इसरो (ISRO) ने स्पेस स्टेशन के लिए ऐसा फ्यूल सेल तैयार किया है जो बिजली के साथ ही साफ पानी भी देता है। इससे कोई हानिकारक गैस नहीं निकलता।
नई दिल्ली। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने भविष्य का ऐसा फ्यूल सेल विकसित किया है जो बिजली पैदा करने करने के साथ ही साफ पानी भी देगा। इस फ्यूल सेल को स्पेस स्टेशन के लिए बनाया गया है।
स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में मौजूद ऐसा प्रयोगशाला है जहां इंसान रहते हैं। इंसान को अंतरिक्ष में रहने के लिए बिजली के साथ ही पानी की भी जरूरत होती है। इसरो का नया फ्यूल सेल दोनों जरूरतों को पूरा करेगा। यह स्पेस स्टेशन को ऊर्जा देने के लिए बिजली पैदा करेगा। इसके साथ ही इससे पानी भी निकलेगा जो अंतरिक्ष यात्रियों के काम आएगा। इसरो ने इस फ्यूल सेल का सफल टेस्ट किया है।
फ्यूल सेल से पैदा की 180W बिजली
1 जनवरी को इसरो ने PSLV-C58 रॉकेट लॉन्च किया था। इसके साथ 100W क्लास पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन फ्यूल सेल आधारित पावर सिस्टम (FCPS) को अंतरिक्ष में टेस्ट करने के लिए PSLV ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल या POEM लॉन्च किया गया था। इसरो ने बताया है कि प्रयोग का उद्देश्य अंतरिक्ष में पॉलिमर इलेक्ट्रोलाइट मेम्ब्रेन ईंधन सेल के काम को टेस्ट करना था। POEM में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों को बहुत अधिक दबाव में स्टोर किया जाता है। टेस्ट के दौरान इस फ्यूल सेल से 180W बिजली पैदा की गई।
उत्सर्जन-मुक्त है इसरो का फ्यूल सेल
इसरो ने जानकारी दी है कि हाइड्रोजन ईंधन सेल पारंपरिक जनरेटर में इंधन जलाए जाने के विपरीत बैटरी की तरह इलेक्ट्रोकेमिकल सिद्धांतों पर काम करता है। हाइड्रोजन और ऑक्सीजन गैसों के मिलने से बिजली तैयार होती है और शुद्ध पानी भी मिलता है। इस फ्यूल से बाई प्रोडक्ट के रूप में सिर्फ साफ पानी निकलता है। किसी प्रकार का हानिकारक गैस नहीं निकलता। यह पूरी तरह से उत्सर्जन-मुक्त है।
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भविष्य में यह फ्यूल सेल सड़क पर चलने वाली कारों और बाइकों को ऊर्जा दे सकता है। यह फ्यूल सेल गाड़ियों को आम इंजन की तरह अधिक रेंज देगा। इसके लिए फ्यूल सेल को आम लोगों के इस्तेमाल लायक सस्ता करना होगा। ऐसा हो सका तो गाड़ियों को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकेगा।
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