जोशीमठ संकट: रो पड़े लोग-60 साल का आशियाना एक पल में खत्म हो गया, SC ने पीड़ितों को दिया ये जवाब

सुप्रीम कोर्ट उत्तराखंड के जोशीमठ में संकट को राष्ट्रीय आपदा(national disaster) घोषित करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग वाली याचिका पर 16 जनवरी को सुनवाई करेगा। इस बीच जिन भवनों-मकानों, होटलों आदि को खतरनाक घोषित किया गया है, उन्हें गिराने की कार्रवाई 10 जनवरी से शुरू हो गई। 

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट उत्तराखंड के जोशीमठ में संकट को राष्ट्रीय आपदा(national disaster) घोषित करने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग वाली याचिका पर 16 जनवरी को सुनवाई करेगा। इस बीच जिन भवनों-मकानों, होटलों आदि को खतरनाक घोषित किया गया है, उन्हें गिराने की कार्रवाई 10 जनवरी से शुरू हो गई। इनमें 2 होटल भी हैं। ये हैं लग्जरी होटल मलारी इन और होटल माउंट व्यू। दोनों 5-6 मंजिला होटल हैं। इन्हें गिराने का काम सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (CBRI) की निगरानी में होगा। SDRF की टीम भी मौके पर है।  क्षेत्र की लाइट काट दी गई है। जानिए पूरी डिटेल्स...

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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सुप्रीम कोर्ट से अर्जेंट हियरिंग की अपील की थी। कोर्ट ने इससे इनकार कर दिया है। सुनवाई 16 जनवरी को होगी। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने तत्काल सुनवाई के लिए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती द्वारा दायर याचिका को लिस्टेड करने से इनकार करते हुए कहा कि हर महत्वपूर्ण चीज सीधे इसमें नहीं आनी चाहिए। इसे देखने के लिए लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित संस्थाएं हैं। हर जरूरी चीज हमारे पास नहीं आनी चाहिए। सीजेआई ने कहा, हम इसे 16 जनवरी को लिस्टेड करेंगे। 

याचिका का उल्लेख स्वामी सरस्वती की ओर से पेश अधिवक्ता परमेश्वर नाथ मिश्रा ने किया। सरस्वती ने तर्क दिया है कि यह घटना बड़े पैमाने पर औद्योगीकरण के कारण हुई है और उन्होंने उत्तराखंड के लोगों को तत्काल वित्तीय सहायता और मुआवजे की मांग की है। याचिका में इस चुनौतीपूर्ण समय में जोशीमठ के निवासियों को सक्रिय रूप से समर्थन देने के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को निर्देश देने की भी मांग की गई है।

संत की दलील में कहा गया है, "मानव जीवन और उनके पारिस्थितिकी तंत्र की कीमत पर किसी भी विकास की आवश्यकता नहीं है। अगर ऐसा कुछ भी होता है, तो यह राज्य और केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि इसे युद्ध स्तर पर तुरंत रोका जाए।" .

जोशीमठ, बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों और अंतर्राष्ट्रीय स्कीइंग गंतव्य औली का प्रवेश द्वार, भूमि अवतलन के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है।

जोशीमठ धीरे-धीरे डूब रहा है और घरों, सड़कों और खेतों में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ रही हैं। स्थानीय लोगों ने कहा कि कई घर धंस गए हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोखिम वाले घरों में रह रहे 600 परिवारों को तत्काल खाली करने का आदेश दिया है।

इस  बीच लोगों ने जोशीमठ में मार्च निकाला और नारेबाजी की। इनका कहना है कि पुनर्वास ठीक से किया जाए और मुआवजा उचित हो। 10 जनवरी को गृह मंत्रालय की एक टीम भी जोशीमठ में लैंडस्लाइड में हुए नुकसान का जायजा लेगी। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट उत्तराखंड के जोशीमठ पहुंचे। जोशीमठ स्थिति को लेकर आर्मी बेस में प्रशासनिक अधिकारियों से चर्चा की जा रही है।

अभी 478 घर और 2 होटलों की पहचान की गई है, जिन्हें गिराने की कार्रवाई शुरू हो गई है। अब तक 81 परिवारों को हटाया गया है। SDRF कमांडेंट मणिकांत मिश्रा ने कहा-होटल मलारी इन को गिराया जाएगा। इसे चरणबद्ध तरीके से गिराया जाएगा। ये होटल टेड़े हो गए हैं। इसे तोड़ना जरूरी है, क्योंकि इसके नीचे भी कई घर और होटल हैं और अगर ये ज्यादा धंसेगा तो कभी भी गिर सकता है। CBRI के एक्सपर्ट अधिक तकनीकी जानकारी देंगे।

वहीं होटल मलारी इन के मालिक ठाकुर सिंह राणा ने कहा-मुझे केंद्र और राज्य सरकार से बहुत तकलीफ है। ये होटल जनहित में तोड़ा जा रहा है, कोई बात नहीं मैं प्रशासन के साथ हूं। बस मुझे नोटिस देना चाहिए और मेरा आर्थिक मूल्यांकन कर देना चाहिए, मैं यहां से चला जाऊंगा। मेरा आग्रह है आर्थिक मूल्यांकन किया जाए।


बिंदू नामक महिला ने कहा-हमारा 60 साल का आशियाना एक पल में खत्म हो गया। हमें नहीं पता कि हम कहां जाएंगे। हमें सरकार से कुछ भी मदद नहीं मिली। वह (सरकारी अधिकारी) आए और लाल निशान लगाया और (घर) खाली करने के लिए कह दिया।

मनीष नामक रहवासी ने कहा-हमारा 60 साल का आशियाना एक पल में खत्म हो गया। हमें नहीं पता कि हम कहां जाएंगे। हमें सरकार से कुछ भी मदद नहीं मिली। वह (सरकारी अधिकारी) आए और लाल निशान लगाया और (घर) खाली करने के लिए कह दिया।

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