आडवाणी बोले-उम्मीद है मंदिर सभी भारतीयों को भगवान राम के गुणों को अपनाने के लिए करेगा प्रेरित

आडवाणी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मंदिर सभी भारतीयों को भगवान राम के गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।

Lal Krishna Advani on Ram Mandir: राम मंदिर आंदोलन के पुरोधा लालकृष्ण आडवाणी ने अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा पर खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि भाग्य ने बहुत पहले ही तय कर लिया था कि यूपी के अयोध्या में राम मंदिर वास्तव में बनने जा रहा है। वह तो राम मंदिर के लिए रथयात्रा के सारथी थे। आडवाणी ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि मंदिर सभी भारतीयों को भगवान राम के गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा।

दरअसल, 90 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के अगुवा बीजेपी के कद्दावर नेता लालकृष्ण आडवाणी थे। 25 सितंबर 1990 में उन्होंने राम मंदिर निर्माण के लिए रथयात्रा शुरू की थी। गुजरात के सोमनाथ से शुरू हुई यह यात्रा अयोध्या पहुंचने के पहले बिहार में रोक दी गई थी। 6 दिसंबर 1992 में बाबरी विध्वंस के दौरान भी पूरे आंदोलन की अगुवाई लालकृष्ण आडवाणी ने की थी।

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अब जब राम मंदिर बन रहा है और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है बीजेपी के वयोवृद्ध नेता बेहद खुश हैं। लालकृष्ण आडवाणी ने बातचीत में बताया कि उन्हें उम्मीद है कि मंदिर सभी भारतीयों को भगवान राम के गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करेगा। उस समय (सितंबर 1990 में, यात्रा शुरू होने के कुछ दिन बाद) मुझे लगा कि नियति ने तय कर लिया है कि एक दिन अयोध्या में एक भव्य राम मंदिर बनाया जाएगा। अब यह केवल समय की बात है। 'रथयात्रा' शुरू होने के कुछ दिनों बाद मुझे एहसास हुआ कि मैं सिर्फ एक सारथी था। मुख्य संदेश यात्रा ही थी। वह 'रथ' पूजा के योग्य था क्योंकि यह भगवान राम के जन्मस्थान पर जा रहा था।

आडवाणी ने दी पीएम मोदी को बधाई

'राष्ट्रधर्म' नामक पत्रिका से बात करते हुए आडवाणी ने प्रधान मंत्री को भी बधाई दी। दरअसल, राम मंदिर आंदोलन को धार देने के लिए 'रथयात्रा', जिसका नेतृत्व आडवाणी ने भाजपा के एक अन्य पुराने नेता - मुरली मनोहर जोशी के साथ किया था, एक विवादास्पद घटना भी रही, जिसके कारण उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में सांप्रदायिक हिंसा हुई। पत्रिका के लेख में, उन्होंने इसे अपने राजनीतिक करियर की सबसे निर्णायक और परिवर्तनकारी घटना के रूप में वर्णित किया। उन्होंने कहा कि इस रथयात्रा के कारण उन्हें भारत और खुद को फिर से खोजने का मौका दिया।

मुझे पता नहीं था यह इतना बड़ा आंदोलन होगा

लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि तब हमें नहीं पता था कि भगवान राम के प्रति हमारी आस्था जिसके साथ हमने यात्रा शुरू की थी, देश में एक आंदोलन का रूप ले लेगी। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान, कई अनुभव हुए जिन्होंने मेरे जीवन को प्रभावित किया। दूरदराज के गांवों से अज्ञात ग्रामीण मेरे पास आते थे, रथ देखकर भावना से अभिभूत होते थे। वे नमस्कार करते थे,'राम' का जाप करते थे और चले जाते थे। यह एक संदेश था। ऐसे कई लोग थे जिन्होंने राम मंदिर का सपना देखा था।

आडवाणी जोशी दोनों जाएंगे प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में

दरअसल, पूर्व में राममंदिर तीर्थ क्षेत्र के पदाधिकारियों ने लालकृष्ण आडवाणी और मुरलीमनोहर जोशी को कार्यक्रम में नहीं आने का अनुरोध किया था। ट्रस्ट के चंपक राय ने कहा कि दोनों नेताओं की उम्र 90 साल से अधिक है इसलिए उनको असुविधा की वजह से आने से रोका गया है। हालांकि, इसके बाद पूरे देश में काफी विरोध दर्ज कराया गया। दोनों पुरोधाओं को मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से रोकने की साजिश तक करार दिया गया। लेकिन अब यह साफ है कि दोनों नेता मुख्य कार्यक्रम में पहुंचेंगे। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने बताया कि 22 जनवरी को दोपहर में मंदिर के गर्भगृह में राम लला की मूर्ति स्थापित की जाएगी।

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