बारामुला में बाइक पर सवार होकर दो आतंकवादी आए और बम बरसाकर फरार हो गए। दोनों आतंकवादी बुर्का पहने हुए थे। लगातार हो रहे आतंकी हमले से राज्य में दहशत का माहौल है। आतंकवादी सबसे अधिक निशाना प्रवासी श्रमिकों और कश्मीरी पंडितों को बना रहे हैं।
श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर के बारामूला शहर में एक शराब की दुकान के अंदर संदिग्ध आतंकवादियों द्वारा ग्रेनेड फेंकने से एक व्यक्ति की मौत हो गई और तीन अन्य घायल हो गए। मृतक की पहचान राजौरी के रंजीत सिंह के रूप में हुई है। 35 वर्षीय, गैरीसन टाउन में नई खुली शराब की दुकान पर काम कर रहा था। तीन घायलों में एक की हालत नाजुक बताई जा रही है। उन्हें अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया है।
शराब की दुकान बारामूला के दीवान बाग पड़ोस में पुलिस और सुरक्षा बलों की फेसिलिटीज के ठीक बगल में स्थित है। पुलिस ने बताया कि मंगलवार की रात करीब आठ बजे बुर्का पहने दो आतंकवादी बाइक पर सवार होकर शराब की दुकान के पास रुके और एक ग्रेनेड अंदर फेंक कर भाग गए।
पुलिस ने कहा कि इस आतंकी घटना में, दुकान के 4 कर्मचारी घायल हुए हैं। सभी घायलों को तुरंत पास के अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया। घायलों में से एक की पहचान बकरा राजौरी निवासी किशन लाल के पुत्र रंजीत सिंह के रूप में हुई, जिसने दम तोड़ दिया। अन्य घायल कर्मचारियों की पहचान गोवर्धन सिंह पुत्र बिजेंद्र सिंह, रवि कुमार पुत्र करतार सिंह दोनों निवासी बिलावर कठुआ और गोविंद सिंह पुत्र गुरदेव सिंह निवासी कांगड़ा राजौरी के रूप में हुई है।
पुलिस ने कर दी है इलाके की घेराबंदी
पुलिस ने कहा कि इलाके की घेराबंदी कर दी गई है और तलाशी अभियान जारी है। गुरुवार को कश्मीरी पंडित कर्मचारी पर हमले के बाद घाटी में यह दूसरा बड़ा हमला है। तब से 4,000 से अधिक पंडित कर्मचारी कश्मीर घाटी के बाहर सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
दहशत में लोग, उठ रहा प्रशासन पर से विश्वास
केंद्र शासित प्रदेश में प्रवासी कामगारों व स्थानीय अल्पसंख्यकों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है। बारामूला हमले के कुछ रोज पहले ही तहसीलदार ऑफिस में घुसकर कश्मीरी पंडित राहुल भट की हत्या कर दी गई थी। बडगाम जिले के तहसील कार्यालय में राहुल भट सरकारी कर्मचारी था। पिछले आठ महीनों में दर्जनों कश्मीरी पंडितों व प्रवासियों को निशाना बनाया जा चुका है। लक्षित हत्याएं अक्टूबर में शुरू हुई थीं, पीड़ित ज्यादातर जम्मू और कश्मीर के बाहर के प्रवासी थे, जो नौकरी की तलाश में आए थे, और स्वदेशी कश्मीरी पंडित थे।
आंकड़ों पर अगर गौर करें तो अक्टूबर में पांच दिनों में सात नागरिक मारे गए। इनमें एक कश्मीरी पंडित, एक सिख और दो गैर-स्थानीय हिंदू शामिल थे। इस घटना के बाद शेखपोरा में कश्मीरी पंडितों का पलायन यहां से हो गया और उनके घर वीरान हो गए।
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