ISRO के वैज्ञानिकों का नया खुलासा, चंद्रमा के ध्रुवीय गड्डों पर पानी की बर्फ होने के मिले प्रमाण

इसरो के वैज्ञानिकों के रिसर्च में एक नया खुलासा हुआ है। यहां चांद पर ध्रुवीय गड्डों में पानी की बर्फ मिलने की संभावनाओं का प्रमाण मिला है। रिसर्च में इन संभावनाओं के सामने आने के बाद इसे लेकर और रिसर्च किया जा रहा है।

नेशनल डेस्क। भारतीय वैज्ञानिकों ने चांद पर रिसर्च को लेकर फिर अपना नाम दर्ज कराया है। भारत के चंद्रयान 3 मिशन के कामयाब होने के बाद से भारत के साथ ही पूरी दुनिया में चंद्रमा को लेकर रिसर्च चल रहे हैं। इसी कड़ी में भारत को एक और सफलता मिली है। इसरो के वैज्ञानिकों की स्टडी में सामने आया है कि चंद्रमा के ध्रवीय गड्डों में पानी वाली बर्फ की काफी मात्रा होने की संभावना है।

दोनों ध्रवों की सतह पर कई गुना अधिक बर्फ
इसरो के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर के साइंटिस्टों ने आईआईटी कानपुर, साउथ कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, जेट प्रोपल्शन लैब और आईआईटी (ISM) के शोधकर्ताओं की मदद से ये स्टडी की है। इसरो वैज्ञानिकों ने बताया कि पहले कुछ मीटर तक ऊपरी सतह पर बर्फ की मात्रा दोनों ध्रुवों की सतह पर मौजूद बर्फ की मात्रा से से लगभग 5 से 8 गुना अधिक है।

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बर्फ के नमूने लेने के लिए चंद्रमा पर करनी होगी ड्रिलिंग
इसरो के वैज्ञानिकों कहना है कि बर्फ के नमूने लेने के लिए आने वाले भविष्य में चंद्रमा पर ड्रिलिंग कराने की आवश्यकता भी पड़ सकती है। हालांकि ये दीर्घकालिक मिशन होगा। रिसर्च के मुताबिक नार्थ पोल में बर्फ की मात्रा साउथ पोल के मुकाबले दोगुनी है।

जानें कैसे बन रही यहां बर्फ
चंद्रमा के धुवीय गड्डों में बर्फ होने के वैज्ञानिकों के खुलासे के बाद कई सारे प्रश्न भी खड़े हो रहे हैं जिसके जवाब वैज्ञानिक रिसर्च में ढूंढ रहे हैं। फिलहाल चांद पर बर्फ कैसे बन रही इस पर वैज्ञानिकों के रिसर्च में सामने आया है कि चंद्र ध्रुवों में पानी की बर्फ का प्रमुख स्रोत इंब्रियन काल में ज्वालामुखी के दौरान निकलने वाली गैस है। इसरो की टीम चांद पर पानी वाली बर्फ और उसके फैलाव को समझने के लिए रिकॉनिसेंस ऑर्बिटर पर रडार, लेजर, ऑप्टिकल, न्यूट्रॉन स्पेक्ट्रोमीटर अल्ट्रा वयलेट स्पेक्ट्रोमीटर और थर्मल रेडियोमीटर समेत सात उपकरणों का प्रयोग किया गया है।

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