JNU की पहली महिला वीसी का इंटरव्यू : मुझ पर वही लोग आरोप लगा रहे, जो किसी महिला को ऊपर उठता नहीं देख सकते

JNU की पहली महिला वीसी Santishree Dhulipudi Pandit की जेएनयू में नियुक्ति के बाद से ही उन्हें लेकर विवाद सामने आए। हालांकि, यह कुछ ही समय में खत्म भी होते गए। शांतिश्री का कहना है कि ये विवाद उन लोगों द्वारा खड़े किए गए, जो महिला को आगे बढ़ते, ऊपर उठते नहीं देख सकते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 22, 2022 6:11 AM IST / Updated: Mar 22 2022, 12:11 PM IST

नई दिल्ली। जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) की पहली महिला वीसी शांतिश्री धुलीपुड़ी पंडित (Shantishree dhulipudi pandit) जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्रा रही हैं। इससे पहले वे सावित्रीबाई फूले यूनिवर्सिटी में भी रहीं। सावित्रीबाई फूले यूनिवर्सिटी में उन पर PIO (Person Of Indian Origin) को एडमिशन देने में नियमों का पालन नहीं करने का आरोप लगा तो जेएनयू में नियुक्ति के बाद नाथूराम गोड्से के बचाव में कुए गए कुछ ट्वीट्स को लेकर वे विवादों में आईं। एशियानेट न्यूज ने उनसे दिल्ली में विशेष बातचीत की और इन सभी मुद्दों पर बात की। पढ़ें, शांतिश्री ने क्या कहा...

एशियानेट न्यूज : आप जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी की पहली महिला चांसलर हैं। आपके सामने क्या चुनौतियां हैं?
शांतिश्री : देखिये, मैं यहां की पूर्व छात्र भी रही हूं, इसलिए यूनिवर्सिटी को बहुत अच्छी तरह से जानती हूं। हां हमारे यहां कुछ मुद्दे हैं। यह इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर है। हमारा बजट घाटा 103 करोड़ है। सरकार हमें ही सब कुछ नहीं दे सकती है, क्योंकि देशभर में 54 सेंट्रल यूनिवर्सिटीज हैं। इसलिए हमें अपना कोष बढ़ाने के नए तरीके खोजने होंगे।

एशियानेट न्यूज : नई शिक्षा नीति (NEP)के खिलाफ विभिन्न संगठनों की ओर से आंदोलन किया जा रहा है। आप इसका समाधान कैसे करेंगी? 
शांतिश्री :
देखिए, यह काेई अनिवार्य नहीं है कि हमें राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) को पूरी तरह लेना है। हम एनईपी के उस हिस्से को लेंगे, जो जेएनयू के लिए बहुत अनुकूल है।

एशियानेट न्यूज : पास की यूनिवर्सिटीज जैसे दिल्ली यूनिवर्सिटी में दक्षिण भारत (South India) के छात्रों के साथ भेदभाव दिखता है। आप जेएनयू में दक्षिण भारत की पहली वीसी हैं। क्या आपने कभी ऐसा भेदभाव जेएनयू कैंपस में देखा?
शांति श्री :
नहीं, जेएनयू में नहीं। यहां 1985 में आई थी। निर्मला सीतारमण मेरी सीनियर थीं। उन्होंने मुझे घर जैसा माहौल दिया। जब मैं यहां थीं तब छात्रसंघ अध्यक्ष पीके अरुण थे। वो भी केरल से थे। वह वाकई बहुत अच्छे व्यक्ति थे।  

एशियानेट न्यूज : आपके कुछ ट्वीट्स को लेकर काफी विवाद हुआ। अब मामला शांत हो चुका है, लेकिन इस पर आपका क्या कहना है? 
शांतिश्री :
आपने देखा कि यह महज तीन दिनों में खत्म हो गया, क्योंकि यह एक मॉर्फ्ड आईडी के जरिये किया गया था। यह आईडी @Shantishreed के नाम से थी, जबकि मेरा ट्विटर हैंडल शांतिश्री 11 के नाम से है। मेरी बेटी एक साइबर सिक्योरिटी इंजीनियर है। उसने छह साल पहले इस अकाउंट काे डिलीट कर दिया था। 

एशियानेट न्यूज : एक और आरोप आपकी पूर्व यूनिवर्सिटी (सवित्रीबाई फुले यूनिवर्सिटी) से है। यहां आपके खिलाफ कुछ कार्रवाई की बात सामने आई थी। 
शांतिश्री :
देखिये, इसको लेकर एक स्पष्ट विजिलेंस रिपोर्ट आ चुकी है। मैं 2001 में चुनाव जीती थी। इसमें एनसीपी और कांग्रेस को हराया था। मैं राइट विंग से हूं। टीचर्स यूनियन से हूं। वे सिर्फ आरोप लगा रहे हैं। मुझे पूरे भारत में मेरे खिलाफ एक भी एफआईआर दिखाएं। मैं चैलेंज करती हूं। लोगों को जलन होती है यदि कोई महिला आगे आती है। ये वो लोग हैं जो महिला को ऊपर उठता नहीं देख सकते हैं।   

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