हुुदहुद, निसर्ग, फेलीन, अम्फन...अब 'तौकते'...कैसे रखे जाते हैं चक्रवातों के नाम, जानते हैं क्या आप

तौकते नाम म्यांमार से आया है। इसका मतलब होता है अधिक शोर करने वाली छिपकली। इसी तरह 22 नवम्बर 2020 में सोमालिया में चक्रवाती तूफान आया था इसका नाम भारत का था। भारत ने इस तूफान को ‘गति’ नाम दिया था। 

Asianet News Hindi | / Updated: May 15 2021, 06:30 AM IST

नई दिल्ली। हुदहुद, निसर्ग, फेलीन, निवार, अम्फन...। न जाने कितने ऐसे ही नाम आप सुन चुके हैं। तबाही मचाने वाले तूफानों के नाम कैसे रख दिए जाते हैं। कौन रखता है इनके नाम...कैसे तय होता है कि किस चक्रवात का नाम क्या होगा। हर चक्रवात और उसका नाम सामने आने के बाद सबके जेहन में यह सवाल जरूर उठता होगा। आइए जानते हैं कि चक्रवातों का नामकरण कैसे होता है, कौन रखता है इन नामों और इसके पीछे का मकसद क्या होता।

तौकते चक्रवात को लेकर हर ओर है अलर्ट 

अरब सागर में एक उच्च दबाव बन चुका है। इससे तौकते चकव्रात शनिवार के बाद तटीय इलाकों में तबाही मचा सकता है। कई राज्यों में तेज बारिश हो रही है। केरल में नदियां उफनाई हुई हैं, बंधों को खोल दिया गया है। मौसम विभाग ने महाराष्ट्र, गोवा, दक्षिण कोंकण सहित कर्नाटक के कई क्षेत्रों के लिए अलर्ट जारी किया है। आशंका जताई जा रही है कि शनिवार की रात तक यह भीषण चक्रवाती तूफान में बदल सकता है। 16 से 19 मई के बीच इसकी स्पीड 150-175 किलोमीटर प्रति घंटा हो सकती है। 18 मई को इसके गुजरात के तटीय क्षेत्र से टकराने की आशंका जताई जा रही है। 

तौकते का नाम आया म्यांमार से

तौकते नाम म्यांमार से आया है। इसका मतलब होता है अधिक शोर करने वाली छिपकली। इसी तरह 22 नवम्बर 2020 में सोमालिया में चक्रवाती तूफान आया था इसका नाम भारत का था। भारत ने इस तूफान को ‘गति’ नाम दिया था। 

कब से शुरू हुआ नामकरण

दरअसल, साल 2000 में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने वाले तूफानों/चक्रवातों को नाम देने की पद्धति शुरू हुई। यूएनओ की आर्थिक और सामाजिक आयोग, विश्व मौसम संगठन ने बैठक कर नाम रखने का प्रस्ताव दिया। फिर भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैंड सहित कई देशों ने बंगाल की खाड़ी व अरब सागर में उठने वाले चक्रवातों के लिए 13 नामों की एक सूची दी। इस सूची के हिसाब से तूफानों का नामकरण शुरू हुआ। हालांकि, 2018 में इन देशों के अलावा ईरान, कतर, सउदी अरब, यूएई, यमन भी पैनल में शामिल हो गया।  

सूची में शामिल नामों को कैसे तय किया जाता

पैनल में शामिल देश जो नामों की सूची देते हैं। उसको पैनल में शामिल देशों के अल्फाबेट के हिसाब से नामों को सूचीबद्ध किया जाता है। जैसे अल्फाबेट के हिसाब से सबसे पहले बांग्लादेश का नाम आएगा फिर भारत का। इस तरीके से तूफान को पहला नाम बांग्लादेश वाला रखा जाएगा। यह क्रम ऐसे ही चलता रहेगा। 

तौकते नाम इसी सूची से आया

सूची के हिसाब से मालदीव से बुरेवी, म्यांमार से तौकते, ओमान से यास और पाकिस्तान से गुलाब नाम लिस्ट में क्रमबद्ध है। बीते साल अप्रैल में ही नामों की नई सूची स्वीकृत की गई। पुरानी सूची में अम्फन चक्रवात सबसे अंतिम नाम था। 

नई सूची में ये नाम भी हैं

दरअसल, 25 साल के लिए देशों से नाम लेकर एक सूची बनाई जाती है। इन्हीं नामों में से अल्फाबेटिकल आर्डर में नाम रखे जाते हैं। नई सूची में देशों ने जो नाम दिए हैं उसमें भारत की ओर से दिए नामों में गति, तेज, मुरासु, आग, नीर, प्रभांजन, घुरनी, अंबुद, जलाधि, बेगा नाम शामिल है। जबकि बांग्लादेश ने अर्नब, कतर ने शाहीन व बहार, पाकिस्तान ने लुलु तथा म्यांमार ने पिंकू नाम भी दिया है। 

कैसे पता चलता कि कौन चक्रवात है आने वाला

विश्व को छह विशेष मौसम क्षेत्र में बांटा गया है। छह विशेष मौसम क्षेत्र और पांच चक्रवाती केंद्र समन्वय बनाकर काम करते हैं। यह केंद्र चक्रवातों के संबंध में एडवायसरी जारी करते हैं और नामकरण भी यही करते हैं। 

भारतीय मौसम विभाग करता हिंद महासागर के चक्रवातों का नामकरण

भारतीय मौसम विभाग भी विशेष मौसम क्षेत्र का केंद्र है। यह भी चक्रवात और आंधी को लेकर एडवायजरी जारी करता है। नई दिल्ली में स्थित यह केंद्र उत्तर हिंद महासागर यानी बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में उठने वाले तूफान या चक्रवातों का नामकरण व एडवायजरी जारी करता है।  

क्या है नामकरण का फायदा

एक साथ दो चक्रवात आ गए। आपदा प्रबंधकों व बचाव दल को काम करना है। वैश्विक लेवल पर जब राहत काम किया जाएगा या कोई एडवायजरी जारी करनी होगी तो कोई दुविधा न हो इसलिए नामकरण कर दिया जाता है। नाम रखने से यह साफ रहेगा कि किस क्षेत्र का तूफान है। 

चक्रवातों का नाम कैसे चुनते हैं

अप्रैल 2020 में एक सूची स्वीकृत हुई है। यह सूची हर देशों द्वारा दिए गए 13-13 नामों में शामिल नामों से चुने गए नामों की है। 25 सालों के लिए बनी इस सूची को बनाते समय यह माना जाता है कि हर साल कम से कम 5 चक्रवात आएंगे। इसी आधार पर सूची में नामों की संख्या तय की जाती है।
 

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