राजद्रोह कानून पर लॉ कमीशन की सिफारिशें सरकार लागू करेगी या नहीं...कानून मंत्री अर्जुन राज मेघवाल ने दी जानकारी

Published : Jun 02, 2023, 06:02 PM ISTUpdated : Jun 02, 2023, 06:07 PM IST
Who is Arjun Ram Meghwal modi cabinet new law minister

सार

लॉ कमीशन का मानना है कि अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे इस औपनिवेशिक कानून के निरस्त किए जाने से गंभीर सुरक्षा खतरा उत्पन्न हो सकता है। इसको निरस्त करने से देश की सुरक्षा और अखंडता पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। 

Law Minister Arjun Ram Meghwal on Law commission report on Sedition: केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि राजद्रोह पर विधि आयोग की रिपोर्ट में की गई सिफारिशें बाध्यकारी नहीं है, इन सिफारिशों पर सरकार विचार करेगी। सभी स्टेकहोल्डर्स से विचार विमर्श करने के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा। लॉ कमीशन ने राजद्रोह पर अपनी रिपोर्ट में तमाम सिफारिशें की है। कमीशन का मानना है कि अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे इस औपनिवेशिक कानून के निरस्त किए जाने से गंभीर सुरक्षा खतरा उत्पन्न हो सकता है। इसको निरस्त करने से देश की सुरक्षा और अखंडता पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

क्या कहा कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने राजद्रोह कानून पर?

राजद्रोह को निरस्त किए जाने संबंधी लॉ कमीशन की रिपोर्ट मिलने के बाद कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि राजद्रोह पर विधि आयोग की रिपोर्ट में की गई सिफारिशें बाध्यकारी नहीं है, इन सिफारिशों पर सरकार विचार करेगी। सभी स्टेकहोल्डर्स से विचार विमर्श करने के बाद ही अंतिम फैसला लिया जाएगा। अब जबकि हमें रिपोर्ट मिल गई है, हम अन्य सभी हितधारकों के साथ भी परामर्श करेंगे ताकि हम जनहित में एक सूचित और तर्कपूर्ण निर्णय ले सकें।

 

 

क्या मानना है राजद्रोह को लेकर विधि आयोग को?

भारत के विधि आयोग ने कानून मंत्रालय को एक रिपोर्ट सौंपी है। आयोग ने भारत में राजद्रोह पर 153 साल पुराने औपनिवेशिक कानून को बनाए रखने की सिफारिश की है। इस रिपोर्ट में विधि आयोग ने साफ तौर पर कहा कि राजद्रोह के कानूनी प्रावधान को निरस्त करने से देश की सुरक्षा और अखंडता पर गंभीर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। कानून को निरस्त करने के बजाय, आयोग ने भारतीय दंड संहिता या आईपीसी (राजद्रोह कानून) की धारा 124ए में संशोधन करने का समर्थन किया। आयोग ने कहा कि 124ए को संशोधित कर उसे और स्पष्ट, उपयोगी बनाने की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए। कर्नाटक हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी की अध्यक्षता वाले आयोग ने सिफारिश की है कि राजद्रोह कानून, जिसमें आजीवन कारावास या तीन साल की अधिकतम सजा है, में वैकल्पिक सजा को सात साल तक बढ़ाया जाना चाहिए। इससे कोर्ट को सजा देने के मामले में और अधिक स्पेस मिल सके।

राजद्रोह कानून पर सुप्रीम कोर्ट का है रोक

11 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट के एक निरंतर अंतरिम आदेश के बाद धारा 124ए पर रोक लगा दी गई थी। राजद्रोह कानून एक गैर जमानती अपराध है और आरोप है कि इसका दुरुपयोग सत्ताधारी, सामाजिक कार्यकर्ताओं, न्यायविदों के खिलाफ असंतोष को दबाने के लिए करते हैं।

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