काशी-मथुरा बाकी है: इलाहाबाद HC ने ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे पर लगाई रोक

विश्वेश्वर नाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट(Allahabad High Court) आज एक अहम फैसला सुनाते हुए ASI के सर्वेक्षण पर रोक लगा दी है।

प्रयागराज. वाराणसी के ज्ञानवापी स्थित भगवान विश्वेश्वर नाथ मंदिर-मस्जिद विवाद की सुनवाई में आज इलाहाबाद हाईकोर्ट(Allahabad High Court) ने एक अहम फैसला सुनाते हुए ASI के सर्वेक्षण पर रोक ( stay) लगा दी है। अंजुमन इन्तेजामियां कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट में एक याचिका लगाकर मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (Archaeological Survey of India-ASI) के सर्वेक्षण पर रोक लगाने की मांग की थी। वाराणसी के सिविल जज ने 8 अप्रैल 2021 को मस्जिद परिसर का ASI सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था।

31 अगस्त को हाईकोर्ट ने मंदिर-मस्जिद के पक्षकारों की दलील सुनी थीं
इस मामले में हाईकोर्ट में जस्टिस प्रकाश पाडिया की एकल पीठ ने 31 अगस्त को मंदिर-मस्जिद के पक्षकारों की दलील सुनकर 9 सितंबर को फैसला सुनाने की तारीख तय की थी। हाईकोर्ट में मस्जिद इंतेजामियां कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से याचिका दाखिल की गई थी। इसमें मस्जिद पक्षकार के वकील एसएफए नकवी ने पक्ष रखा था।

Latest Videos

यह भी पढ़ें-ममता सरकार दुर्गा पूजा पर राज्य के पूजा पंडालों को देगी 50-50 हजार रुपये, BJP ने जताई आपत्ति

वाराणसी कोर्ट ने यह दिया था फैसला
काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में  8 अप्रैल को फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। कोर्ट ने सर्वेक्षण को मंजूरी देते हुए कहा था कि सर्वेक्षण का खर्च राज्य सरकार उठाएगी। केंद्र के पुरातत्व विभाग के 5 लोगों की टीम बनाकर पूरे परिसर का अध्यन करने निर्देश दिया गया था। 

यह भी पढ़ें-Taliban सरकार को लेकर अब अब्दुल्ला दीवाना: दुआ में उठे हाथ-'वे इस्लामिक सिद्धांतों पर Good गवर्नेंस देंगे'

याचिकाकर्ता ने किया था ये दावा
याचिकाकर्ता ने दावा था कि काशी विश्वनाथ मंदिर के अवशेषों से ही ज्ञानवापी मस्जिद का निर्माण हुआ था। साल 1991 से चल रहे इस विवाद में 2 अप्रैल को सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट के सिविल जज आशुतोष तिवारी ने दोनों पक्षों की सर्वेक्षण के मुद्दे पर बहस के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

ढांचे के नीचे हैं शिवलिंग
मीडिया के मुताबिक कोर्ट में कहा गया था कि साल 1669 में मंदिर को तोड़ा था और फिर विवादित ढांचा खड़ा कर दिया गया था। बाकी सारे अवशेष वहां मौजूद हैं। इस ढांचे के नीचे शिवलिंग मौजूद है। 

यह भी पढ़ें-Bengal में फिर हिंसा, BJP सांसद अर्जुन सिंह के घर पर फेंका बम, Governor ने tweet करके दी जानकारी

लंबे समय से चला आ रहा है यह विवाद
बीजेपी और संघ के दूसरे आनुषांगिक संगठनों का मानना है कि अयोध्या में बाबरी के अलावा ज्ञानवापी मस्जिद, काशी विश्वनाथ मंदिर को क्षतिग्रस्त करके बनाया गया। साथ ही मथुरा का शाही ईदगाह को भी कृष्ण जन्मभूमि माना गया है। मुगलों के हाथों तबाह किए गए साइट्स की लिस्ट तो बहुत बड़ी बताई गई है मगर बीजेपी ने प्रमुखता से अयोध्या के साथ काशी-मथुरा को हिंदुओं को वापस सौंपने की मांग की थी। हालांकि 6 दिसंबर 1992 को बाबरी ढांचा ढहाए जाने के बाद धीरे-धीरे "अयोध्या तो एक झांकी है, काशी-मथुरा बाकी है" के नारे से काशी और मथुरा ठंडे बस्ते में चला गया था। लेकिन अगले साल यूपी चुनाव हैं, इसलिए हिंदुत्व का मुद्दा फिर से जोर पकड़ रहा है। 

Share this article
click me!

Latest Videos

SDM थप्पड़कांड के बाद हर तरफ बवाल, ठप हो गया राजस्थान और नरेश मीणा को घसीटते हुए ले गई पुलिस
'जब तक कलेक्टरनी की मेंहदी न उतार दूं...' नरेश मीणा का एक और वीडियो हुआ वायरल
SDM थप्पड़ कांड और बवाल, फरार नरेश मीणा आ गए सामने, जानें क्या कहा । Naresh Meena । Deoli Uniara
वोटिंग के बीच नरेश मीणा ने SDM को ही मार दिया थप्पड़, जानें वायरल वीडियो का पूरा सच
डोनाल्ड ट्रंप की कैबिनेट में हो सकते हैं 3 NRI, एक भारतीय महिला को मिली बड़ी जिम्मेदारी