केरल के चार बिलों को लटकाने का राष्ट्रपति पर आरोप, पी.विजयन सरकार पहुंची सुप्रीम कोर्ट

मुख्यमंत्री पी.विजयन सरकार की एलडीएफ सरकार ने याचिका में केंद्र सरकार, राष्ट्रपति के सचिव, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और उनके अतिरिक्त सचिव को पार्टी बनाया है।

Dheerendra Gopal | Published : Mar 23, 2024 3:13 PM IST / Updated: Mar 24 2024, 12:32 AM IST

नई दिल्ली। केरल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति के खिलाफ याचिका दायर की है। केरल सरकार ने आरोप लगाया कि राष्ट्रपति चार बिलों को मंजूरी देने की बजाय लंबित रखी हुई हैं। इन चारों विधेयकों को राज्य विधानसभा पास कर चुकी है। मुख्यमंत्री पी.विजयन सरकार की एलडीएफ सरकार ने याचिका में केंद्र सरकार, राष्ट्रपति के सचिव, केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और उनके अतिरिक्त सचिव को पार्टी बनाया है।

कौन-कौन से बिल लंबित?

केरल सरकार ने विधानसभा में चार बिलों को पास किया था। यह बिल अब राष्ट्रपति के पास लंबित है। यह बिल हैं...यूनिवर्सिटी लॉज (अमेंडमेंट) (नंबर 2) बिल 2021, द केरल सरकार को-ऑपरेटिव सोसाइटीज (संशोधन) बिल 2022, द यूनिवर्सिटी लॉज (अमेंडमेंट) बिल 2022 और द यूनिवर्सिटी लॉज (अमेंडमेंट) (नंबर 3) बिल 2022।

क्या कहा केरल सरकार ने लंबित बिलों पर?

केरल सरकार ने कहा कि चारों बिल पूरी तरह से केरल राज्य के अधिकार क्षेत्र का है। भारत के राष्ट्रपति को चार विधेयकों को बिना किसी कारण के रोकना पूरी तरह से आर्टिकल 14 का उल्लंघन है। दरअसल, विधानसभा में विधेयक पास होने के बाद राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के पास भेजा गया लेकिन राजभवन में काफी दिनों तक यह बिल लंबित रहे। इसको लेकर केरल सरकार सुप्रीम कोर्ट भी गई थी। बिलों को मंजूरी नहीं देने पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल को नोटिस भी जारी किया था। 

उधर, राज्यपाल द्वारा लंबे समय तक बिलों के लंबित होने के बाद राष्ट्रपति के पास इसे विचार करने के लिए भेजा गया। राष्ट्रपति ने भी बिना कोई कारण बताए इन्हें अपने पास लंबित रखा। केरल सरकार की ओर से सीएस सासी ने कहा कि विधानसभा में पास किए गए बिलों को लंबित रखना आर्टिकल 14 का उल्लंघन है।

दरअसल, केरल सरकार और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बीच तनाव काफी दिनों से देखने को मिल रहा है। राज्यपाल पर राज्य सरकार कई बार बेवजह दखलंदाजी का आरोप लगा चुकी है।

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