फरवरी 2020 में अरेस्ट किए गए इमाम को जामिया हिंसा केस से बरी कर दिया गया। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि शरजील इमाम व अन्य दस लोगों को पुलिस ने "बलि का बकरा" बनाया गया था।
Sharjeel Imam UAPA case bail: जेएनयू के स्टूडेंट शरजील इमाम की जमानत याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट सोमवार छह फरवरी को सुनवाई करेगा। दिल्ली में 2020 के दंगों में साजिश के आरोप में शरजील इमाम को अरेस्ट किया गया था। फरवरी 2020 में अरेस्ट किए गए इमाम को एक दिन पहले ही जामिया हिंसा 2019 के केस से बरी कर दिया गया। उनके अलावा 10 अन्य आरोपियों को भी आरोपमुक्त कर दिया गया है। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाते हुए कहा कि शरजील इमाम व अन्य दस लोगों को पुलिस ने "बलि का बकरा" बनाया गया था। दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और रजनीश भटनागर की बेंच इसकी सुनवाई करेगी।
दिल्ली दंगों का बताया गया मास्टर माइंड...
दिल्ली में 2020 में हुए दंगों के बाद दिल्ली पुलिस ने शरजील इमाम व उमर खालिद सहित कई लोगों को यूएपीए सहित आईपीसी की कई धाराओं में आरोपित करते हुए अरेस्ट किया गया था। पुलिस ने इन लोगों को दिल्ली दंगों का मास्टर माइंड करार दिया था। 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे हुए थे जिसमें 53 लोग मारे गए और 700 से अधिक घायल हुए। नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी, इसके बाद दंगा शुरू हो गया।
स्पेशल कोर्ट कर चुकी है जमानत से इनकार
दिल्ली कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अमिताभ रावत ने 11 अप्रैल 2022 को शरजील इमाम को जमानत देने से इनकार कर दिया था। हालांकि, अपील खारिज होने के बाद शरजील इमाम ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की है। इमाम ने बताया कि वह पीएचडी के अंतिम वर्ष में है। उनका कोई पूर्व आपराधिक इतिहास नहीं है। उसके खिलाफ पुलिस कोई आपराधिक सबूत नहीं पेश कर सही है ना ही दंगों से संबंधित कोई सबूत पेश कर पायी है। पूरी जांच दोषपूर्ण है और उसके भाषणों और हिंसा की घटनाओं के बीच कोई संबंध नहीं है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि इमाम को दिल्ली पुलिस ने उसके खिलाफ 'लक्षित अभियान' के तहत गिरफ्तार किया था। पूर्वोत्तर दिल्ली में जब हिंसा भड़की तो अन्य मामलों के संबंध में वह पहले से ही हिरासत में था और किसी के भी संपर्क में नहीं था।
उमर खालिद की भी जमानत खारिज की जा चुकी
पिछले साल 18 अक्टूबर को, हाईकोर्ट ने इसी मामले में सह-आरोपी उमर खालिद को जमानत देने से इनकार कर दिया था। जमानत नहीं देने हुए कोर्ट ने कहा कि वह अन्य सह-आरोपियों के लगातार संपर्क में था। उसके खिलाफ आरोप प्रथम दृष्टया सच थे।
यह भी पढ़ें: