहीं हो।

उन्होंने कहा कि नए रोवर में कई बदलाव किए गए हैं। इम्पैक्ट लेग को मजबूत बनाया गया है। इसके उपकरण भी पहले से अच्छे हैं। रोवर को विकसित किया जा रहा है ताकि यात्रा की जाने वाली ऊंचाई की गणना करने के लिए अलग-अलग तरीकों का इस्तेमाल किया जा सके। लैंडिंग के लिए खतरे से मुक्त स्थानों की पहचान की जा सके इसके लिए बेहतर सॉफ्टवेयर इस्तेमाल किया जा रहा है।

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इसरो के लिए महत्वपूर्ण चंद्रयान -3 मिशन
बता दें कि चंद्रयान -3 को पहले 2022 की तीसरी तिमाही में लॉन्च करने की योजना थी। कोरोना महामारी के बाद लगे लॉकडाउन से इसका काम प्रभावित हुआ था। इसके चलते मिशन को 2023 के लिए आगे बढ़ाया गया है। चंद्रयान-2 मिशन आंशिक रूप से विभल हो गया था। चंद्रयान-2 के रोबर ने चंद्रमा की जमीन पर लैंड करने की कोशिश की थी, लेकिन वह असफल रहा था। चंद्रयान-2 अभी भी काम कर रहा है और चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा कर रहा है। चंद्रयान -3 इसरो के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आगे के अंतरग्रहीय मिशनों के लिए लैंडिंग करने की भारत की क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा।

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