क्या आप जानते हैं हर फ्राइडे को क्यों बंद रहता है बेंगलुरू का विद्यार्थी भवन? जानें ऐतिहासिक कारण- 6 PHOTOS
Bengaluru Vidyarthi Bhawan. बेंगलुरू के प्रसिद्ध विद्यार्थी भवन में हमेशा लोगों की लाइन लगी रहती है। यहां का फूड इतना डिलिसियस और यूनिक होता है कि जो एक बार पहुंचा, वह बार-बार यहां जरूर जाता है। क्या आप जानते हैं कि हर फ्राइडे को यह बंद रहता है।
Manoj Kumar | Published : Sep 4, 2023 1:19 PM IST / Updated: Sep 04 2023, 07:15 PM IST
हर फ्राइडे को बंद होता है विद्यार्थी भवन
बेंगलुरु के प्रतिष्ठित होटलों में से एक है गांधीबाजार का विद्यार्थी भवन। लेकिन सप्ताह में हर शुक्रवार को इसे बंद रखने की परंपरा है। इसके पीछे एक ऐतिहासिक कारण है। आखिर क्या है यह ऐतिहासिक कारण, आप भी जानें।
कैसे शुरू हुआ बेंगलुरू का विद्यार्थी भवन
विद्यार्थी भवन के पीछे काफी लंबा इतिहास है। यह प्रसिद्ध दक्षिण भारतीय शाकाहारी रेस्तरां है। इसकी शुरुआत 1943 में छात्रों के लिए छोटे भोजनालय के तौर पर हुई थी। इसी तरह इसका नाम भी विद्यार्थी भवन पड़ा। यह बेंगलुरु की पाक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
आखिर क्यों बंद रहता है शुक्रवार को रेस्त्रां
विद्यार्थी भवन के बारे में दिलचस्प बात यह है कि यहां विशेष परंपरा का पालन किया जाता है। हर शुक्रवार को रेस्टोरेंट बंद रहता है और इस प्रथा के पीछे एक अनोखी कहानी है। यह सब 15 अगस्त 1947 से शुरू हुआ, जब भारत ने ब्रिटिश शासन की गुलामी से आजादी पाई थी।
क्या हुआ था आजादी के दिन
उस समय शालिग्राम परमेश्वर उराल उस विद्यार्थी भवन के मालिक थे। आजादी के ऐतिहासिक दिन वे जल्दी उठे और कुछ विशेष करने का फैसला किया। उन्होंने सामान्य से कहीं अधिक बड़ी मात्रा में मिठाइयां तैयार कीं और विद्यार्थी भवन के दरवाजे जनता के लिए खोल दिए।
आजादी के दिन लोगों में बांटी गईं मिठाइयां
उस दिन बेंगलुरु का गांधी बाजार चौराहा भारत की नई आजादी का जश्न मना रहे लोगों से भरा हुआ था। एक सच्चे देशभक्त परमेश्वर उराल ने भीड़ को मिठाइयां बांटी। उन्होंने आजादी की खुशी जाहिर करने के लिए ऐसा किया।
आजादी के दिन से हुई छुट्टी की शुरूआत
मालिक परमेश्वर उराल ने उसी दिन विद्यार्थी भवन के सभी वेटरों और कर्मचारियों को एक दिन की छुट्टी देने का फैसला किया। यह स्वतंत्रता संग्राम के प्रति सम्मान दिखाने और उस विशेष शुक्रवार के महत्व का सम्मान करने का तरीका था। शुक्रवार को रेस्तरां बंद करने की यह परंपरा उसी ऐतिहासिक दिन से शुरू हुई और आज भी इसका पालन किया जा रहा है।