बेंगलुरू में नहीं बंद होगी ओला-उबर-रैपिडो सर्विस, हाईकोर्ट का आदेश 15 दिनों में कर्नाटक सरकार तय करे किराया

कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह 15 दिनों में ऐप आधारित ऑटो-रिक्शा सर्विस के लिए किराया तय करे। इसके पहले राज्य सरकार ने अधिक किराया वसूलने की लगातार शिकायतें मिलने के बाद ओला-उबर-रैपिडो आदि की सर्विस को बंद करने का आदेश दिया था। 

App based Autorickshaw services not stop in Bengaluru: कर्नाटक के बेंगलुरू में एप आधारिक ऑटो-रिक्शा सर्विस को बंद नहीं किया जाएगा। कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह 15 दिनों में ऐप आधारित ऑटो-रिक्शा सर्विस के लिए किराया तय करे। इसके पहले राज्य सरकार ने अधिक किराया वसूलने की लगातार शिकायतें मिलने के बाद ओला-उबर-रैपिडो आदि की सर्विस को बंद करने का आदेश दिया था। 

सरकार ने नियमों का हवाला देकर किया था बंद

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राज्य सरकार ने पिछले हफ्ते उबर, रैपिडो और ओला जैसे ऑनलाइन एग्रीगेटर्स को ऑटो-रिक्शा के लिए अपनी सेवाएं तुरंत बंद करने का आदेश दिया था। सरकार ने बताया कि 2016 में कर्नाटक ऑन-डिमांड ट्रांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजी एग्रीगेटर रूल्स के तहत जारी लाइसेंस के तहत ऑटो-रिक्शा को कवर नहीं किया गया था। इन नियमों का हवाला देकर ऑटो-रिक्शा सेवा को तत्काल बंद करने का आदेश दिया था। एग्रीगेटर्स को यह भी चेतावनी दी गई थी कि अगर ऑटो को आदेश का उल्लंघन करते पाया गया तो कार्रवाई शुरू की जाएगी।

ओला-उबर ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया 

राज्य सरकार के आदेश के खिलाफ ओला व उबर कंपनियों ने ऐप आधारित ऑटो रिक्शा के लिए कर्नाटक हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। एएनआई टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, ओला ऐप के माध्यम से सेवा दे रही है। जबकि उबर इंडिया सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा उबर एप संचालित किया जाता है। दोनों कंपनियों ने दो अलग-अलग याचिकाओं में हाईकोर्ट में एप आधारित ऑटो रिक्शा सेवा बंद करने के आदेश को चुनौती दी थी।

गुरुवार को समझौते का सुझाव आया

गुरुवार को याचिकाओं पर सुनवाई करने वाले न्यायमूर्ति एम जी एस कमल ने सुझाव दिया कि अधिकारी और कंपनियां एक समझौते पर पहुंचें और एक आम सबमिशन करें। सरकार एग्रीगेटर्स से बात करने को राजी हो गई थी। शुक्रवार को उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि सरकार 15 दिनों के भीतर किराया तय करते समय सभी स्टेक होल्डर्स के सुझावों को ध्यान में रखे। HC ने यह भी निर्देश दिया कि जब तक किराया तय नहीं हो जाता तब तक एग्रीगेटर्स के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए।

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