कर्नाटक में डीके शिवकुमार या सिद्धारमैया? तय हुआ नाम केवल अनाउंसमेंट में देरी, जानिए किसके नाम पर लगी मुहर

रविवार को विधायक दल की मीटिंग के बाद पर्यवेक्षकों ने वन-टू-वन सबकी राय जानी, इसके अलावा सीक्रेट बैलेट से वोटिंग भी कराई। देर रात तक चली कवायद के बाद पर्यवेक्षक वापस दिल्ली लौट गए हैं।

Dheerendra Gopal | Published : May 15, 2023 11:16 AM IST / Updated: May 15 2023, 04:55 PM IST

Karnataka new CM : कर्नाटक में नई सरकार का शपथ ग्रहण समारोह गुरुवार को तय किया गया है। नई सरकार के गठन में दो दिन का समय है। हालांकि, मुख्यमंत्री पद को लेकर सस्पेंस बरकरार है। रविवार को विधायक दल की मीटिंग के बाद पर्यवेक्षकों ने वन-टू-वन सबकी राय जानी, इसके अलावा सीक्रेट बैलेट से वोटिंग भी कराई। देर रात तक चली कवायद के बाद पर्यवेक्षक वापस दिल्ली लौट गए हैं। माना जा रहा है कि देर रात तक राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को रिपोर्ट सौंप दिया जाएगा और फिर मुख्यमंत्री के नाम का ऐलान कभी भी कर दिया जाएगा। उधर, सीएम पद के दोनों दावेदारों सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार को भी दिल्ली बुला लिया गया है।

पर्यवेक्षक वापस लौटे, सूरजेवाल बोले-संगठन अब चयन प्रक्रिया को आगे बढ़ाएगा

कर्नाटक में मुख्यमंत्री के चेहरे पर विधायक दल की मीटिंग में राय जानने के लिए केंद्रीय नेतृत्व ने सुशील कुमार शिंदे, दीपक बावरिया और भंवर जितेंद्र सिंह को भेजा था। मीटिंग में सीएम चयन के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे को अधिकार देने के प्रस्ताव के बाद घंटों तक पर्यवेक्षकों ने विधायकों से वन-टू-वन बातचीत कर उनके राय जाने। इसके बाद सीक्रेट वोटिंग कराई गई ताकि स्थितियां स्पष्ट हो सके और नेतृत्व को फैसला लेने में सहूलियत हो। सारी रिपोर्ट लेने के बाद पर्यवेक्षक वापस दिल्ली लौट गए। उधर, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सिंह सूरजेवाला ने कहा कि पर्यवेक्षक लोग रात तक अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपेंगे। बाकी लोगों से भी राय ली जाएगी। कल कांग्रेस अध्यक्ष, कांग्रेस महासचिव (संगठन) के साथ मिलकर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।

तीन दशक के सारे रिकॉर्ड को कांग्रेस ने तोड़ा

कांग्रेस की यह जीत 30 वर्षों में सीटों और वोट शेयर दोनों के मामले में एक रिकॉर्ड है। पार्टी ने 136 सीटों पर जीत हासिल की है। यह 2018 की तुलना में 55 अधिक है। साथ ही 42.88 प्रतिशत का वोट शेयर भी हासिल किया है। कांग्रेस इस स्कोर के सबसे करीब 1999 में आई थी जब उसने 132 सीटें जीती थीं और उसका वोट शेयर 40.84 प्रतिशत था। 1989 में, इसने 43.76 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 178 सीटें जीतीं। बीजेपी ने 36 फीसदी वोट शेयर के साथ 66 सीटें जीती हैं। एचडी कुमारस्वामी की जेडीएस ने 13.29 फीसदी वोट शेयर के साथ 19 सीटें जीती हैं।

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