कारगिल विजय के 25 साल: परमवीर चक्र विजेता कैप्टन योगेंद्र यादव ने शेयर की यादें

कारगिल की जंग (Kargil War) में वीरता दिखाने के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित योगेंद्र कुमार यादव (Yogendra Kumar Yadav) 25 साल बाद यहां आए हैं। एशियानेट न्यूज के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने अपनी यादें शेयर की।

Vivek Kumar | Published : Jul 25, 2024 8:23 AM IST / Updated: Jul 25 2024, 03:01 PM IST

कारगिल (Report- Anish Kumar)। जम्मू-कश्मीर के कारगिल (Kargil Vijay Diwas 2024) में पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई में जीत के 25 साल हो गए हैं। इस जंग में कैप्टन योगेंद्र कुमार यादव (Yogendra Kumar Yadav) ने अदम्य वीरता दिखाई थी। घायल होने के बाद भी वह लड़ते रहे और पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया। इसके लिए उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।

योगेंद्र कुमार 25 साल बाद कारगिल पहुंचे हैं। उन्होंने एशियानेट न्यूज के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत की। इस दौरान जंग की यादें शेयर की। कहा, "हिन्दुस्तान की फौज ने कारगिल की पहाड़ियों पर जंग जीतकर इतिहास में स्वर्णिम अध्याय जोड़ा है। इन पहाड़ियों पर सैनिकों ने अपने लहू से हर एक पत्थर को पावन किया। आज देश बड़े गौरव और गर्व से इनकी ओर देखता है। उन साथियों की याद आती है जो आज स्थूल शरीर (जीवित रूप से) से हमारे साथ नहीं हैं। उनके सूक्ष्म शरीर (आत्मा) आज भी यहां पहरा दे रहे हैं।"

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कारगिल की पहाड़ियों के हर शिखर पर शहादत दे रहे थे सैनिक

योगेंद्र यादव ने कहा, "यहां आकर 25 साल पहले की तमाम यादें ताजा हो गईं। इन पहाड़ियों के हर शिखर पर कोई न कोई सैन्य टुकड़ी लड़ रही थी। सैनिक शहादत दे रहे थे और विजय पताका फहरा रहे थे। पूरा राष्ट्र इन सैनिकों के साथ भावनात्मक रूप से कदम से कदम और कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा था।"

जिसे निराशा है यहां आए, पल भर में दूर हो जाएगी

योगेंद्र यादव ने कहा, "इन सैनिकों ने इस राष्ट्र के मान को हमेशा ऊंचा रखा। एक सैनिक कहता भी है, मैं रहूं या न रहूं ये राष्ट्र रहना चाहिए। यह राष्ट्र के गौरवशाली इतिहास का अध्याय है। ये एक धाम है। किसी को कभी जीवन में निराशा हो तो यहां आकर इन पहाड़ों को देख लो, आपकी निराशा पल भर में दूर हो जाएगी।"

कारगिल विजय दिवस क्यों मनाया जाता है?

बता दें कि 1999 से पहले कारगिल की पहाड़ियों की चोटियों पर सर्दी के मौसम में भारतीय सैनिक तैनात नहीं होते थे। इसी तरह दूसरी ओर पाकिस्तान के सैनिक भी सर्दी के दिनों में चोटियों पर नहीं रहते थे। पाकिस्तान के सैनिकों ने घुसपैठ कर कारगिल की चोटियों पर कब्जा कर लिया था। मई 1999 में पता चला कि घुसपैठ पाकिस्तानी सेना ने की है। इसके बाद दुश्मन का कब्जा हटाने के लिए 3 मई से 26 जुलाई तक कारगिल में लड़ाई हुई। दुश्मन ऊंची चोटियों पर बैठे थे। भारत के सैनिकों को खड़ी चढ़ाई करनी थी। इस वजह से लड़ाई बेहद कठिन थी। 26 जुलाई को भारत ने यह जंग जीत लिया था। इस अवसर पर कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है।

ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव को मिला था परमवीर चक्र

ग्रेनेडियर योगेंद्र यादव को कारगिल की लड़ाई में वीरता दिखाने के लिए परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था। उनकी बटालियन ने 12 जून 1999 को तोलोलिंग टॉप पर कब्जा किया था। इस दौरान 2 अधिकारियों, 2 जूनियर कमीशन अधिकारियों और 21 सैनिकों ने शहादत दी थी।

यह भी पढ़ें- ये हैं Kargil War के 10 वीर योद्धा, सदियों तक सुनाई जाएगी इनकी कहानी

योगेंद्र यादव घातक प्लाटून का हिस्सा थे। उन्हें टाइगर हिल पर करीब 16500 फीट ऊंची चट्टान के टॉप पर दुश्मन के तीन बंकरों पर कब्जा करना था। वह रस्सी की मदद से चढ़ रहे थे तभी दुश्मन ने रॉकेट दागे और गोलियां चलाई। कई गोलियां लगने के बाद भी वह चढ़ते रहे। वह रेंगते हुए दुश्मन के बंकर तक पहुंचे और एक ग्रेनेड फेंका। इससे चार पाकिस्तानी सैनिक मारे गए। पहले बंकर पर कब्जा होने के बाद भारतीय प्लाटून के बाकी सदस्यों को चट्टान पर चढ़ने का मौका मिल गया। योगेंद्र यादव ने लड़ाई जारी रखी और दूसरे बंकर को भी नष्ट कर दिया। उन्होंने कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था।

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